साधारण किसान से कारोबारी बने वृद्धिचंद, कर रहे हैं 'ऑनलाइन' फूलों का बिजनेस
वृद्धिचंद का नर्सरी का छोटा सा काम एक कारोबार बन गया और आज उनकी नर्सरी के पौधों की महक न केवल महराजगंज में है बल्कि आसपास के कई राज्यों में बिखर रही है.
उत्तर प्रदेश के महराजगंज निचलौल के बैदौली निवासी किसान वृद्धिचंद सोशल मीडिया के जरिये अपनी तस्वीर बदल रहे हैं. (फोटो-ZeeBiz)
उत्तर प्रदेश के महराजगंज निचलौल के बैदौली निवासी किसान वृद्धिचंद सोशल मीडिया के जरिये अपनी तस्वीर बदल रहे हैं. (फोटो-ZeeBiz)
उत्तर प्रदेश के महराजगंज (Maharajganj) निचलौल के बैदौली निवासी किसान वृद्धिचंद (Vradhichand) सोशल मीडिया के जरिये अपनी तस्वीर बदल रहे हैं. किसान वृद्धिचंद आज उन किसानों के लिए रोल मॉडल साबित हो रहे हैं जो फूल और पौधों की खेती से मोटी कमाई कर रहे हैं.
किसान वृद्धिचंद का नर्सरी (nursery) का काम है और वह अपनी नर्सरी में फूल और पौधे तैयार करते हैं. परंपरागत तरीके से नर्सरी करने से उनकी बस किसी तरह से गुजर-बसर हो रहा था. 6 महीने पहले अपने एक मित्र के सुझाव पर उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये फूल और पौधों की बिक्री शुरू की. फिर क्या देखते ही देखते वृद्धिचंद का नर्सरी का छोटा सा काम एक कारोबार बन गया और आज उनकी नर्सरी के पौधों की महक न केवल महराजगंज में है बल्कि आसपास के कई राज्यों में बिखर रही है.
सोशल मीडिया (Social Media) के जरिये किसान वृद्धिचंद हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल के करीब सैकड़ों ग्राहकों को पौधे बेच चुके हैं. ऑनलाइन फूल और पौधों की डिलीवरी से उनकी आमदनी में भी अब काफी इजाफा हुआ है.
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भारत-नेपाल सीमा से चलता है ऑनलाइन फूलों का कारोबार
भारत नेपाल की सीमा से सटे बैदौली से किसान वृद्धिचंद अपने ऑनलाइन फूलों और पौधों का कारोबार चलाते हैं. निचलौल नगर पंचायत से सटे बैदौली गांव में वृद्धिचंद पिछले 6 महीनों से ऑनलाइन पौधे बेच रहे हैं.
13 वर्ष पहले उन्होंने 18 डिसमिल जमीन से फलदार पौधों की नर्सरी तैयार कर आसपास गांवों में पौधे बेचना शुरू किया था. काम बढ़ा तो उन्होंने विदेशी फूल और पौधे भी मंगाने शुरू कर दिए. नर्सरी से आमदनी बढ़ने से उन्होंने अपने परिवार के साथ मिलकर निचलौल क़स्बे में 18 डिसमिल जमीन में ग्रीनहॉउस बनाकर दूसरी नर्सरी शुरू कर दी.
दोस्त के कहने पर शरू की ऑनलाइन बिक्री
किसान वृद्धिचंद पहले अपनी नर्सरी के फूलों और पौधों को सिर्फ आस-पास के गांवों में बेच पाते थे. लेकिन दोस्त के कहने पर ग्रीन इंडिया हाईटेक नर्सरी के नाम से विज्ञापन देकर प्रचार-प्रसार शुरू किया. और दखते ही देखते उनका कारोबार चल निकला. वृद्धिचंद बताते हैं कि पौधों के दाम, पैकिंग चार्ज और कुरियर खर्च का भुगतान वह पेटीएम से या बैंक खाते में मंगा लेते हैं.
ऑनलाइन फूलों की बढ़ी मांग
ऑनलाइन बिक्री से शहरों में फूलों की मांग बढ़ गई है. वृद्धिचंद न केवल ऑनलाइन फूल और पौधों की बिक्री कर रहे हैं बल्कि अपनी नर्सरी के वीडियो भी यू-ट्यूब पर डाल रहे हैं. ग्राहक यू-ट्यूब पर देखकर पौधे और फूल पसंद करके उन्हें ऑर्डर दे देते हैं.
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ऑनलाइन पौधों की बिक्री से वृद्धिचंद के जीवन में एक नया बदलाव आया है और उनकी कमाई में भी इजाफा हुआ है.
(रिपोर्ट- अमित त्रिपाठी/ महराजगंज)
10:25 AM IST