विदेशी निवेशकों की कभी बिकवाली कभी खरीदारी, आखिर भारतीय बाजार में क्यों नहीं लग रहा FIIs का दिल?
फेड द्वारा दरों में बढ़ोतरी, मंदी की आशंका, रुपए की कमजोरी और रूस-यूक्रेन युद्ध से विदेशी निवेश पर असर पड़ेगा.
अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड यील्ड में उछाल से भारतीय शेयर मार्केट की हालत नरम होती जा रही है. क्योंकि इससे विदेशी संस्थागत निवेशक यानि FIIs का मूड स्विंग हो रहा है. एक तरफ जहां अक्टूबर 2021 से जून 2022 तक FIIs ने लगातार 9 महीने बिकवाली की. वहीं जुलाई में हल्की और फिर अगस्त में तेज खरीदारी की. केवल अगस्त में विदेशी निवेशकों ने 51200 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे. लेकिन सितंबर में खरीदारी का ट्रेंड कमजोर हो गया. 23 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक FIIs ने कुल 8600 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे.
Basant Maheshwari Wealth Advisers के को-फाउंडर बसंत माहेश्वरी ने कहा कि बीते हफ्ते FIIs ने कैश मार्केट में 6410 करोड़ रुपए के शेयर बेचे. जबकि वायदा बाजार में 3885 करोड़ रुपए के शेयर बेचे. उन्होंने कहा कि आगे फेड द्वारा दरों में बढ़ोतरी, मंदी की आशंका, रुपए की कमजोरी और रूस-यूक्रेन युद्ध से विदेशी निवेश पर असर पड़ेगा. बसंत माहेश्वरी ने कहा कि डॉलर इंडेक्स में रिकॉर्ड तेजी एक बड़ा ट्रिगर है, जिसके चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से फंड निकलकर डॉलर असेट में निवेश कर रहे हैं.
डॉलर इंडेक्स और बॉन्ड यील्ड में रिकॉर्ड उछाल
अगर डॉलर इंडेक्स की बात करें तो यह 20 सालों में सबसे ऊंचाई पर पहुंच गया है, इस समय इंडेक्स 113 के ऊपर ट्रेड कर रहा है. डॉलर इंडेक्स में 2022 में अबतक करीब 19 फीसदी की उछाल देखने को मिली है. वहीं US 10-ईयर बॉन्ड यील्ड भी 12 सालों की ऊंचाई पर पहुंच गया है. इस समय यह 3.69 फीसदी पर है.
डॉलर के मुकाबले कमजोर होता भारतीय रुपया
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डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए में कमजोरी लगातार जारी है. 26 सितंबर को भी रुपया 62 पैसे कमजोर होकर पहली बार 81.62 तक फिसल गया. 2022 में अबतक रुपया करीब 11 फीसदी कमजोर हुआ है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि ग्लोबल अनिश्चितताओं की वजह से डॉलर की सुरक्षित निवेश मांग बढ़ना. इसके अलावा फेड ने ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार बढ़ोतरी की. उम्मीद की जा रही है कि नवंबर में होने वाली बैठक में भी दरों को बढ़ाया जा सकता है. इससे डॉलर की डिमांड बढ़ी है.
06:57 PM IST