Health Insurance: हेल्थ इंश्योरेंस में क्या होता है डिडक्टिबल, किसे होता है फायदा और कौन फंस जाता है इसमें?
हेल्थ इंश्योरेंस लगभग हर कोई लेता है. किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी भी है. अगर आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं होगा और आप बीमार पड़ जाते हैं, जिसकी वजह से आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़े, तो इसमें आपका बहुत सारा पैसा बर्बाद हो सकता है.
हेल्थ इंश्योरेंस लगभग हर कोई लेता है. किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेना जरूरी भी है. अगर आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस नहीं होगा और आप बीमार पड़ जाते हैं, जिसकी वजह से आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़े, तो इसमें आपका बहुत सारा पैसा बर्बाद हो सकता है. वहीं अगर आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस है तो यह सारा खर्चा आपकी इंश्योरेंस कंपनी उठाती है और आप पर इसका कोई बोझ नहीं पड़ता. जब कभी आप इंश्योरेंस लेने जाते हैं तो कई बार आपको डिडक्टिबल सुनने को मिलता होगा. आइए जानते हैं क्या होता है डिडक्टिबल और कहां होता है इसका इस्तेमाल.
जानिए क्या होता है डिडक्टिबल?
जैसा कि आप इसके नाम से ही समझ सकते हैं कि इसमें कुछ घटाया जा रहा है. दरअसल, डिडक्टिबल वह अमाउंट होता है, जिसे किसी इंश्योरेंस क्लेम की स्थिति में आपको खुद चुकाना होता है और उसके बाद का बचा हिस्सा इंश्योरेंस कंपनी चुकाती है. इसे एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपने 5 लाख रुपए की पॉलिसी ली हुई है, जिसमें 2 लाख रुपए का डिडक्टिबल अमाउंट तय किया गया है. अगर आप 5 लाख रुपए का इंश्योरेंस क्लेम करते हैं, तो पहले आपको 2 लाख रुपए खुद से चुकाने होंगे. यह पैसे आप अपनी बचत से दे सकते हैं या फिर अपनी कॉरपोरेट पॉलिसी से चुका सकते हैं. वहीं इसके बाद बचे हुए 3 लाख रुपए इंश्योरेंस कंपनी चुका देगी. इस तरह 2 लाख रुपए डिडक्टिबल रहेगा और बचा हुआ 3 लाख रुपए इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से चुकाया जाएगा.
दो तरह के होते हैं डिडक्टिबल
हेल्थ इंश्योरेंस में दो तरह के डिडक्टिबल होते हैं. पहला है अनिवार्य डिडक्टिबल और दूसरा है स्वैच्छिक डिडक्टिबल.
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अनिवार्य डिडक्टिबल
इसमें इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से यह तय किया जाता है कि कितना डिडक्टिबल अमाउंट रहेगा. उतना पैसा इंश्योरेंस क्लेम की स्थिति में आपको चुकाना होगा और उसके बाद का बचा हुआ पैसा इंश्योरेंस कंपनी चुकाएगी.
स्वैच्छिक डिडक्टिबल
इसमें इंश्योरेंस कंपनी तय नहीं करती है कि डिडक्टिबल अमाउंट कितना रहेगा. डिडक्टिबल अमाउंट का चुनाव करने का विकल्प ग्राहक को दिया जाता है. ग्राहक अपने हिसाब से तय करता है कि उसकी पॉलिसी में कितना अमाउंट डिडक्टिबल रखना है. हालांकि, यह ध्यान रखने की बात है कि जैसे-जैसे डिडक्टिबल अमाउंट घटता जाता है, वैसे-वैसे प्रीमियम बढ़ता जाता है.
डिडक्टिबल से होते हैं क्या फायदे?
पॉलिसी में डिडक्टिबल होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप कम प्रीमियम में अधिक सम इंश्योर्ड यानी कवरेज वाला इंश्योरेंस पा सकते हैं. देखा जाए तो पॉलिसी में डिडक्टिबल अमाउंट रखने से आपको बेहतर कवरेज पाने में मदद मिलती है. आप जितना ज्यादा डिडक्टिबल रखेंगे, आपका प्रीमियम उतना ही कम होता चला जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक डिडक्टिबल होने की स्थिति में यह मुमकिन है कि आपका क्लेम डिडक्टिबल अमाउंट तक ही सीमित रह जाए और इंश्योरेंस कंपनी से उसे क्लेम करने की जरूरत ही ना पड़े.
किसे लेनी चाहिए डिडक्टिबल की सुविधा?
डिडक्टिबल की सुविधा उसे लेनी चाहिए, जिसके पास उसकी कंपनी की तरफ से कोई छोटी पॉलिसी हो. जैसे मान लीजिए कि आपकी कॉर्पोरेट पॉलिसी 3 लाख रुपए की ही है, लेकिन आप चाहते हैं कि इसे बढ़ाकर 10 लाख या 15 लाख किया जाए. ऐसे में आप 10 लाख रुपये की पॉलिसी ले सकते हैं, जिसमें 3 लाख रुपए डिडक्टिबल अमाउंट तय कर सकते हैं. इस तरह आपको कम प्रीमियम में अधिक कवरेज भी मिल जाएगा और आप डिटेक्टिबल का फायदा उठा सकेंगे. अगर आपके पास कोई दूसरी पॉलिसी नहीं है, जिससे आप डिडक्टिबल का भुगतान कर सकें, तो आपको इस सुविधा से दूर ही रहना चाहिए.
08:04 PM IST