₹12 लाख तक की Salary पर नहीं लगेगा कोई Tax, सैलरी पर मिलने वाले फायदों और NPS का ऐसे करें इस्तेमाल
अगर आप हर निवेश और रीइम्बर्समेंट को अधिकतम सीमा तक इस्तेमाल करें तो मुमकिन है कि आप 12 लाख रुपये तक की सैलरी पर भी टैक्स छूट पा लें, यानी आपकी सैलरी पर जीरो टैक्स (Zero tax on rs. 12 lakh salary) हो जाएगा.
आयकर रिटर्न फाइल (Income Tax Return) करने का दौर शुरू हो चुका है. जिन लोगों पर टैक्स (Tax) देनदारी आ रही है, वह सोच रहे हैं कि अगर थोड़ा पहले से प्लान किया होता तो फायदा टैक्स कम कटता या नहीं कटता. अगर आप टैक्स की प्लानिंग (Tax Planning) साल शुरू होने के साथ ही शुरू कर दें तो आप काफी सारा टैक्स बचा सकते हैं. कई बार तो आपकी सैलरी पर टैक्स जीरो (Zero Tax) भी हो सकता है. इसके लिए आप इनकम टैक्स अधिनियम के तहत मिलने वाले डिडक्शन (Tax Deductions) और एग्जेम्प्शन (Tax Exemptions) का इस्तेमाल कर सकते हैं. साथ ही आपको अपने सैलरी स्ट्रक्चर को भी ऐसा करवाना होगा कि आपको अधिक से अधिक रीइम्बर्समेंट का फायदा मिल सके. अगर आप हर निवेश और रीइम्बर्समेंट को अधिकतम सीमा तक इस्तेमाल करें तो मुमकिन है कि आप 12 लाख रुपये तक की सैलरी पर भी टैक्स छूट पा लें, यानी आपकी सैलरी पर जीरो टैक्स (Zero tax on rs. 12 lakh salary) हो जाएगा.
सबसे पहले अपने सैलरी स्ट्रक्चर पर करें काम
साल की शुरुआत होने के दौरान अक्सर सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव का विकल्प मिलता है. आप खुद से तय कर सकते हैं कि आपको कितने पैसे रीइम्बर्समेंट में चाहिए और कितने पैसे टैक्सेबल सैलरी की तरह. रीइम्बर्समेंट में कन्वेंस, एलटीए, फूड-कूपन या इंटरटेनमेंट, इंटरनेट या फोन बिल और पेट्रोल जैसे विकल्प मिलते हैं. टैक्स बचाने में एक अहम रोल निभाता है एचआरए. आइए जानते हैं इन सब की मदद से आप कैसे अपना टैक्स बचा सकते हैं.
पहले समझते हैं कितने एचआरए का मिल सकता है फायदा
जब आप एचआरए क्लेम कर रहे हों तो आपको 3 तरह के आंकड़े निकालने होते हैं. उनमें से जो भी आंकड़ा सबसे कम होता है, उस पर आपको टैक्स छूट मिलती है.
- जो एचआरए कंपनी की तरफ से सैलरी में दिया गया है, उसे क्लेम किया जा सकता है.
- मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी का 50 फीसदी और नॉन मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी का 40 फीसदी तक एचआरए क्लेम कर सकते हैं.
- आपके कुल रेंट में से बेसिक सैलरी का 10 फीसदी घटाने के बाद जो राशि बचती है, उतना एचआरए आप क्लेम कर सकते हैं.
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अगर आप किसी मेट्रो शहर में रहते हैं तो आज के वक्त में 15-20 हजार रुपये घर का किराया होना आम बात है. मान लेते हैं कि आपके घर का किराया 20 हजार रुपये है, जो आपकी मंथली सैलरी का करीब 20 फीसदी है. वहीं बेसिक सैलरी आपके सीटीसी की करीब 50 फीसदी होती है तो मान लेते हैं कि आपकी बैसिक सैलरी करीब 6 लाख रुपये है. ऐसे में ऊपर बताई 3 सिचुएशन में आपका एचआरए कुछ इस तरह होगा.
- कंपनी की तरफ से आमतौर पर बेसिक सैलरी का करीब 40 फीसदी एचआरए मिलता है. यानी आपको करीब 2.4 लाख रुपये एचआरए मिलेगा.
- मेट्रो शहर में रहने की वजह से आप 50 फीसदी यानी 3 लाख रुपये तक एचआरए ले सकते हैं.
- 20 हजार रुपये के हिसाब से आपका सालाना किराया होता है करीब 2.4 लाख रुपये. इसमें से बेसिक सैलरी का 10 फीसदी यानी 60 हजार रुपये घटाने के बाद आपका अमाउंट आता है 1.8 लाख रुपये.
अब देखा जाए तो इन तीनों आंकड़ों में 1.8 लाख रुपये सबसे कम है, तो इतने पैसों पर आप एचआरए के तहत छूट पा सकते हैं.
लीव ट्रैवल अलाउंस
इसका फायदा आप 4 साल में दो बार ले सकते हैं. इसके तहत आपके कहीं घूमने जा सकते हैं और आने-जाने के किराए पर आपको लीव ट्रैवल अलाउंस का फायदा मिल सकता है. अमूमन कंपनियों की तरफ से बेसिक सैलरी का करीब 10 फीसदी लीव ट्रैवल अलाउंस की तरह दिया जाता है. अब आपकी 6 लाख रुपये बेसिक सैलरी है तो आपको करीब 60 हजार रुपये का लीव ट्रैवल अलाउंस मिल जाएगा. अगर सालाना के हिसाब से एवरेज निकालें तो आपको करीब 30 हजार रुपये पर टैक्स छूट मिलेगी. अगर आपकी सैलरी में लीव ट्रैवल अलाउंस शामिल नहीं है तो उसे शामिल कराएं, ताकि आप उसका फायदा उठा सकें. ध्यान रहे, अगर आप 30 फीसदी के स्लैब में आ जाते हैं तो आप एलटीए की मदद से बहुत सारे पैसे बचा सकते हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि आपके घूमने की टिकट एलटीए की मदद से आपको एक तरह से 30 फीसदी सस्ती मिलेगी.
रीइम्बर्समेंट जरूर लें
तमाम कंपनियों की तरफ से बहुत सारी चीजें कर्मचारियों को रीइम्बर्समेंट की तरह दी जाती हैं. आइए जानते हैं एक-एक कर के सबके बारे में और समझते हैं आप कितने पैसे बचा सकते हैं.
कन्वेंस रीइम्बर्समेंट: इसके तहत आपको कंपनी की तरफ से आमतौर पर करीब 1-1.5 लाख रुपये तक का रीइम्बर्समेंट मिल सकता है. मान लेते हैं कि आपकी कंपनी आपको 1.5 लाख रुपये का कन्वेंस रीइम्बर्समेंट देती है, तो इतने पैसे आपके लिए नॉन-टैक्सेबल हो जाएंगे.
इंटरनेट बिल: आज के वक्त में लगभग हर बिजनेस को इंटरनेट ब्रॉडबैंड की जरूरत होती है. अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट ब्रॉडबैंड आपको 700-1000 रुपये प्रतिमाह में मिल ही जाता है. ऐसे में करीब इतने ही पैसे कंपनी रीइम्बर्समेंट में भी देती है. अगर आपकी सैलरी में यह कंपोनेंट नहीं है तो इसे सैलरी में शामिल कराएं और टैक्स छूट पाएं. मान लेते हैं कि इसके तहत आपको 1000 रुपये प्रतिमाह यानी सालाना 12000 रुपये तक को नॉन-टैक्सेबल बना सकते हैं.
फूड या एंटरटेनमेंट रीइम्बर्समेंट: पहले ये रीइम्बर्समेंट फूड कूपन की तरह मिला करता था, जो अब आप अपना खाने-पीने का बिल दिखाकर उसके बदले हासिल कर सकते हैं. इससे तहत कंपनी आमतौर पर करीब 2000 रुपये प्रति माह यानी 24 हजार रुपये सालाना आसानी से दे देती है.
यूनीफॉर्म, फ्यूल, बुक्स और अन्य: अलग-अलग कंपनियां यूनीफॉर्म, फ्यूल, बुक्स, मैगजीन, पेपर आदि के नाम पर भी कुछ रीइम्बर्समेंट देती हैं. एक बार अपनी कंपनी के एचआर से बात करें और पूछें कि क्या वहां ये सुविधाएं हैं. अगर आपको ये रीइम्बर्समेंट मिलते हैं तो आपक कुछ और पैसों पर टैक्स बचा पाएंगे. आम तौर पर इन सबमें मिलाकर आपको 1000-2000 रुपये तक का रीइम्बर्समेंट मिल सकता है. मान लेते हैं आपको सिर्फ 1000 रुपये प्रतिमाह रीइम्बर्समेंट ही मिलता है तो भी आपको सालाना 12 हजार रुपये पर टैक्स ना देने का फायदा मिलेगा.
कई डिडक्शन भी मिलते हैं आपको
इनकम टैक्स एक्ट के तहत आपको कुछ डिडक्शन भी मिलते हैं जो आपकी टैक्सेबल सैलरी को कम करने में मददगार साबित होते हैं.
1- सबसे पहले तो हर नौकरीपेशा को 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है. मतलब आपकी जितनी भी सैलरी हो, उसमें से आंख बंद कर के 50 हजार रुपये यूं ही कम कर दीजिए.
2- दूसरा सबसे बड़ा डिडक्शन मिलता है 80C का, जिसके तहत आप 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट पा सकते हैं. इसमें पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, एनपीएस, बच्चे की ट्यूशन फीस, जीवन बीमा प्रीमियम आदि आते हैं. मान लेते हैं कि आप इस पूरी सीमा का इस्तेमाल करते हैं और 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम करते हैं.
3- इसके बाद 80CCD(1B) के तहत आपको NPS में अतिरिक्त 50 हजार रुपये के निवेश का फायदा मिलता है. तो आप अपने भविष्य को सुरक्षित करते हुए कुछ अतिरिक्त टैक्स बचा सकते हैं.
4- आज के वक्त में हर कोई हेल्थ इंश्योरेंस तो लेता ही है. सेक्शन 80D के तहत आप खुद के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेकर 25 हजार रुपये तक पर टैक्स बचा सकते हैं. साथ ही माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेकर भी 25 हजार रुपये पर टैक्स बचा पाएंगे. यानी इसके तहत आपका कुल डिडक्शन 50 हजार रुपये तक हो सकता है. अगर आपके माता-पिता 65 साल की उम्र से अधिक के हैं तो आपको उनके लिए डिडक्शन 50 हजार रुपये मिलेगा. ऐसे में आप 75 हजार रुपये तक टैक्स बचा पाएंगे. फिलहाल के लिए मानते हैं कि आप 80D के तहत कुल 50 हजार रुपये पर टैक्स बचा पाएंगे.
अब समझिए कैलकुलेशन को
इस कैलकुलेशन के कुल 4 हिस्से हैं. पहला है एचआरए, जिसके तहत आपको 1.80 लाख रुपये तक पर टैक्स छूट मिलेगी. दूसरा हिस्सा है रीइम्बर्समेंट का. अगर ऊपर बताए गए सारे रीइम्बर्समेंट को जोड़ दें तो आप कुल 1.98 लाख रुपये का रीइम्बर्समेंट पा सकते हैं. वहीं तीसरा हिस्सा है डिडक्शन का. तमाम सेक्शन के तहत मिलने वाले डिडक्शन को जोड़ लें तो आपको कुल 3 लाख रुपये का डिडक्शन मिलेगा. इसके अलावा चौथा हिस्सा लीव ट्रैवल अलाउंस है, जिस पर आप 4 साल में दो बार ही फायदा ले सकते हैं. तो अगर सालाना के हिसाब से एवरेज निकालें तो आपको करीब 30 हजार रुपये पर टैक्स छूट मिलेगी. यानी आपकी सैलरी में से सीधे-सीधे 7.08 लाख रुपये पर टैक्स नहीं लगेगा.
आपकी सालाना सैलरी थी 12 लाख रुपये, जिसमें से 7.13 लाख रुपये पर टैक्स नहीं लगेगा. ऐसे में आपकी टैक्सेबल सैलरी बचती है 4.92 लाख रुपये. आपकी टैक्सेबल सैलरी 5 लाख रुपये से कम है, इसलिए इस पर आपको 87A के तहत रिबेट भी मिलेगी. बता दें कि 2.5 लाख रुपये तक की सैलरी पर किसी को भी टैक्स नहीं देना होता है, वहीं 2.5 से 5 लाख रुपये तक की सैलरी पर 5 फीसदी टैक्स लगता है, लेकिन अगर आपकी कुल टैक्सेबल सैलरी 5 लाख या उससे कम है तो सरकार आपको 2.5 लाख रुपये तक पर रिबेट देती है यानी आपको 12,500 रुपये तक का टैक्स नहीं चुकाना होता है. इस तरह आपका सारा टैक्स जीरो हो जाता है. अब आपकी टैक्सेबल सैलरी बनी है 4.92 लाख रुपये, जो 5 लाख रुपये से कम है, तो आपको भी इस रिबेट का फायदा मिलेगा और आपकी टैक्स देनदारी जीरो (0) हो जाएगी.
12:25 PM IST