Zomato, Swiggy, Meesho... यूं ही नहीं तमाम Startup हो रहे हैं Profitable, जानिए क्या है वजह
आज के वक्त में स्टार्टअप (Startup) कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. वहीं इस बीच तमाम स्टार्टअप के नतीजे सामने आ रहे हैं. इनमें से बहुत सारे ऐसे स्टार्टअप हैं जो मुनाफा दर्ज कर रहे हैं, जबकि कुछ नुकसान उठा रहे हैं. पिछले कुछ सालों में स्टार्टअप्स नुकसान उठाते जा रहे थे और मुनाफे के बारे में नहीं सोच रहे थे.
आज के वक्त में स्टार्टअप (Startup) कल्चर तेजी से बढ़ रहा है. वहीं इस बीच तमाम स्टार्टअप के नतीजे सामने आ रहे हैं. इनमें से बहुत सारे ऐसे स्टार्टअप हैं जो मुनाफा दर्ज कर रहे हैं, जबकि कुछ नुकसान उठा रहे हैं. पिछले कुछ सालों में स्टार्टअप्स नुकसान उठाते जा रहे थे और मुनाफे के बारे में नहीं सोच रहे थे. हालांकि, पिछले साल यानी 2022 की दूसरी छमाही में स्टार्टअप्स ने मुनाफे पर विचार करना शुरू कर दिया है. इस साल यानी 2023 में बहुत सारे स्टार्टअप मुनाफे में आ चुके हैं. मीशो, जोमैटो, स्विगी, मामाअर्थ जैसे कई स्टार्टअप हैं जिन्होंने मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है. अब एक सवाल ये है कि आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि एक के बाद एक तमाम स्टार्टअप प्रॉफिटेबल (Profitable) हो रहे हैं. आइए जानते हैं.
छंटनी से की जा रही कॉस्ट-कटिंग
पिछले कुछ महीनों में छंटनी का एक दौर सा चला है. हर स्टार्टअप छंटनी में लगा हुआ है. कुछ वक्त पहले ही रिक्रूटमेंट और स्टाफिंग फर्म CIEL HR ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार 2023 के शुरुआती 6 महीनों में ही 70 स्टार्टअप ने लगभग 17 हजार लोगों के नौकरी से निकाल दिया. छंटनी का ये सिलसिला अभी तक जारी है. आए दिन किसी ना किसी स्टार्टअप से छंटनी की खबर आ रही है. इन सारी छंटनी की वजह से कंपनियों का खर्च घटा है और उसकी वजह से भी वह मुनाफे की ओर कदम बढ़ा रही हैं. हालांकि, यह अकेली वजह नहीं है, जिसकी वजह से कोई स्टार्टअप मुनाफे में आ रहा है. इसके अलावा भी कई वजहें हैं, जो स्टार्टअप को मुनाफे में ला रही हैं.
फंडिंग विंटर भी है एक बड़ी वजह
तमाम स्टार्टअप में छंटनी होने की एक बड़ी वजह ये है कि अभी फंडिंग विंटर चल रहा है. फंडिंग ना मिल पाने की वजह से बहुत सारे स्टार्टअप्स के लिए खर्चे चलाना मुश्किल होता जा रहा है. ऐसे में इन स्टार्टअप्स ने पहला काम तो ये किया है कि उन्होंने अपने बिजनेस को फैलाना यानी बिजनेस विस्तार करना रोक दिया है. अपनी स्टार्टअप कोशिश कर रहे हैं कि उनका जितना बड़ा बिजनेस है, उसे ही ठीक से करते हुए पहले मुनाफा कमाएं. फंडिंग विंटर के चलते कहीं से पैसे आने की उम्मीद भी बहुत कम है, इसलिए अब बिजनेस को बचाने का सिर्फ यही रास्ता है कि उसे प्रॉफिटेबल बनाया जाए या कम से कम ब्रेक ईवन तक तो ले ही जाया जाए.
आईपीओ के लिए भी प्रॉफिटेबल होना जरूरी
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फंडिंग विंटर का मतलब है कि निवेशक अब स्टार्टअप्स में कम पैसे लगा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अगर बात बाजार यानी स्टॉक मार्केट की करें तो वहां पर अभी भी पैसों की कोई कमी नहीं है. ऐसे में मीशो और बैंक बाजार जैसे तमाम बड़े स्टार्टअप्स को ये साफ दिख रहा है कि आईपीओ लाकर अभी भी मार्केट से ढेर सारा पैसा जुटाया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए अच्छे वैल्युएशन की जरूरत है, ताकि तगड़ी रकम उठाई जा सके. इस तगड़े वैल्युएशन को हासिल करने के लिए अब स्टार्टअप मुनाफे की ओर भाग रहे हैं, ताकि खुद को एक मुनाफा कमाने वाले स्टार्टअप की तरह पेश कर सकें और उन्हें बाजार से पैसा मिल सके. मामाअर्थ इसका ताजा उदाहरण है, जो कुछ समय पहले ही मुनाफे में आया और अब उसने आईपीओ भी जारी कर दिया है.
मुनाफे में आने की हर मुमकिन कोशिश
मुनाफे में आने के लिए तमाम स्टार्टअप हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. छंटनी करना भी उसी का हिस्सा है. वहीं स्विगी-जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म्स ने कुछ अतिरिक्त कमाई के लिए प्लेटफॉर्म फीस लगाना भी शुरू कर दिया है. मिंत्रा जैसे प्लेटफॉर्म अब कन्वेनिएंस फीस लेने लगे हैं, ताकि कम से कम ऑर्डर रिटर्न हों और कंपनी की कुछ अतिरिक्त कमाई हो सके. तमाम फूड डिलीवरी ऐप कोई ना कोई मेंबरशिप भी लॉन्च कर रहे हैं. खबर है कि नायका ने भी एक कन्वेनिएंस फीस लेना शुरू कर दिया है. कोशिश यही है कि जैसे-तैसे अब बस तमाम स्टार्टअप मुनाफा कमाने लगें, वरना इस फंडिंग विंटर में बिजनेस को बचाना मुश्किल हो जाएगा.
करीब एक तिहाई रह गई फंडिंग राउंड की संख्या
भारतीय स्टार्टअप्स की फंडिंग (Startup Funding) में इस साल की पहली छमाही (H1) यानी जनवरी से जून की अवधि तक में करीब 72 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में सामने आ रहा है, जिसे Tracxn Geo Semi-Annual Report: India Tech- H1 2023 नाम की रिपोर्ट में पब्लिश किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार पहली छमाही में भारत के स्टार्टअप्स को सिर्फ 5.5 अरब डॉलर की फंडिंग ही मिली है.
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि फंडिंग राउंड की संख्या में भी गिरावट देखने को मिली है. इस साल की पहली छमाही में करीब 536 फंडिंग राउंड हुए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में ये आंकड़ा 1500 था, जो पिछले साल दूसरी छमाही में 946 रह गया था. Tracxn की को-फाउंडर नेहा सिंह कहती हैं कि इस गिरावट के बावजूद भारत तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और भारत के स्टार्टअप-ईकोसिस्टम में अभी काफी तेजी से बढ़ने की क्षमता है.
01:52 PM IST