क्या होती है Power of Attorney? जानें कितने तरह की होती है और किसमें काम आती है पावर ऑफ अटॉर्नी ?
Power of Attorney: पावर ऑफ अटॉर्नी के अंडर जो जिस भी व्यक्ति को अपॉइंट किया जाता है उसे प्रिंसिपल, डोनर, या फिर ग्रांटर कहा जाता है. तो चलिए जानते हैं कब होती है इसकी जरुरत.
क्या होती है Power of Attorney? जानें कितने तरह की होती है और किसमें काम आती है पावर ऑफ अटॉर्नी ?
क्या होती है Power of Attorney? जानें कितने तरह की होती है और किसमें काम आती है पावर ऑफ अटॉर्नी ?
Power of Attorney: पावर ऑफ अटॉर्नी एक जरूरी लीगल डॉक्यूमेंट है जिसके जरिए एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपनी प्रॉपर्टी को मैनेज करने के लिए अपॉइंट कर सकता है. इसे प्रॉपर्टी का मालिक या कोई व्यक्ति अपनी शक्तियों का ट्रांसफर किसी दूसरे व्यक्ति को करने के लिए करता है. ताकि वह उसके स्थान पर जरूरी फैसले कर सके. पावर ऑफ अटॉर्नी के अंडर जो जिस भी व्यक्ति को अपॉइंट किया जाता है उसे प्रिंसिपल, डोनर, या फिर ग्रांटर कहा जाता है. अधिकृत व्यक्ति को एजेंट या फिर पावर ऑफ अटॉर्नी एजेंट कहा जाता है. नियमों और शर्तों के आधार पर ऑथराइज्ड एजेंट के पास प्रॉपर्टी से जुड़े लीगल निर्णय लेने के अधिकार होते हैं.
किसे बनाया जा सकता है पावर ऑफ अटॉर्नी
कोई भी ऐसा व्यक्ति जिस पर आप आंख बंद करके भरोसा कर सकते हैं उसे आप पावर ऑफ अटॉर्नी बना सकते हैं. वह व्यक्ति काफी जिम्मेदार, भरोसेमंद, 18 साल की उम्र से बड़ा और निर्णय लेने में सही होना चाहिए.
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पॉवर ऑफ अटॉर्नी का फायदा
इसका फायदा यह है कि अगर आप विदेश में नौकरी कर कर रहे हैं, आपके लिए हमेशा अपने देश आना-जाना मुमकिन नहीं है. लेकिन आपके पास कोई प्रॉपर्टी है जिसे आप बेचना चाहते हैं तो अगर आपने किसी को पॉवर ऑफ अटॉर्नी बना रखा है तो वह आपके प्रॉपर्टी से जुड़े फैसले ले सकता है या प्रॉपर्टी बेच सकता है. इसके अलावा टैक्स रिटर्न फाइल करना, शेयरों का लेन-देन करना, बैंकिंग से जुड़े कामकाज को निपटाना. ये बुजुर्ग या बहुत ज्यादा बीमार लोगों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है.
4 तरह के होते हैं पावर ऑफ अटॉर्नी
भारत में पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी एक्ट-1982 के तहत ही पॉवर ऑफ अटॉर्नी जारी की जाती है. इसके तहत 4 तरह की पावर ऑफ अटॉर्नी इश्यू करने का प्रावधान है.
1. कन्वेंशनल पावर ऑफ अटॉर्नी- इसे जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) भी कहा जाता है. इस इंस्ट्रूमेंट के अंडर व्यक्ति किसी एक खास जिम्मेदारी के लिए ही अपॉइंट होता है जो कि एक निश्चित समय के लिए ही वैलिड होता है.
2. ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी- इसे लाइफटाइम के हिसाब से चुना जाता है. इस के अंडर एजेंट के पास तब भी फैसले लेने की पावर होती है जब ग्रांटर अनफिट होता है. इस तरह के POA तब तक कंटिन्यू रखे जाते हैं जब तक ग्रांटर की मृत्यु न हो जाए या फिर उनकी तरफ प्लान कैंसिल न किया जाए. जैसे कि ग्रांटर अपने इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो को मैनेज करने के लिए एजेंट अपॉइंट कर सकते हैं.
3. स्प्रिन्गिंग पावर ऑफ अटॉर्नी- इसे किसी खास इवेंट, डेट या फिर कंडीशन के लिए स्प्रिन्गिंग पावर ऑफ अटॉर्नी का उपयोग किया जाता है. खासतौर पर जब ग्रांटर फैसला लेने में असमर्थ हों. उदाहरण के लिए कोई रिटायर्ड मिलिट्री पर्सन डिसएबल होने पर एक PoA एजेंट को अपॉइंट कर सकते हैं
4. मेडिकल पावर ऑफ अटॉर्नी - मेडिकल पावर ऑफ अटॉर्नी स्प्रिन्गिंग और ड्यूरेबल पावर ऑफ अटॉर्नी के अंडर आती है. इस तरह के इंस्ट्रूमेंट को सामान्यत हेल्थकेयर से जुड़े मामलों में यूज किया जाता है. लेकिन इस अपॉइंट करने के लिए व्यक्ति को हेल्दी स्टेट ऑफ माइंड में होना जरूरी है.
06:08 PM IST