डिजिटाइजेशन के दौर में क्यों जरूरी है साइबर इंश्योरेंस, क्या-क्या होता है कवर- जानें सबकुछ
डिजिटलाइजेशन के इस दौर में हर बिजनेस और सर्विस डिजिटल मोड को अपना रही है. महामारी ने इसमें और इजाफा किया है जिससे पूरी दुनिया पूरी तरह से ऑनलाइन हो गई है.
आज के दौर में पैसों के लेनदेन, डेटा शेयरिंग से लेकर ऑनलाइन क्लासेस तक सब कुछ वर्चुअल है. इंटरनेट के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. इंटरनेट पर इतनी ज्यादा डिपेन्डेंसी के साथ साइबर अटैक और धोखाधड़ी का खतरा बढ़ गया है. पिछले कुछ सालों में साइबर क्राइम के मामलों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. भारत साइबर क्राइम से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है. इसलिए साइबर इंश्योरेंस का रोल बढ़ गया है. साइबर इंश्योरेंस नेटवर्क आधारित घटना के कारण होने वाले किसी भी नुकसान से बचाने के लिए इंश्योरर और एक कंपनी के बीच कॅान्ट्रेक्ट है. इसे बिजनेस को साइबर अटैक से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है. ये साइबर अटैक या सिक्योरिटी ब्रीच होने के बाद कॅास्ट को कवर करके रिस्क को कम करता है. साइबर इंश्योरेंस साइबर ब्रीच से जुड़े खर्चों और कानूनी लागतों को कवर करता है. जिसमें सिस्टम की हैकिंग, डेटा चोरी और किसी ऑर्गनाइजेशन की जरुरी जानकारी का लॅास शामिल हो सकता है.
क्या होता है इसमें कवर
साइबर इंश्योरेंस सीधे साइबर सिक्योरिटी ब्रीच से होने वाले फर्स्ट और थर्ड पार्टी की लाएबिलिटी को कवर करता है. ये डेटा उल्लंघनों, साइबर हमलों, ह्यूमन एरर, बिजनेस डिसरप्शन और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्लेम के कारण होने वाले खर्चों को कवर करता है. कवर किए गए खर्चों में इमर्जेंसी रिस्पॅास कॅास्ट, इवेंट मैनेजमेंट कॅास्ट, अधिसूचना लागत, बिजनेस लॅास और रिकवरी कॅास्ट शामिल हैं.
साइबर बीमा कवरेज कितने तरह के होते हैं
इंश्योरेंस प्रोवाइडर उद्योग और कंपनी की जरुरतों के आधार पर कस्टमाइज प्लान देते हैं. बायर की जरूरतों के अनुसार स्कीम पेश की जाती हैं.
फर्स्ट पार्टी एक्सपेंस
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
साइबर इंश्योरेंस फर्स्ट पार्टी के खर्चों को कवर करता है. जिसमें डायरेक्ट फाइनेंशियल लॅास, व्यापार रुकावट लागत, मिटिगेशन लागत के लिए कवर, रिकवरी कॅास्ट, क्रेडिट मॅानिटरिंग, सिस्टम डैमेज और एडिशनल कॅास्ट शामिल हैं.
रेगुलेटरी इन्वेस्टीगेशन कवर
इसमें इन्वेस्टिगेशन कॅास्ट, वकील की फीस, एडमिन कॅास्ट, GDPR एक्सपेंस शामिल हैं.
क्राइसिस मैनेजमेंट एक्सपेंस
इन खर्चों में फोरेंसिक आईटी ऑडिट, स्टेकहोल्डर नोटिफिकेशन, सुरक्षा परामर्श, रेप्युटेशन डैमेज कवर, सेवा प्रदाताओं के साथ समन्वय, क्रेडिट और आईडेंटिटी थेफ्ट, मोनिटरिंग कवर, साइबर एक्सटॅार्सन, रैंसमवेयर कवर, साइबर स्टॉकिंग और परामर्श के कॅास्ट शामिल हैं.
प्राइवेसी और डेटा लाएबिलिटी क्लेम
ये कंपनी की ओर से किसी एरर, प्राइवेसी, डेटा या सेफ्टी ब्रीच से डायरेक्ट होने वाले नुकसान के लिए कंपनी की थर्ड पार्टी लीगल लाएबिलिटी को कवर करता है. जिससे मानहानि, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) उल्लंघन और मुकदमा हो सकता है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
01:30 PM IST