लॉकडाउन को किसानों ने अवसर में बदला, रोजाना कर रहे हैं हजारों रुपए की कमाई
दरवेश भारत के पास कुल 9 एकड़ जमीन है. 7 एकड़ जमीन में फल एवं सब्जियां लगाई हुई हैं.
दरवेश ने खेती को आधुनिक तरीके से करना शुरू किया.
दरवेश ने खेती को आधुनिक तरीके से करना शुरू किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में कोरोना संकट को अवसर में बदलने की बात कही थी. उन्होंने कहा था, 'एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं. इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है.'
प्रधानमंत्री के इस संदेश को हरियाणा (Haryana) एक किसान ने बखूबी समझा और उसे अपने जीवन में उतारा भी. हिसार (Hisar) जिले के एक गांव सुरेवाला के रहने वाले एक युवा किसान लॉकडाउन के समय का सही इस्तेमाल किया और खेती के तरीके में बदलाव करते हुए बीते दो महीनों में अपनी आमदनी में इजाफा किया.
आलम यह है कि आज यह किसान अपने खेत से ही हजारों रुपये रोजाना की कमाई कर रहा है.
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गांव सुरेवाला के रहने वाले किसान दरवेश भारत ने पढ़े-लिखे नौजवान हैं. जब वह नौकरी के क्षेत्र में अपना करियर तलाश कर रहे थे, तभी देश में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लग गया.
दरवेश भारत बताते हैं कि लॉकडाउन में उन्होंने इधर-उधर भटकर समय खराब न करके अपने खेतों में ही कुछ नया करने की सोची. इसके लिए दरवेश ने अपने खेतों में ही डेरा जमा लिया.
इस दौरान दरवेश ने खेती को आधुनिक तरीके से करना शुरू किया. उन्होंने आधुनिक तकनीकों का फायदा उठाते हुए अपने खेतों में पैदा होने वाली सब्जी की ऑनलाइन रिटेल बिक्री शुरू कर दी.
दरवेश भारत के पास कुल 9 एकड़ जमीन है. 7 एकड़ जमीन में फल एवं सब्जियां लगाई हुई हैं. इन दिनों तरबूज, खरबूजा, लोकी, हरी मिर्च, तोरी, खीरा, टमाटर समेत कई तरह की सब्जियां बिक्री खेत से ही की जा रही है.
दरवेश ने बताया कि रोजाना औसतन 15 हजार रुपये की सब्जियां बिक जाती हैं. खरीदार खेत पर ही आकर सब्जियां ले जाते हैं. सब्जियों का मंडी भाव जानने के लिए वह अपने स्मार्टफोन की मदद लेते हैं और मंडी में जो रेट होता है उसके मुताबिक, खेत से ही सब्जियों की बिक्री करते हैं.
दरवेश बताते हैं कि उनके पास जो भी तरकारी तैयारी होती है, उसकी सूचना अपने फोन से भी खरीदारों के पास भेज देते हैं.
दरवेश ने अपने कुछ खेतों में बागबानी शुरू कर दी है. यहां उन्होंने फलों के पेड़ लगाए हैं और ये पड़े अगले 1-2 सालों में फल देना शुरू कर देंगे.
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वह कृषि मंत्रालय समेत अपने नजदीक के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं. उन्हें सारी जानकारी वेबसाइट या किसान ऐप से मिलती रहती है.
(रिपोर्ट- रोहित कुमार/ हिसार)
02:46 PM IST