Investment Planning: इन्वेस्टमेंट्स की कई स्कीम्स के जरिए आप न सिर्फ अपने बेहतर भविष्य के लिए बचत बल्कि टैक्स सेविंग भी कर सकते हैं. PPF, NSC, ELS आदि बेहतर रिटर्न देते हैं. ज्यादातर लोग निवेश के लिए सुरक्षित जगह की ओर रुखकरते हैं. वो चाहते हैं कि वो ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करे, जहां टैक्स की छूट तो मिले ही, साथ ही रिस्क कम हो. अगर आप भी ऐसी स्किम्स में निवेश करना चाहते हैं तो हम बता रहे हैं कि आप कहां अपनी मेहनत की कमाई लगा सकते हैं.
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पब्लिक प्रोविडेंट फंड
हर साल पब्लिक प्रोविडेंट फंड में 1.5 लाख तक निवेश करने से आप टैक्स बेनिफिट का फायदा उठा सकते हैं. मान लीजिये की आप 25 साल की उम्र से रिटायरमेंट की 60 साल की उम्र तक सालाना 1.5 लाख रुपये निवेश करते हैं. जिसपर PPF आपको 7.10% का रिटर्न देती है. तो आपके रिटायरमेंट तक PPF Investment लगभग 2 करोड़ के ऊपर हो जाएगा. इससे भी अच्छी बात है की अगर आप Highest 30 फीसदी के टैक्स ब्रैके में आते हैं तो सालाना 45000 रुपये की सेविंग भी कर सकेंगे.
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नेशनल पेंशन स्कीम
नेशनन पेंशन स्कीम भी टैक्स सेविंग के लिए अच्छा विकल्प है. इसमें निवेश करने पर सेक्शन 80CCD (1B) के तहत टैक्स में 50,000 रुपये का डिडक्शन मिलता है. वहीं कोई व्यक्ति अपनी एनपीएस में अपनी सैलरी के कॉन्ट्रीब्यूशन का 20 फीसदी तक टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकता है. खास बात ये है कि इसके तहत मिलने वाले रिटर्न को टैक्स से छूट मिलती है. निवेशक के रिटायर होने या 60 साल पूरा होते ही यह अकाउंट मैच्योर हो जाता है. मैच्योरिटी के बाद खाते में जमा हुई रकम का 60 फीसदी तक निकाल सकते हैं.
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इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम
ELSS का मतलब है Equity Linked Savings Schemes (ELSS) इसे आप tax saver mutual fund के तौर पर ले सकते हैं, खासकर इसमें आप इक्विटी में निवेश करते हैं. हालांकि PPF के मुकाबले ELSS में रिटर्न बदलता रहता है, इसलिए इसमें मिलने वाले रिटर्न रेट की गारंटी नहीं होती. यह मार्केट के हिसाब से बदलता रहता है. आप इसमें हर महीने 2000 या 3000 रुपये का निवेश करके भी इसे शुरू कर सकते हैं. वहीं आप अपने सैलरी में हो रहे बदलावों के हिसाब से भी इसमें निवेश करने के अमाउंट में बदलाव ला सकते हैं.
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नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट
भारतीय डाक की तरफ से चलने वाली यह निवेश योजना काफी प्रचलित है. पोस्ट ऑफिस के नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) में निवेश पर सालाना आधार पर इंटरेस्ट मिलता है. इसमें ब्याज की गणना सालाना आधार पर होती है, लेकिन ब्याज की राशि निवेश के मैच्योरिटी होने पर ही दी जाती है. नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट में जमा राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर छूट मिलती है.
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