देश में डॉक्टरों की नहीं होगी कमी, खुलेंगे 75 नए मेडिकल कॉलेज, मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी
कैबिनेट की बैठक में देशभर में 75 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का फैसला किया गया. देश के ऐसे इलाके जहां मेडिकल कॉलेज नहीं हैं, वहां ये कॉलेज खोले जाएंगे.
देशभर में 75 नए मेडिकल कॉलेजों पर 24000 करोड़ खर्च किए जाएंगे. 75 नए कॉलेज खुलने से एमबीबीएस की 15700 नई सीटें तैयार होंगी.
देशभर में 75 नए मेडिकल कॉलेजों पर 24000 करोड़ खर्च किए जाएंगे. 75 नए कॉलेज खुलने से एमबीबीएस की 15700 नई सीटें तैयार होंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. कैबिनेट ने देश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए कई क्षेत्रों में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश को मंजूरी दी. इसके अलावा देश में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए 75 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का भी फैसला किया गया.
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और पीयूष गोयल ने मीडिया को कैबिनेट के फैसलों के बारे में जानकारी दी.
75 नए मेडिकल कॉलेज खुलेंगे
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में देशभर में 75 नए मेडिकल कॉलेज खोलने का फैसला किया गया. देश के ऐसे इलाके जहां मेडिकल कॉलेज नहीं हैं, वहां ये कॉलेज खोले जाएंगे. उन्होंने बताया कि नए मेडिकल कॉलेजों पर 24000 करोड़ खर्च किए जाएंगे. 75 नए कॉलेज खुलने से एमबीबीएस की 15700 नई सीटें तैयार होंगी.
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प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि पिछले 5 सालों में एमबीबीएस और एमडी की 45,000 नई सीट बढ़ाई गई हैं. पिछले कार्यकाल में 82 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए थे. इस बार 75 नए कॉलेज खोले जाएंगे.
60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात करने का फैसला
मोदी सरकार ने चीनी मिलों को 60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात करने के लिए एक्सपोर्ट सब्सिडी देने का फैसला भी किया है. शुगर एक्सपोर्ट सब्सिडी पर 6268 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश ने बताया कि शुगर एक्सपोर्ट सब्सिडी का पैसा चीनी मिलों को नहीं दिया जाएगा, बल्कि यह पैसा उन गन्ना किसानों के खाते में सीधे जमा किया जाएगा जिनका चीनी मिलों पर भुगतान बकाया है. उन्होंने बताया कि इस बार देश में 162 लाख मीट्रिक टन चीनी का स्टॉक है.
कोयला खनन में 100 फीसदी FDI
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए किए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बीते 5 सालों में 286 मीलियन डॉलर का एफडीआई भारत में आया है. यह निवेश पिछली सरकार (कांग्रेस सरकार) के कार्यकाल से डेढ़ गुना है. साल 2018-19 में 64.37 विलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ था, जो कि अब तक का सबसे ज्यादा एफडीआई है.
उन्होंने बताया कि एफडीआई को प्रोत्साहन देने के लिए कई फैसले लिए गए हैं. कोल माइनिंग, कोयला की बिक्री और कोयला से जुड़े तमाम कामों के लिए शत-प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी गई है. कोल माइनिंग से जुड़े सहायक कामों जैसे कोल वाशिंग, थ्रेशिंग, कोल हैंडलिंग आदि कामों में भी 100 फीसदी एफडीआई को हरी झंडी दिखा दी गई है.
कॉन्ट्रेक्ट्र मैन्युफैक्चरिंग में 100% एफडीआई
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि भारत को मेन्यूफेकचरिंग हब बनाने के लिए कई फैसले लिए गए हैं. कॉन्ट्रेक्ट्र मेन्यूफेकचरिंग में भी 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है. यह नीति छोटे-बड़े सभी मेन्यूफेक्चर पर लागू होगी.
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उन्होंने बताया कि जो बाहर की कंपनियां यहां आकर निर्माण करना चाहती हैं, उनके लिए बनाई पॉलिसी में कुछ सुधार किए गए हैं.
कॉन्ट्रेक्ट्र मेन्यूफेकचरिंग में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश को मंजूरी दी गई है. अभी तक जो कंपनी खुद मेन्यफेकचरिंग करती थी, उसको तो 100 फीसदी एफडीआई था, लेकिन जो कंपनी किसी तीसरी पार्टी से कॉन्ट्रेक्ट पर किसी सामान को तैयार करवाती थी, उसके लिए एफडीआई नहीं था.
उन्होंने बताया कि आज काम करने का तरीका बदल रहा है. कई कंपनियां किसी बड़े निर्माता के पास कॉन्ट्रेक्ट पर अपना सामान तैयार करवाती हैं. ऐसे कॉन्ट्रेक्टर को अभी तक एफडीआई नहीं था, लेकिन अब सरकार ने सभी छोटे-बड़े कॉन्ट्रेक्ट निर्माताओं को 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दे दी है.
08:14 PM IST