Twin Tower Noida Case: ट्विन टावर बनाने में कितने रुपये हुए थे खर्च, केस न होता तो आज 1000 करोड़ से ज्यादा होती वैल्यू
Supertech Twin Towers Noida: उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर 93ए (Noida Sector 93A) में बना सुपरटेक का ट्विन टावर अब सिर्फ कुछ ही देर बाद गिरा दिया जाएगा. सिर्फ एक बटन दबाते ही 32 और 31 मंजिल वाले ट्विन टावर महज कुछ सेकेंडों में मलबे का ढेर बन जाएंगे.
Twin Tower Noida Case: ट्विन टावर बनाने में खर्च हुए थे 300 करोड़, केस न होता तो आज 1000 करोड़ से ज्यादा होती वैल्यू (PTI)
Twin Tower Noida Case: ट्विन टावर बनाने में खर्च हुए थे 300 करोड़, केस न होता तो आज 1000 करोड़ से ज्यादा होती वैल्यू (PTI)
Supertech Twin Towers Noida: उत्तर प्रदेश के नोएडा सेक्टर 93ए (Noida Sector 93A) में बना सुपरटेक का ट्विन टावर अब सिर्फ कुछ ही देर बाद गिरा दिया जाएगा. सिर्फ एक बटन दबाते ही 32 और 31 मंजिल वाले ट्विन टावर महज कुछ सेकेंडों में मलबे का ढेर बन जाएंगे. आपको जानकर हैरानी होगी कि नोएडा के सेक्टर 93A को नई पहचान देने वाले इस टावर को सिर्फ गिराने-गिराने में करीब 17 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. टावर को गिराने के लिए 3700 हजार किलो बारूद में ब्लास्ट किया जाएगा, टावर के कोने-कोने में भरा गया है. अब जरा सोचिए, इस टावर को गिराने में 17 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं तो इसे बनाने में कितने रुपये खर्च हुए होंगे.
कोर्ट में विवाद के बावजूद 700-800 करोड़ रुपये तक थी ट्विन टावर की मार्केट वैल्यू
दिल्ली से सटे नोएडा में बनाए गए इस टावर की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी ज्यादा है. टीवी टुडे नेटवर्क की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुपरटेक एमाराल्ड कोर्ट में बने इस ट्विन टावर को बनाने के लिए 200 से 300 करोड़ रुपये तक खर्च किए गए थे. कोर्ट में जब इस टावर को लेकर विवाद चल रहा था, तब इसकी मार्केट वैल्यू में काफी गिरावट आ गई थी. कोर्ट ने जब इस टावर को गिराने का फैसला सुनाया, उससे ठीक पहले तक इस 950 फ्लैट्स वाले दो टावर की मार्केट वैल्यू गिरने के बावजूद 700 से 800 करोड़ रुपये तक थी. रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स की मानें तो नोएडा के जिस इलाके में ये टावर हैं, वहां जमीन की कीमत 10 हजार रुपये प्रति वर्ग फीट है. अगर सुपरटेक के इस टावर को लेकर कोई विवाद नहीं होता तो आज इसकी मार्केट वैल्यू 1000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा होती.
देश के सभी बिल्डरों के लिए सबक है ट्विन टावर डेमोलीशन
हालांकि, सुपरटेक ने ट्विन टावर बनाने के लिए अधिकारियों के साथ मिलकर नियम-कानूनों की खुलेआम धज्जियां उड़ाईं. नतीजन, आज ये टावर धूल और मिट्टी का सिर्फ ढेर बनकर रह जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले से साफ कर दिया है कि कानून से बड़ा कोई नहीं है अब वह चाहे सुपरटेक जैसा देश का नामी बिल्डर ही क्यों न हो.
12:56 PM IST