Shark Tank India-3: कैंसर मरीजों के लिए वरदान है ये मशीन, सिर्फ 3 कंपनियां बनाती हैं ये, सुनते ही तीन शार्क ने लगाए पैसे
जब भी हम किसी कैंसर पेशेंट (Cancer Patient) की बात करते हैं तो एक ऐसे शख्स की तस्वीर मन में उभरती है, जिसके बाल नहीं होते या उसने विग पहनी हो. इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए Stemtech Medical Devices ने बनाया है ईवा स्कैल्प कूलिंग सिस्टम (Eva Scalp Cooling System).
जब भी हम किसी कैंसर पेशेंट (Cancer Patient) की बात करते हैं तो एक ऐसे शख्स की तस्वीर मन में उभरती है, जिसके बाल नहीं होते या उसने विग पहनी हो. दरअसल, कैंसर ट्रीटमेंट के दौरान दी जाने वाली कीमोथेरेपी का सबसे बुरा असर होता है बालों पर, जिसके चलते बाल ना होना हर कैंसर पेशेंट की आइडेंटिटी बन चुकी है. इसी समस्या से निजात दिलाने के लिए Stemtech Medical Devices ने बनाया है ईवा स्कैल्प कूलिंग सिस्टम (Eva Scalp Cooling System). शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में आए इस स्टार्टअप (Startup) ने सभी शार्क को हैरान कर दिया.
इस स्टार्टअप की शुरुआत दिसंबर 2022 में रघुवीर सुपुरा (Raghuveer Surupa) ने की थी. रघुवीर हैदराबाद में रहते हैं और आईआईएम रांची से उन्होंने एमबीए किया है. पढ़ाई पूरी करने के बाद रघुवीर ने 2010 में फाइजर में करीब 3 साल काम किया था. बता दें कि फाइजर के पूर्व सीईओ श्रीधर सुब्रमण्यम रघुवीर की कंपनी में एडवाइजर हैं. रघुवीर का विजन है कि जब भी बात कैंसर की हो, तो लोगों के मन में बिना बाल वाले शख्स की तस्वीर ना उभरे.
कीमोथेरेपी की वजह से झड़ जाते हैं बाल
कैंसर के इलाज के लिए दी जाने वाली कीमोथेरेपी के बहुत सारे साइड इफेक्ट होते हैं. रघुवीर कहते हैं कि एक पेशेंट बीमारी से तो लड़ लेता है, लेकिन उसकी वजह से बाल झड़ने के चलते उसका हौंसला टूट जाता है. यही वजह है कि करीब 8 फीसदी लोग तो कीमोथेरेपी लेने से ही मना कर देते हैं.
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ईवा स्कैल्प कूलिंग सिस्टम से कैंसर पेशेंट के बाल झड़ने से बच सकते हैं. यह थेरेपी कीमो के दौरान, उससे पहले और बाद में दी जाती है. इसका सेशन करीब 3-5 घंटे का होता है. इसके तहत पेशेंट के सिर को एक कूलिंग तकनीक के जरिए ठंडा किया जाता है, जिससे उनके हेयर फॉलिकल्स का एक टेंपरेचर मेंटेन किया जाता है. इससे बालों को झड़ने से बचाया जा सकता है.
कैसे काम करती है ये मशीन?
दुनिया में सिर्फ तीन कंपनियां हैं, जो ये थेरेपी देती हैं. ईवा स्कैल्प कूलिंग सिस्टम एशिया का पहला सिस्टम है, बाकी दोनों कंपनियां विदेशी हैं. अभी तक यह मशीन 5 राज्यों के 12 अस्पतालों में लगाई जा चुकी हैं और 1000 से भी अधिक लोगों को इससे फायदा हुआ है. इसमें एक बड़ी सी मशीन होती है और उससे एक पाइप के जरिए कैप जुड़ी होती है. यह कैप एक कमल के फूल जैसा होता है, ताकि छोटे-बड़े हर सिर में अच्छे से फिट हो जाए. वहीं इसके ऊपर से भी एक कैप पहनाई जाती है, जो जरूरी प्रेशर सिर पर डालती है.
कूलिंग कैप के जरिए सिर के तापमान को 35 डिग्री से घटाकर 17 डिग्री तक लाया जाता है. इससे वहां जाने वाला खूब 70 फीसदी तक कम हो जाता है. बता दें कि कीमोथेरेपी के तहत फास्ट ग्रोइंग सेल यानी तेजी से बढ़ने वाली कोशिकाओं को ढूंढ कर खत्म किया जाता है. वहीं हेयर फॉलिकल्स भी दूसरे सबसे तेज बढ़ने वाले सेल होते हैं. ऐसे में कीमोथेरेपी के दौरान वह सेल भी नष्ट हो जाते हैं. रघुवीर बताते हैं कि अभी इस मशीन की एफिकेसी 50 फीसदी है.
आंटी की मौत ने झकझोर दिया
रघुवीर बताते हैं कि उनकी आंटी को ओवैरियन कैंसर हुआ था. इसकी वजह से 2018 में उनकी मौत हो गई. कैंसर के दौरान कीमोथेरेपी देने की वजह से उनके बाल बहुत ज्यादा खराब हो गए थे. वह अपनी साड़ी से अपना सिर छुपाती थीं और किसी से नजर नहीं मिला पाती थीं. जब ये सब हुआ तो रघुवीर ने बहुत सारे कैंसर पेशेंट से बात की, जिसके बाद उनकी समस्या को समझा. उन्होंने पाया कि ऐसी हालत की वजह से कई बार तो मरीज डिप्रेशन में चला जाता है.
क्या है कीमत? कितना है टर्नओवर?
अस्पतालों का इस मशीन का चार्ज 1500 रुपये से लेकर 4000 रुपये प्रति सेशन तक रहता है. वहीं अस्पताल को ये मशीन 13 लाख रुपये की पड़ती है, जबकि दूसरी कंपनियों की मशीन करीब 24 लाख की पड़ती है. कूल कैप की कीमत करीब 6000 रुपये होती है, जिसकी लाइफ 50 घंटे की होती है. यह मशीन रोज 4 सेशन कर सकती है, मतलब हर महीने 100 सेशन हो सकते हैं. साल दिसंबर 2022- मार्च 23 तक कंपनी की सेल 22.5 लाख रुपये की थी. वहीं अप्रैल 2023-नवंबर 2023 तक कंपनी की सेल 59 लाख रुपये रही. इस वित्त वर्ष में कंपनी 1.2 करोड़ रुपये की सेल्स तक पहुंचने का टारगेट कर रही है और इसी के साथ नुकसान उठा रही ये कंपनी ब्रेकईवन हो सकती है.
मिली थ्री शार्क डील
रघुवीर ने शार्क के सामने अपने स्टार्टअप के लिए 30 लाख रुपये के बदले 1.2 फीसदी इक्विटी के ऑफर की पेशकश की थी. इस स्टार्टअप का प्रोडक्ट CDSCO से रजिस्टर्ड है और ISO13485 क्वालिटी सर्टिफाइड है. इस स्टार्टअप को डिपार्टमेंट ऑफ बाय टेक्नोलॉजी से जुलाई 2021 में 11 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर 25 लाख रुपये सीड फंड के तहत मिले थे. जुलाई 2022 में करीब 75 लाख रुपये जुटाए और फिर मई 2023 में 17 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर 1.5 करोड़ रुपये जुटाए.
शार्क से मिली फंडिंग के जरिए रघुवीर यूएसएफडीए का अप्रूवल लेना चाहते हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि अगले दो साल में बिजनेस 8 करोड़ की सेल्स को टच करेगा और कंपनी का वैल्युएशन करीब 50 करोड़ रुपये हो जाएगा. अंत में अमन गुप्ता, नमिता थापर और रितेश अग्रवाल ने साथ मिलकर 1.8 फीसदी इक्विटी के बदले 30 लाख रुपये का निवेश किया.
06:00 AM IST