EPF या NPS: रिटायरमेंट की प्लानिंग के लिए कौन सा विकल्प है बेहतर
रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम (NPS) दोनों ही निवेशकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं.
ईपीएफओ ने 2018 में 8.55 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया, जबकि एनपीएस बाजार से जुड़ा प्रोडक्ट है (फोटो- Pixabay).
ईपीएफओ ने 2018 में 8.55 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया, जबकि एनपीएस बाजार से जुड़ा प्रोडक्ट है (फोटो- Pixabay).
रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम (NPS) दोनों ही निवेशकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. इन योजनाओं के जरिए आप रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों के लिए एक बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं. दोनों ही विकल्पों में टैक्स बेनिफिट मिलते हैं और दोनों ही सरकारी योनजाएं हैं. ऐसे में सवाल ये है कि रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग के लिए दोनों में बेहतर विकल्प कौन सा है.
ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) अपने खाताधारकों को यह विकल्प देता है कि यदि वे एक महीने बेरोजगार रहते हैं तो अपने ईपीएफ फंड से 75 प्रतिशत तक पैसा निकाल सकते हैं. इसके बाद 2 महीने तक और बेरोजगार रहने पर बाकी 25 प्रतिशत पैसा भी निकाला जा सकता है. बच्चों की पढ़ाई या शादी जैसी खास जरूरतों में ईपीएफ से पैसा निकाला जा सकता है.
एनपीएस खाते दो तरह के होते हैं. पहला टियर वन और दूसरा टियर टू. टियर वन खाते में एक लॉक-इन पीरियड होता है, जबकि टियर-टू खातों में कोई लॉक-इन पीरियड नहीं होता है. 18 से 65 साल के सभी भारतीय एनपीएस खाते खोल सकते हैं. एनआरआई भी एनपीएस खाते खोल सकते हैं.
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ईपीएफ और एनपीएस- दोनों में बेहतर कौन है?
1. ईपीएफओ के बारे में ट्रस्टी फैसला करते हैं और ब्याज दर तय करते हैं. ईपीएफओ ने 2018 में 8.55 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया, जबकि एनपीएस बाजार से जुड़ा प्रोडक्ट है. आपके पोर्टफोलियो का प्रदर्शन इक्विटी और डेट बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है.
2. 20 से अधिक कर्मचारियों वाली सभी कंपनी के लिए ईपीएफ अनिवार्य है, जबकि एनपीएस केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है. हालांकि प्राइवेट कंपनियां भी इसे ले सकती हैं.
3. ईपीएफ के तहत किए गए 1.5 लाख तक के योगदान पर आयकर की धारा 80सी के तहत कर लाभ मिलता है, जबकि एनपीएस खाताधारक आयकर की धारा 80 सीसीडी (1) के तहत 2 लाख तक के निवेश पर कर लाभ पा सकते हैं.
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4. ईपीएफ खाताधारकों को अपना फंड मैनेजर चुनने की इजाजत नहीं है, जबकि एनपीएस में ये सुविधा है. इस समय 7 फंड मैनेजर हैं- एचडीएफसी पेंशन फंड, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल पेंशन, कोटक पेंशन फंड, एलआईसी पेंशन फंड, रिलायंस कैपिटल पेंशन, एसबीआई पेंशन फंड और यूटीआई रिटायरमेंट सॉल्यूशंस. एनपीएस खाताधारक अपने फंड मैनेजर को बदल भी सकते हैं.
09:44 AM IST