SBI Report: जानिए क्या होती है जीडीपी, ये कैसे आप पर डालती है असर?
जब भी किसी देश की अर्थव्यवस्था का जिक्र आता है, तो जीडीपी का जिक्र जरूर किया जाता है. जीडीपी से ही किसी देश की अर्थव्यवस्था को समझा जाता है. जानिए जीडीपी होती क्या है और ये आपके जीवन को किस तरह से प्रभावित करती है?
जानिए क्या होती है जीडीपी, ये कैसे आप पर डालती है असर (Zee Biz)
जानिए क्या होती है जीडीपी, ये कैसे आप पर डालती है असर (Zee Biz)
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि 2029 में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का टैग मिलने की संभावना है. साल 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था की रैंकिंग 10वीं थी, ऐसे में अगर भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनता है, तो ये 2014 के बाद से 7 स्थान ऊपर होगा. रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 13.5 फीसदी रही है.
ये तो रही रिसर्च रिपोर्ट की बात, लेकिन जब भी किसी देश की अर्थव्यवस्था का जिक्र आता है, तो जीडीपी का जिक्र जरूर किया जाता है. जीडीपी से ही किसी देश की अर्थव्यवस्था को समझा जाता है. हम सब भी कई बार देश की जीडीपी की चर्चा करते हैं, लेकिन क्या वाकई ये समझते हैं कि जीडीपी होती क्या है और ये आपके जीवन को किस तरह से प्रभावित करती है? आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.
India is likely to get the tag of the 3rd largest economy in 2029, a movement of 7 places upwards since 2014 when India was ranked 10th, stated Research Report from the State Bank of India’s Economic Research Department pic.twitter.com/MmaAv6kCHk
— ANI (@ANI) September 3, 2022
आसान शब्दों में समझिए जीडीपी
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जीडीपी यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट. किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल वैल्यू को जीडीपी या सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है. जीडीपी से किसी देश के घरेलू उत्पादन का व्यापक मापन होता है और देश की आर्थिक स्थिति को समझा जाता है और ये पता किया जाता है कि सालभर में देश ने आर्थिक रूप से कैसा प्रदर्शन किया है. किन कारणों से इसमें तेजी या गिरावट आयी है. आमतौर पर जीडीपी की गणना सालाना की जाती है, लेकिन भारत में हर तीन महीने में इसका आकलन किया जाता है.
आप पर कैसे डालती है असर
जीडीपी के आंकड़े सुस्त होना किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं माना जाता. इसका सीधा सा मतलब है कि पिछले साल के मुक़ाबले पर्याप्त सामान का उत्पादन नहीं किया और सेवा क्षेत्र में भी गिरावट रही. जीडीपी कम होने से लोगों की आर्थिक आय प्रभावित होती है. नौकरियों के नए अवसर ज्यादा नहीं होते, बल्कि नौकरियों में छंटनी की संभावना बढ़ जाती है. बचत और निवेश कम हो जाता है. इसका सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों पर पड़ता है. तमाम लोग गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं. लोगों की औसत आय कम हो जाती है. देश की बढ़ती आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मध्यम आमदनी वाले देशों के लिए साल दर साल जीडीपी ग्रोथ हासिल करना जरूरी है.
भारत में कैसे होती है जीडीपी की गणना
भारत में कृषि, उद्योग और सेवा इन तीन अहम हिस्सों के आधार पर जीडीपी का तिमाही आकलन किया जाता है. देश के कुल निर्यात में से कुल आयात को घटाया जाता है और प्राप्त आंकड़ों को देशभर में कुल उत्पादन, व्यक्तिगत उपभोग, व्यवसाय में कुल निवेश और सरकार द्वारा देश के अंदर किए गए खर्च के साथ जोड़ दिया जाता है. इसे देश की जीडीपी कहा जाता है.
12:48 PM IST