Short Term Funds पर बेहतर रिटर्न के साथ मिलेगी पोर्टफोलियो को स्टैबिलिटी, SIP के लिए इन 4 फंड्स को चुना गया
इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी के बीच Short Term Mutual Funds अन्य डेट फंड्स के मुकाबले बेहतर रिटर्न दे रहे हैं. शॉर्ट टर्म फंड्स की अवधि 1-3 सालों की होती है. आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने निवेशकों के लिए चार फंड्स में निवेश की सलाह दी है.
Short Term Mutual Funds: इंटरेस्ट रेट में जिस तरह बढ़ोतरी हो रही है, वह डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) के लिए निगेटिव फैक्टर है. यही वजह है कि म्यूचुअल फंड एडवाइजर्स शॉर्ट टर्म फंड्स (Short Term Funds) में निवेश की सलाह देते हैं. इन फंड्स में 1-3 साल के लिए निवेश की सलाह दी जाती है. ये डेट फंड्स ही होते हैं और इंटरेस्ट रेट का असर कम होता है. मिलने वाला रिटर्न फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट (Fixed Income Investment) के मुकाबले बेहतर होता है. ये फंड्स आपके पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखते हैं और रिटर्न को बढ़ाने में मदद करते हैं. पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लिए इन फंड्स का महत्व ज्यादा होता है.
फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले बेहतर रिटर्न
फाइनेंशियल एक्सपर्ट (Financial Experts) की सलाह होती है कि अगर आपके पास एक्सेस फंड है, जिसकी जरूरत कम से कम अगले 12-18 महीने के लिए नहीं है तो शॉर्ट टर्म फंड्स (Short Term Funds) में निवेश किया जा सकता है. बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट (Bank Fixed Deposits) के मुकाबले रिटर्न बेहतर मिलेगा और आपका पोर्टफोलियो भी सुरक्षित रहेगा. अगर शॉर्ट ड्यूरेशन म्यूचुअल फंड्स में तीन साल से ज्यादा निवेश करते हैं तो टैक्स में भी मदद मिलती है.
Short Term Funds की अवधि 1-3 साल होती है
SEBI के मुताबिक, Short Term Funds की अवधि 1-3 सालों की होती है. अगर कोई निवेशक डेट फंड्स में निवेश की शुरुआत करना चाहता है, वैसे निवेशकों के लिए यह सही विकल्प है. निवेशक रेग्युलर इनकम के लिए SWP यानी सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान को भी अपना सकते हैं.
इन 4 फंड्स में निवेश की सलाह
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ब्रोकरेज फर्म आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने शॉर्ट टर्म फंड्स के तहत Aditya Birla Sun Life Short Term Fund, HDFC Short Term Debt Fund, ICICI Prudential Short Term Fund और Nippon India Short Term Fund में निवेश की सलाह दी है.
Short Term Funds के लिए टैक्स रूल
Short Term Funds पर लगने वाले टैक्स की बात करें तो डेट फंड्स के टैक्सेशन का नियम ही लागू होता है. निवेशकों को डिविडेंड और कैपिटल गेन का डबल बेनिफिट मिलता है. अगर निवेशक 3 साल से पहले म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचता है तो कैपिटल गेन निवेशक की टोटल इनकम में जुड़ जाती है. वह जिस टैक्स ब्रैकेट में आता है, उसी हिसाब से टैक्स लगेगा. 3 साल के बाद यूनिट बेचने पर जो कैपिटल गेन होगा वह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहलाता है. इसमें इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है. टैक्स रेट 20 फीसदी फिक्स्ड है.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. यहां निवेश की सलाह नहीं दी गई है. निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
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05:25 PM IST