National Mango Day 2023: आम कैसे हो गया 'लंगड़ा'? फलों के राजा के नाम के पीछे है दिलचस्प वजह
Mango Varieties in India: भारत समेत दुनियाभर में हजारों किस्म के आम बिकते हैं. इनमें से कुछ आमों के नाम बेहद दिलचस्प हैं. यहां जानिए ऐसे 7 किस्मों के आम के नाम की कहानी.
Iamge- Pexels
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Mango Day 2023: आम की पैदावार के मामले में भारत दुनिया का सरताज है. दुनियाभर में आम की करीब 1400 किस्में पाई जाती हैं, इसमें से करीब 1000 के आसपास की किस्में भारत में पैदा की जाती हैं. भारत में लंगड़ा, दशहरी, तोतापरी, सफेदा, चौसा, अल्फांसो आदि तमाम तरह के आम बिकते हैं. इन आमों के नाम के पीछे कई दिलचस्प वजह हैं. दुनियाभर में आम की लोकप्रियता को देखते हुए हर साल 22 जुलाई को नेशनल मैंगो डे (National Mango Day) मनाया जाता है. इस मौके पर आपको बताते हैं आमों के दिलचस्प नामों की कहानी.
लंगड़ा आम की कहानी
लंगड़े आम का इतिहास 250 से 300 साल पुराना माना जाता है. कहा जाता है कि इस आम की पैदावार सबसे पहले बनारस में की गई थी. कहा जाता है कि बनारस के एक साधु ने शिव मंदिर के पास इस आम के दो पेड़ लगाए और इन पेड़ों और आम के देखभाल की जिम्मेदारी मंदिर के पुजारी को दी गई थी, जो कि दिव्यांग था. उस समय उस पुजारी को लोग 'लंगड़ा पुजारी' कहकर बुलाते थे. इस कारण इस आम को लोगों ने लंगड़ा आम कहना शुरू कर दिया. इस तरह ये आम लंगड़ा आम के नाम से ही प्रसिद्ध हो गया.
चौसा आम
चौसा आम की उत्पत्ति तो उत्तर प्रदेश के हरदोई से मानी जाती है, लेकिन इसके नाम के पीछे की वजह शेरशाह सूरी से जुड़ी है. दरअसल 1539 में शेरशाह सूरी ने बिहार के चौसा इलाके में हुए एक युद्ध में हुमायूं को हरा दिया था. इस युद्ध में जीतने के बाद उसने खुशी-खुशी अपनी पसंद का आम लोगों के बीच बंटवाया था. तब से इस आम को ही चौसा आम के नाम से जाना जाने लगा.
दशहरी आम
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ये आम बहुत पसंद किया जाता है. उत्तर प्रदेश में इसकी अच्छी खासी पैदावार होती है. कहा जाता है कि सबसे पहले ये आम यूपी के लखनऊ के पास काकोरी स्टेशन से सटे दशहरी नाम के गांव में उगाया गया था. इस कारण इस आम को दशहरी आम के नाम से जाना जाता है.
अलफांसो आम
अलफांसो आम को भारत में हापुस आम के नाम से भी जाना जाता है. ये एक ऐसा आम है जो तौल के साथ-साथ दर्जन में भी बिकता है. ये सबसे अधिक यूएसए को एक्स्पोर्ट होता है और ब्रिटेन में भी इसकी पैदावार होती है. कहा जाता है कि गोवा में जब पुर्तगालियों का शासन था, उस समय अफोंसो दि अल्बूकर्क ने इस आम के पेड़ लगाए थे. इस कारण इस आम का नाम अलफांसो आम पड़ गया.
सफेदा आम
इस आम का इस्तेमाल सबसे ज्यादा मैंगो शेक बनाने में किया जाता है. जब आप इस आम को काटेंगे तो इसके बीच में सफेद रंग की धारी यानी शेड दिखाई देगा. इस कारण इस आम को सफेदा आम के नाम से जाना जाता है.
तोतापरी आम
इस आम में एक नोंक होती है जो तोते की चोंच की तरह होती है, साथ ही इस आम का रंग भी हरा होता है, इस कारण इसे तोतापरी आम के नाम से जाना जाता है. ये स्वाद में खट्टा-मीठा होता है.
हाथीझूल आम
इस आम की पैदावार उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में होती है. इसका काम हाथी झूल इसके वजन को देखते हुए रखा गया है. ये आम बहुत वजनदार होता है. इसका वजन 3.5 किलोग्राम तक भी देखा गया है. जब ये पेड़ पर लगता है तो ऐसा लगता है कि मानो पेड़ पर हाथी झूल रहा हो. इस कारण सहारनपुर के एक किसान ने इसे हाथीझूल आम कह दिया और धीरे-धीरे ये आम इसी नाम से प्रचलित हो गया.
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12:03 PM IST