ESM: शेयर पंप-डंप करने पर लगेगी रोक, छोटे निवेशकों को मिलेगा प्रोटेक्शन; क्या है बाजार का यह नया सर्विलांस नियम
Enhanced Surveillance Measure: इस नए सर्विलांस का मकसद ऑपरेटर्स के शेयर पंप-डंप करने पर रोक लगाना और छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा करना है. आइए जाते हैं ESM क्या है, कब लागू होता है और कोई कंपनी कब इसके दायरे में आती है और इससे बाहर निकलती है.
Enhanced Surveillance Measure: बाजार में लिस्टेड कंपनियों के स्टॉक्स में ज्यादा उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) और स्टॉक्स एक्सचेंज ने मिलकर एक नई पहल की है. यह नया सिस्टम ESM यानी उन्नत निगरानी उपाय है. सेबी के निर्देश के बाद एक्सचेंज ESM (Enhanced Surveillance Measure) का नया नियम लेकर आए हैं. इस नए सर्विलांस का मकसद ऑपरेटर्स के शेयर पंप-डंप करने पर रोक लगाना और छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा करना है. आइए जाते हैं ESM क्या है, कब लागू होता है और कोई कंपनी कब इसके दायरे में आती है और इससे बाहर निकलती है.
क्या होता है ESM?
Enhanced Surveillance Measure (ESM) शेयरों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव रोकने के लिए सेबी, एक्सचेंज का मिलाजुला कदम है. सेबी के निर्देश के बाद एक्सचेंज यह नियम लेकर आए हैं. 500 करोड़ रुपये से कम मार्केट कैप की कंपनियों पर लागू होगा. भाव में बदलाव देखकर सख्ती का पैमाना तय किया जाता है. इसको लेकर 2 जून को सर्कुलर आया और 5 जून से नियम लागू हो गए हैं. यह नियम सरकारी कंपनियों और सरकारी बैंकों पर लागू नहीं होगा. इसके अलावा F&O वाले शेयर भी इस नियम से बाहर होंगे. इस सर्विलांस में हर हफ्ते शेयरों की स्थिति की समीक्षा का नियम है. एक बार इसके दायरे में आने पर 90 कैलेंडर दिन तक नियम लागू रहेगा.
कब लागू होता है ESM?
ESM शेयर में सामान्य से बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव होने पर लागू होता हे. माइक्रो स्मॉलकैप सेगमेंट की बाकी कंपनियों से तुलना की जाती है. सेगमेंट के हाई-लो प्राइस वैरिएशन को देखा जाता है. 3, 6 और 12 महीने का प्राइस वैरिएशन देखा जाता है. भाव में वैरिएशन सभी के औसत से ज्यादा होने पर नियम लागू होता है.
कैसे होता है चुनाव?
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पहला पैमाना: हाई-लो प्राइस वैरिएशन
- 3, 6 और 12 महीने के हाई-लो भाव देख कर सेलेक्शन
- भाव सभी कंपनियों के मुकाबले औसत से ज्यादा बदलने पर
- 3 महीने में भाव में बदलाव 75% से अधिक होने पर
- 6 महीने में बदलाव 100% से अधिक हुआ तो लागू
- 12 महीने में बदलाव 150% से अधिक हुआ तो लागू
दूसरा पैमाना: क्लोज 2 क्लोज प्राइस वैरिएशन
- क्लोज 2 क्लोज प्राइस वैरिएशन भी ज्यादा होने पर लागू
- ये प्राइस वैरिएशन 3 महीने में 50% से अधिक होने पर
- 6 महीने में क्लोज 2 क्लोज वैरिएशन 75% से अधिक
- 12 महीने में क्लोज 2 क्लोज वैरिएशन 100% से ऊपर
कैसे नियम लागू होंगे? (ESM-1)
- सौदे करने पर 100% मार्जिन लागू
- 5% प्राइस बैंड
- ट्रेड फॉर ट्रेड सेटलमेंट
- एक बार एंट्री तो 90 दिन तक ESM लागू
कैसे नियम लागू होंगे? (ESM-2)
- 2% प्राइस बैंड
- ट्रेड फॉर ट्रेड सेटलमेंट
- हफ्ते में केवल एक दिन ही सोमवार को होगी ट्रेडिंग
- पीरियॉडिक कॉल ऑक्शन के साथ वीकली ट्रेडिंग सोमवार सुबह 9:30 बजे
- एक बार एंट्री तो कम से कम 1 महीने तक ESM
अब तक ESM में कितनी कंपनियां?
NSE
- 10 जुलाई तक 223 कंपनियां
- 36 कंपनियों में हफ्ते में 1 दिन ट्रेडिंग
BSE
- 10 जुलाई तक 652 कंपनियां
- 140 कंपनियों में हफ्ते में 1 दिन ट्रेडिंग
(नोट: दोनों एक्सचेंज में कई कंपनियां कॉमन हैं)
ESM से बाहर कब आती हैं कंपनियां?
स्टेज 1 से कब एग्जिट
90 दिन बाद अगर भाव में उतार चढ़ाव घटा तो एग्जिट
एग्जिट का पैमाना, बाकियों के बराबर या कम उतार-चढ़ाव
भाव में 3 महीने 75%, 6 महीने में 100% से कम बदलाव
12 महीने में 150% से कम बदलाव होने पर ESM से बाहर
स्टेज 2 से कब एग्जिट
1 महीने बाद रिव्यू में क्लोज टू क्लोज वैरिएशन 8% से कम
ESM की आलोचना क्यों?
ESM नियम की आलोचना भी कर रहे हैं. उनका यह कहना है कि गड़बड़ी करने वालों पर सख्ती के बजाय शेयर पर क्यों की जा रही है. क्या शेयर की चाल देखकर गड़बड़ी तय हो सकती है? ESM के पैमाने में कंपनियों के फंडामेंटल क्यों नहीं? छोटी कंपनियों की खराब छवि बनाना कैसे वाजिब?
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03:47 PM IST