Chaitra Navratri 5th Day 2023: चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन आज, जानें मां स्कंदमाता के पूजन का शुभ मुहूर्त, विधि, भोग व शुभ रंग
Chaitra Navratri 5th Day 2023: नवरात्र के पांचवें दिन भक्तों को अभीष्ट फल प्रदान करने वाली मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है. ये देवी पार्वती का ही स्वरूप है.
Chaitra Navratri 5th Day 2023: चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन आज, जानें मां स्कंदमाता के पूजन का शुभ मुहूर्त, विधि, भोग व शुभ रंग
Chaitra Navratri 5th Day 2023: चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन आज, जानें मां स्कंदमाता के पूजन का शुभ मुहूर्त, विधि, भोग व शुभ रंग
Chaitra Navratri 2023 Day 5 Maa Skandmata Puja: चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन मां दुर्गा की पांचवी शक्ति मां स्कंदमाता हैं. 26 मार्च 2023, रविवार को मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी. देवी स्कंदमाता कार्तिकेय यानी स्कंद कुमार की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है. नवरात्र के पांचवें दिन भक्तों को अभीष्ट फल प्रदान करने वाली मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा करने का विधान है. ये देवी पार्वती का ही स्वरूप है.
कौन हैं स्कंदमाता
भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण देवी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्कंदमाता, मां पार्वती का ही रौद्र रूप हैं. इस संबंध में यह कथा बताई गई है कि एक बार कुमार कार्तिकेय की रक्षा के लिए जब माता पार्वती क्रोधित होकर आदिशक्ति रूप में प्रगट हुईं तो इंद्र भय से कांपने लगे. इंद्र अपने प्राण बचाने के लिए देवी से क्षमा याचना करने लगे. चूंकि कुमार कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है तो सभी देवतागण मां दुर्गा के रूप को मनाने के लिए उन्हें स्कंदमाता कहकर पुकारने लगे और उनकी स्तुति करने लगे. तभी से मां दुर्गा मां के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाने लगा, और उनकी पूजा 5वीं अधिकष्ठात्री के रूप में होने लगी.
उपासना का फल
पौराणिक मान्यता है कि इनकी पूजा से भगवान कार्तिकेय की पूजा स्वयं ही हो जाती है और स्कंदमाता की आराधना से सूनी गोद भर जाती है. इनकी साधना से साधकों को आरोग्य,बुद्धिमता और ज्ञान की प्राप्ति होती है. इनकी उपासना से समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं और भक्तों को परम शांति एवं सुख का अनुभव होने लगता है. सूर्यमण्डल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक आलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है. संतान सुख एवं रोगमुक्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए.
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चैत्र नवरात्रि 2023 पांचवे दिन का मुहूर्त (Chaitra Navratri 2023 Day 5 Muhurat)
चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि शुरू - 25 मार्च 2023, दोपहर 04.23
चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि समाप्त - 26 मार्च 2023, दोपहर 04.32
शुभ (उत्तम) - सुबह 07.52 - सुबह 09.24
प्रीति योग - प्रात: 12.20 - रात 11.33
रवि योग - 26 मार्च 2023, दोपहर 02.01 - 27 मार्च 2023, सुबह 06.18
माता की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्री के पांचवे दिन स्कंदमाता के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 3:30 बजे से शाम 5:30 तक है.
स्कंदमाता के लिए भोग और मंत्र
भक्त स्कंदमाता को भोग में केले का भोग लगा सकते हैं. माता को पीला रंग पसंद है.
माता के रुप का महत्व
शास्त्रानुसार सिंह पर सवार स्कन्दमातृस्वरूपणी देवी की चार भुजाएं हैं,जिसमें देवी अपनी ऊपर वाली दांयी भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए उठाए हुए हैं और नीचे वाली दांयी भुजा में कमल पुष्प लिए हुए हैं ऊपर वाली बाईं भुजा से इन्होने जगत तारण वरद मुद्रा बना रखी है और नीचे वाली बाईं भुजा में कमल पुष्प है. इनका वर्णन पूर्णतः शुभ्र है और ये कमल के आसान पर विराजमान रहती हैं इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है. नवरात्र पूजन के पांचवे दिन का शास्त्रों में पुष्कल महत्व बताया गया है.
पूजा विधि
मां के श्रृंगार के लिए खूबसूरत रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. स्कंदमाता और भगवान कार्तिकेय की पूजा भक्ति-भाव और विनम्रता के साथ करनी चाहिए. पूजा में कुमकुम,अक्षत,पुष्प,फल आदि से पूजा करें. चंदन लगाएं ,माता के सामने घी का दीपक जलाएं. आज के दिन भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है.
बच्चों को होगा फायदा
स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल अर्पित करें और पीली चीजों का भोग लगाएं. संतान संबंधी कष्टों को दूर करने के लिए इस दिन बच्चों को फल-मिठाई बांटना भी बहुत अच्छा माना गया है.
पंचमी को लगाएं खीर और केले का भोग
श्रीमद् देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां की पांचवीं विश्वरूप स्कंदमाता को केले और खीर का भोग लगाना चाहिए. जिससे माता प्रसन्न होकर भक्तों द्वारा मांगी गई सभी मनोकामना को पूर्ण करती हैं. वहीं, मध्य रात्रि में माता का पूजा करना विशेष फलदायी रहता है. रात्रि के वक्त विशेष अनुष्ठान करते हुए माता के नवार्ण मंत्र का जाप करना चाहिए.
इस मंत्र से करें आराधना
1.सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
2.या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
09:12 PM IST