VPF: इन्वेस्टमेंट के लिए अच्छा ऑप्शन है वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड, सेविंग्स के साथ टैक्स बचत की भी मिलती है सुविधा
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Thu, Jan 20, 2022 04:43 PM IST
Voluntary Provident fund: नौकरीपेशा के लिए पीएफ यानी प्रोविडेंट फंड काफी काम का है. इसमें कर्मचारी अपनी सैलरी से हर महीने एक हिस्सा निवेश करते हैं. वहीं, एम्प्लॉयर भी उतना ही हिस्सा कर्मचारी के खाते में जमा करते हैं. लेकिन, एक ऑप्शन और है जिससे प्रोविडेंट फंड (EPF) का डबल फायदा लिया जा सकता है. ये है वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड, जो एक तरह से प्रोविडेंट फंड ही है. लेकिन इसके नियम, लिमिट और शर्तें PF से अलग हैं.
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EPF कटने का तरीका
EPF में एंप्लॉयर (Employer) और एम्प्लॉई (Employee) दोनों का ही योगदान होता है, इसमें इंप्लॉई की बेसिक सैलरी+DA का 12-12 फीसदी अंश होता है. हालांकि एंप्लॉयर के 12 फीसदी योगदान में से 8.33% इंप्लॉई पेंशन स्कीम (EPS) में जाता है और अन्य हिस्सा एम्प्लॉई के PF में जमा होता है. हालांकि यदि कोई एम्प्लॉई अपनी तरह से भविष्य निधि में योगदान बढ़ाना चाहता है तो ऐसा वह वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF) के जरिए कर सकता है.
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क्या होता है VPF?
जब कर्मचारी EPF में 12% से ज्यादा PF अकाउंट में योगदान करता है तो उसे VPF (Voluntary Provident Fund) कहते हैं. कर्मचारी चाहे तो अपनी बेसिक सैलरी का 100% अमाउंट VPF में कॉन्ट्रीब्यूट कर सकता है. लेकिन एंप्लॉयर इसमें योगदान करने के लिए बाध्य नहीं है. VPF की सेवा सिर्फ वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए ही है.
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कैसे उठाएं वीपीएफ का फायदा?
VPF का फायदा लेने के लिए इंप्लॉई अपने कंपनी के HR से संपर्क करें और बताएं कि उन्हें कितना योगदान करना है. अगर कंपनी में VPF की सुविधा अवेलबल होगी तो HR आपको एक फॉर्म भरने के लिए देंगे. फॉर्म में आप कंट्रीब्यूशन करने की रकम लिखकर HR को दे देंगे. बता दें कि यह प्रक्रिया फाइनेंशियल ईयर शुरू होते समय होती है. एम्प्लॉई चाहे तो हर साल VPF में कंट्रीब्यूशन करने वाली रकम में संशोधन कर सकते हैं.
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80C के तहत टैक्स में छूट
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