बड़े ब्रोकर्स और उनसे जुड़े निवेशकों को ज्यादा सुरक्षित करेगा सेबी, नए कॉनसेप्ट पर कर रहा विचार
SEBI News: सेबी एक नए कॉनसेप्ट पर विचार कर रही है. ये कॉन्सेप्ट दरअसल रिजर्व बैंक के बड़े बैंकों और नॉन बैंकिंग कंपनियों पर लागू सिस्टेमिकली इम्पॉर्टेंट स्टेटस की तरह सिस्टमिकली इम्पोर्टेंट ब्रोकर्स का हो सकता है.
सेबी ब्रोकर्स और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए एक के बाद एक कदम उठा रही . (PTI)
सेबी ब्रोकर्स और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए एक के बाद एक कदम उठा रही . (PTI)
SEBI News: बड़े ब्रोकर्स और उनसे जुड़े निवेशकों को ज्यादा सुरक्षित करने के लिए सेबी (SEBI) एक नए कॉनसेप्ट पर विचार कर रही है. ये कॉन्सेप्ट दरअसल रिजर्व बैंक के बड़े बैंकों और नॉन बैंकिंग कंपनियों पर लागू सिस्टेमिकली इम्पॉर्टेंट स्टेटस की तरह सिस्टमिकली इम्पोर्टेंट ब्रोकर्स (Systemically Important Brokers) का हो सकता है. ज़ी बिजनेस को अहम सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये चर्चा शुरुआती दौर में है लेकिन बड़े ब्रोकर्स और फिर उनसे बड़ी संख्या में जुड़े ब्रोकर्स (big brokers) के लिए काफी अहम हो सकती है.
एक के बाद एक कदम उठा रहा है सेबी
खबर के मुताबिक, दरअसल कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के फेल होने के बाद सेबी ब्रोकर्स (sebi brokers) और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए एक के बाद एक कदम उठा रही है. उसी कड़ी में इस कॉन्सेप्ट पर भी विचार किया जा रहा है. ज़ी बिजनेस को मिली जानकारी के मुताबिक कॉन्सेप्ट पर बात आगे बढ़ी तो बड़े ब्रोकर्स के लिए ज्यादा पूंजी और कड़ी रिस्क मैनेजमेंट जैसी शर्तें लाई जा सकती हैं. इसके अलावा तकनीकी दक्षता और घाटा उठा पाने की क्षमता भी एक पैमाना हो सकता है. ऐसे ब्रोकर्स की निगरानी भी ज्यादा बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है. दरअसल सिस्टेमिकली इम्पॉर्टेंट का टैग रिजर्व बैंक ने बड़े बैंकों और बड़ी नॉन बैंकिंग कंपनियों के लिए लाया हुआ है. कुछ उसी तर्ज पर सेबी में भी ब्रोकर्स (big brokers) के लिए चर्चा चल रही है.
कई पैमाने अहम होंगे
हालांकि इस पर अभी काफी काम होना बाकी है, लेकिन बाजार के जानकारों और ब्रोकिंग के कारोबार को समझने वालों की मानें तो इसके लिए कई पैमाने अहम होंगे. जैसे कि कारोबार का साइज कितना बड़ा होगा. इसमें न केवल टर्नओवर,असेट अंडर मैनेजमेंट बल्कि एक्टिव क्लाइंट्स की संख्या भी अहम पैमाना होना चाहिए ,क्योंकि जितने ज्यादा निवेशक प्रभावित होंगे उतना ही असर ज्यादा होगा. साथ ही ये भी देखा जााना चाहिए कि जो बड़े ब्रोकर हैं उनका सिस्टम में कितना अधिक जुड़ाव है. यानि कितने इंटरकनेक्टेड हैं क्योंकि मुश्किल में फंसने पर कहां तक दुष्प्रभाव हो सकता है.एक राय ये भी है कि स्ट्रक्चर की जटिलता को भी गौर किया जाना चाहिए.
बड़े ब्रोकर्स के लिए सिस्टमकिली इंपॉर्टेंट ब्रोकर्स के कॉनस्पेट पर सेबी में शुरुआती चर्चा।
— Zee Business (@ZeeBusiness) June 9, 2022
बड़े ब्रोकर्स के लिए इस कॉन्सेप्ट का क्या हो सकता है मतलब? पूरी खबर बता रहे हैं ब्रजेश कुमार।@SEBI_India | @NSEIndia | @BSEIndia | @AnilSinghvi_ | @BrajeshKMZee | @talktotarun pic.twitter.com/pkKbxJMNie
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कॉन्सेप्ट का ब्रोकिंग कंपनियों पर क्या असर होगा
अब सवाल ये है कि सेबी (SEBI) जिस कॉन्सेप्ट पर विचार कर रही है उसका ब्रोकिंग कंपनियों (big brokers)पर क्या असर होगा. अगर एक्टिव क्लाइंट सबसे अहम पैमाना बनता है तो कई बड़े ब्रोकर्स पर असर पड़ेगा. हालांकि सभी ब्रोकर्स अपने क्लाइंट्स की संख्या को नियमित तौर पर अपडेट नहीं करते लेकिन जो आकंड़े पब्लिक हैं, उसके मुताबिक मार्च 2022 तक जेरोधा के एक्टिव क्लाइंट्स की संख्या करीब 64 लाख थी.
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जबकि अपस्टॉक्स के करीब 58 लाख, ग्रो के 40 लाख और एंजेल वन ब्रोकिंग के 37 लाख के आसपास एक्टिव क्लाइंट्स थे. इसी तरह ICICI सिक्योरिटीज के 30 लाख, 5 पैसा कैपिटल के 18 लाख, कोटक सिक्योरिटीज के करीब 13 लाख, HDFC सिक्योरिटीज के करीब साढ़े ग्यारह लाख और IIFL सिक्योरिटीज के भी 11 लाख से ज्यादा एक्टिव क्लाइंट हैं. जानकारों की मानें तो इस कॉन्सेप्ट पर शुरुआती राय बनने के बाद सभी पक्षों से चर्चा की जाएगी और उसके बाद अगर व्यापक सहमति बनी तो फिर और ज्यादा चर्चा के लिए कंसल्टेशन पेपर लाया जा सकता है.
अभी टॉप ब्रोकर्स (31 मार्च 2022 तक, NSE आधारित)
ब्रोकर एक्टिव क्लाइंट
जेरोधा 64 लाख
अपस्टॉक्स 58 लाख
ग्रो 40 लाख
एंजेल वन ब्रोकिंग 37 लाख
टॉप ट्रेडिशनल ब्रोकर्स (31 मार्च 2022 तक, NSE आधारित)
ब्रोकर एक्टिव क्लाइंट
ICICI सिक्योरिटीज 30 लाख
कोटक सिक्योरिटीज 13 लाख
HDFC सिक्योरिटीज 11.5 लाख
IIFL सिक्योरिटीज 11.15 लाख.
09:15 PM IST