Indian Railway: नहीं बदला जाएगा इस रेलवे स्टेशन का नाम, रेल मंत्रालय ने दी ये जानकारी
रेल मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जानकारी दी गई कि वर्द्धमान स्टेशन (बीडब्ल्यूएन) का नाम बदलने के किसी प्रस्ताव पर रेल मंत्रालय में विचार नहीं किया जा रहा है. मंत्रालय ने बताया कि वर्तमान निर्देशों के तहत भारतीय रेल के किसी स्टेशन के नाम बदलने का अधिकार गृह मंत्रालय के अधीन है.
रेलवे नहीं बदलेगा इस रेलवे स्टेशन का नाम (फाइल फोटो)
रेलवे नहीं बदलेगा इस रेलवे स्टेशन का नाम (फाइल फोटो)
रेल मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जानकारी दी गई कि वर्द्धमान स्टेशन (बीडब्ल्यूएन) का नाम बदलने के किसी प्रस्ताव पर रेल मंत्रालय में विचार नहीं किया जा रहा है. मंत्रालय ने बताया कि वर्तमान निर्देशों के तहत भारतीय रेल के किसी स्टेशन के नाम बदलने का अधिकार गृह मंत्रालय के अधीन है.
रेल मंत्रालय को नहीं मिला कोई पत्र
राज्य सरकार की सिफारिश के आधार पर गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत के महासर्वेक्षक और डाक विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने के पश्चात नाम बदलने की प्रक्रिया प्रारंभ करता है. वहीं वर्द्धमान स्टेशन (बीडब्ल्यूएन) का नाम बदलने के लिए इस संबंध में रेल मंत्रालय को गृह मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए कोई पत्र नहीं मिला है.
भगत सिंह के साथी थे बटुकेश्वर दत्त
गौरतलब है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि आजादी के लिए लड़ाई में भगत सिंह के साथी रहे क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त के नाम पर पश्चिम बंगाल के बर्धमान स्टेशन का नाम होगा. शहीद बटुकेश्वर दत्त के परिवार में उनकी बेटी भारती बागची इकलौती परिजन हैं.
आजादी की लड़ाई में मिली थी उम्र कैद
बटुकेश्वर 18 नवंबर 1910 बर्धमान में जन्मे, लेकिन बाद में बिहार आ गए थे. वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े और भगत सिंह के साथ आठ अप्रैल 1929 को नेशनल असेंबली में बम फोड़ कर पर्चे बांटे. उन्हें गिरफ्तार किया गया. भगत सिंह को फांसी दी गई तो बटुकेश्वर को उम्रकैद मिली और उन्हें अंडमान-निकोबार स्थित जेल भेज दिया गया. वे 1945 में रिहा हुए और पटना में बस गए. 20 जुलाई 1965 में बटुकेश्वर की मृत्यु दिल्ली एम्स में हुई, यहां एक कॉलोनी उनके नाम पर बनाई गई है.
बटुकेश्वर 18 नवंबर 1910 बर्धमान में जन्मे, लेकिन बाद में बिहार आ गए थे. वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े और भगत सिंह के साथ आठ अप्रैल 1929 को नेशनल असेंबली में बम फोड़ कर पर्चे बांटे. उन्हें गिरफ्तार किया गया. भगत सिंह को फांसी दी गई तो बटुकेश्वर को उम्रकैद मिली और उन्हें अंडमान-निकोबार स्थित जेल भेज दिया गया. वे 1945 में रिहा हुए और पटना में बस गए. 20 जुलाई 1965 में बटुकेश्वर की मृत्यु दिल्ली एम्स में हुई, यहां एक कॉलोनी उनके नाम पर बनाई गई है.
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Reported By:
विवेक तिवारी
Written By:
ज़ीबिज़ वेब टीम
Updated: Wed, Jul 31, 2019
11:12 AM IST
11:12 AM IST
नई दिल्ली
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