SEBI ने ग्राहकों के ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के दुरुपयोग रोकने के लिए जारी की गाइडलाइंस, 1 जुलाई से होगा लागू
Sebi issues guidelines on 'Power of Attorney': सेबी ने कहा कि नये दिशानिर्देश के अमल में आने से ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ (PoA) का क्रियान्वयन दोनों उद्देश्यों के लिये नहीं होगा. सर्कुलर के अनुसार, डीडीपीआई ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के मकसद को पूरा करेगा और इसके दुरुपयोग पर लगाम लगाएगा.
कुछ मामलों में ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के दुरुपयोग के बाद गाइडलाइंस लाया गया है. (फाइल फोटो)
कुछ मामलों में ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के दुरुपयोग के बाद गाइडलाइंस लाया गया है. (फाइल फोटो)
Sebi issues guidelines on 'Power of Attorney': पूंजी बाजार रेगुलेटर सेबी ने निवेशकों के अपने शेयर ब्रोकरों को दिये गये ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ (PoA) के दुरुपयोग की आशंका को खत्म करने के इरादे से नया दिशा निर्देश जारी किया है. इसके तहत डिलिवरी और निपटान को लेकर प्रतिभूतियों के स्थानांतरण के लिये नई दस्तावेजी व्यवस्था का क्रियान्वयन करना होगा. दस्तावेज...बिक्री के बाद डीमैट खाते से शेयर या बॉन्ड का हटना और गिरवी निर्देश (DDPI) का क्रियान्वयन प्रतिभूतियों को गिरवी रखने या फिर से गिरवी रखने पर भी लागू होगा.
1 जुलाई से होगा लागू
नया दिशा निर्देश एक जुलाई से लागू होगा. इसे ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के दुरुपयोग के कुछ मामले सामने के बाद लाया गया है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के परिपत्र के मुताबिक, डीडीपीआई के तहत ग्राहक शेयर ब्रोकर और ‘डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट’ को उनके द्वारा किये गये कारोबार के निपटान के लिए भुगतान दायित्वों को पूरा करने के सीमित उद्देश्य को लेकर अपने खाते तक पहुंच के लिये अधिकृत कर सकते हैं.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें रेगुलेटर के अनुसार, डीडीपीआई केवल दो उद्देश्यों तक सीमित होगा. एक ग्राहक के स्वामित्व वाले खाते में रखी गई प्रतिभूतियों (Securities) के ट्रांसफर के लिये शेयर बाजार से संबंधित डिलिवरी के मामले में या फिर ऐसे ग्राहक द्वारा निष्पादित कारोबार के निपटान दायित्वों को लेकर. दूसरा, ग्राहक की मार्जिन जरूरतों को पूरा करने के लिये प्रतिभूतियों को कारोबारी सदस्यों/समाशोधन सदस्यों के पक्ष में गिरवी /पुन: गिरवी रखने को लेकर.
PoA के दुरुपयोग पर लगेगी लगाम
सेबी ने कहा कि नये दिशानिर्देश के अमल में आने से ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ (PoA) का क्रियान्वयन दोनों उद्देश्यों के लिये नहीं होगा. सर्कुलर के अनुसार, डीडीपीआई ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के मकसद को पूरा करेगा और इसके दुरुपयोग पर लगाम लगाएगा. ग्राहक डीडीपीआई का उपयोग कर सकते हैं या फिर भौतिक रूप से डिलिवरी निर्देश पर्ची (DIS) या इलेक्ट्रॉनिक डिलिवरी निर्देश पर्ची (EDIS) जारी कर निपटान पूरा करने का विकल्प चुन सकते हैं.
सेबी ने कहा कि मौजूदा पीओए तब तक वैध रहेंगे जब तक ग्राहक इसे रद्द नहीं कर देता. इस तरह शेयर ब्रोकर और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट ग्राहकों को डीडीपीआई क्रियान्वित करने के लिये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मजबूर नहीं करेंगे. वहीं वे ग्राहक के डीडीपीआई को क्रियान्वित करने से इनकार करने पर सेवाओं से मना नहीं करेंगे.
10:09 PM IST