कंपनियों के मर्जर या डिमर्जर की एक्स डेट से ही इंडेक्स में हो सकता है बदलाव, कंसल्टेशन पेपर जारी
नए प्रस्तावों पर Nifty Indices ने 2 नवंबर तक सभी पक्षों के सुझाव मंगाए है. इसे HDFC बैंक-HDFC के मर्जर प्रस्ताव का असर माना जा रहा है.
(Image: Reuters)
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NSE Indices का निफ्टी इक्विटी इंडेक्स में शामिल कंपनियों के मर्जर/डिमर्जर पर कंसल्टेशन पेपर जारी हुआ है. इसमें मर्जर या डिमर्जर की एक्स डेट से ही इंडेक्स में बदलाव करने का प्रस्ताव किया गया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि Nifty Equity Indices में बदलाव की जानकारी कम से कम 3 कामकाजी दिन पहले दी जाए. एनएसई के इस कंसल्टेशन पेपर को HDFC बैंक-HDFC के मर्जर प्रस्ताव का असर माना जा रहा है.
कंसल्टेशन पेपर के मुताबिक, Nifty Equity Indices में बदलाव की जानकारी कम से कम 3 कामकाजी दिन पहले दिए जाने का प्रस्ताव किया गया है. मौजूदा व्यवस्था में शेयरहोल्डर्स की मंजूरी के 4 हफ्ते के भीतर शेयर इंडेक्स के बाहर हो जाता है.
प्रस्ताव के पीछे सोच है कि अगर एक से ज्यादा कंपनियां जो एक ही इंडेक्स में हैं, उनका मर्जर होता है तो पहले से ही बिकवाली शुरू हो जाती है. क्योंकि एक्स डेट के पहले शेयर के इंडेक्स से बाहर जाते ही वेटेज री-बैलेंसिंग के लिए ETF भारी बिकवाली, फिर मर्जर के बाद वेटेज में बदलाव आते ही फिर से ETF को खरीदारी करनी पड़ेगी. ताजा प्रस्ताव से शेयर के भाव और इंडेक्स में भारी उतार-चढ़ाव से बचा जा सकेगा.
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डिमर्जर होने पर निफ्टी इंडेक्स के बाहर नहीं होगा शेयर!
कंसल्टेशन पेपर में कहा गया है कि निफ्टी इक्विटी इंडेक्स, जिसमें शेयरों की संख्या फिक्स है, उसमें मर्जर के बाद एक के हटने पर उसी के बराबर योग्य कंपनी इंडेक्स में शामिल होगी. अगर इंडेक्स में शेयरों की संख्या फिक्स नहीं है, तो फिर मर्जर के बाद भी इंडेक्स में कोई बदलाव नहीं होगा. डिमर्जर होने पर शेयर निफ्टी इंडेक्स के बाहर नहीं होगा, बल्कि एक्स डेट के दिन बाजार खुलने के पहले इंडेक्स में शेयर का वेटेज बदल जाएगा. नए प्रस्तावों पर Nifty Indices ने 2 नवंबर तक सभी पक्षों के सुझाव मंगाए है.
03:26 PM IST