शेयरहोल्डर्स को मिलने वाला डिविडेंड क्या होता है? कैसे आता है काम, जानें इससे जुड़ी कुछ खास बातें
डिविडेंड इंवेस्टिंग उन कंपनियों के शेयरों को खरीदने का एक तरीका है जो शेयरहोल्डर को अपने स्टॉक के मालिक होने के लिए इनाम के रूप में रेगुलर कैश पेआउट करते हैं.
डिविडेंड वो पेमेंट हैं जो एक कॅार्पोरेशन अपने शेयरहोल्डर को करता है. NSE की आधिकारिक वेबसाइट में दिए गए जवाब के अनुसार, जब आप डिविडेंड का पेमेंट करने वाले शेयरों के मालिक होते हैं, तो आपको कंपनी के मुनाफे के एक हिस्से का भुगतान किया जाता है. जो आपको इनकम अर्न करने में मदद कर सकता है. डिविडेंड को पे करने वाली कंपनी के शेयर होल्डर तब तक एलिजिबल होते हैं जब तक डिविडेंड प्री-डेट से पहले उनके पास होता है. डिविडेंड का पमेंट कंपनी की रिटेन्ड अर्निंग से भी किया जा सकता है. जो सालों से जमा किए गए प्रॅाफिट का एक प्रकार का सेविंग अकाउंट है. कंपनियां स्टॉक में डिविडेंड का पेमेंट भी कर सकती हैं. जिसका मतलब है कि वे कैश के बजाय इक्विटी शेयर देती हैं. डिविडेंड को देने या न देने का फैसला खुद कंपनी का होता है. कंपनी के शेयरों को डिविडेंड यील्ड स्टॅाक्स कहते हैं. ज्यादातर पीएसयू सेक्टर की कंपनियां शेयरहोल्डर को डिविडेंड देती हैं.
क्या मिलता है डिविडेंड से
अपने क्रेडिटर को पेमेंट करने के बाद एक कंपनी अपने शेयरहोल्डर को डिनिडेंड के रूप में रिवॅार्ड देती है. ऐसा करने के लिए रिजिड्युल प्रॅाफिट का इस्तेमाल कर सकती है, लेकिन जब फर्मों को कैश की कमी का सामना करना पड़ता है या जब उन्हें रिइन्वेस्टमेंट के लिए कैश की जरुरत होती है, तो वे डिविडेंड का पेमेंट करना छोड़ सकते हैं. जब कोई कंपनी डिविडेंड को अनाउंस करती है, तो वे एक रिकॉर्ड डेट भी तय करती है. और उस डेट के रूप में रजिस्टर्ड सभी शेयरहोल्डर अपनी शेयरहोल्डिंग के अनुपात में डिविडेंड का पेमेंट लेने के लिए एलिजिबेल हो जाते हैं. कंपनी आमतौर पर शेयरहोल्डर को एक या दो सप्ताह के भीतर चेक भेज देती है. स्टॉक आम तौर पर रिकॉर्ड डेट से दो बिजनेस दिन पहले तक डिविडेंड के साथ खरीदे या बेचे जाते हैं. जिसके बाद वे प्री-डिविडेंड में बदल जाते हैं.
कंपनियां डिविडेंड क्यों देती हैं
डिविडेंड अक्सर शेयरहोल्डर किसी कंपनी में उनके इंवेस्टमेंट के लिए एक इनाम के रूप में होते हैं. डिविडेंड पेमेंट कंपनी पर पॅाजिटिवली रिफ्लेक्ट होता है. डिविडेंड इंवेस्टर्स के भरोसा को बनाए रखने में मदद करता है. एक हाई वेल्यू डिविडेंड डिक्लेरेशन ये बताता है कि कंपनी अच्छा परफॅार्म कर रही है और अच्छा प्रॅाफिट अर्न कर रही है. लेकिन ये इस बात का भी संकेत दे सकता है कि कंपनी के पास फ्यूचर में बेहतर रिटर्न देने के लिए प्रोजेक्ट नहीं हैं. इसलिए कंपनी अपने कैश का यूज शेयरहोल्डर को पेमेंट करने के बजाय कंपनी की ग्रोथ में रिइनवेस्ट करने के लिए कर रही है.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
09:00 AM IST