Raksha Bandhan: देश-विदेश में धूम मचा रही हैं बाराबंकी की राखियां, अमेजन पर हो रही जबरदस्त बिक्री, दीदियां कर रहीं बंपर कमाई
Barabanki Rakhi: बाराबंकी जिले के फतेहपुर ब्लॉक में हजारों महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूहों में काम कर रही हैं. इन महिलाओं को जिला प्रशासन की तरफ से ऐसे उत्पाद बनाने के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराया जाता है, जिनकी त्योहारों के दौरान अधिक मांग होती है.
बाराबंकी की महिलाओं द्वारा बनाई जा रही राखियों ने मचाई धूम (PTI)
बाराबंकी की महिलाओं द्वारा बनाई जा रही राखियों ने मचाई धूम (PTI)
Barabanki Rakhi: स्वयं सहायता समूहों की दीदियां आत्मनिर्भरत भारत की तरफ कदम बढ़ा रही हैं. इनके हाथों से तैयार उत्पाद अब सिर्फ जिले में ही नहीं बल्कि देश-विदेश के बाजारों में भी धूम मचा रहे हैं. समूह की दीदियों द्वारा तैयार किए जाने वाले उत्पादों का अंतरराष्ट्रीय बाजार से लिंक-अप होने के कारण महिलाओं की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो रही है क्योंकि समूह की दीदियों को खुद के हाथों से बनाए गए उत्पाद की बिक्री के लिए न तो परेशान होना पड़ रहा है और न ही बाजारों में भटकना पड़ रहा है. दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन पर इन उत्पादों की बिक्री की जा रही है.
स्वयं सहायता समूहों में काम कर रहीं बाराबंकी की हजारों महिलाएं
बाराबंकी जिले के फतेहपुर ब्लॉक में हजारों महिलाएं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में काम कर रही हैं. इन महिलाओं को जिला प्रशासन की तरफ से ऐसे उत्पाद बनाने के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराया जाता है, जिनकी त्योहारों के दौरान अधिक मांग होती है. दीपावली में दीपक, होली में सूखे रंग और गुलाल के बाद अब वे रक्षाबंधन के लिए राखी बना रही हैं.
राखी बनाकर रोजाना 300 से 400 रुपये कमा रही हैं महिलाएं
इससे समूह की ये महिलाएं पैसा कमाने और अपनी आय में बढ़ोतरी करने के लिए सक्षम हो गई हैं. अपनी इस कामयाबी पर वे सभी काफी खुश हैं. इन महिलाओं का कहना है कि पहले वे घर पर ही रहती थीं और घर का खर्च चलाने के लिए अपने पति या परिवार की कमाई पर ही निर्भर थीं. लेकिन जब से वे राखी बनाने वाले स्वयं सहायता समूह में शामिल हुई हैं, वे एक दिन में 300 रुपये से लेकर 400 रुपये तक कमा ले रही हैं. इस कमाई से वे सभी काफी खुश हैं क्योंकि अब वे आत्मनिर्भर हो गई हैं. वे अपने पैसों का इस्तेमाल घर का खर्च चलाने में करती हैं.
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फतेहपुर ब्लॉक में पिछले दो महीने से बन रही हैं राखियां
फतेहपुर ब्लॉक में करीब 900 स्वयं सहायता समूह हैं जिन्होंने 2020 में अपना संचालन शुरू किया है. यहां राखी बनाने का काम करीब दो महीने से चल रहा है. स्थानीय और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर इन राखियों की मांग काफी ज्यादा है. ये राखियां अमेजॉन पर भी उपलब्ध हैं. इसमें टैक्स और अमेजन के कमीशन को छोड़कर शेष धनराशि समूह की दीदी को दी जा रही हैं.
ऑनलाइन बिक्री शुरू होने से बढ़ गई महिलाओं की आमदनी
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के उपायुक्त बीके मोहन ने बताया कि पहले महिलाएं हाथ से सामान बनाती थीं. जिन्हें कम दाम पर क्षेत्रीय व्यापारी खरीद कर अधिक दाम पर बेचते थे. अब इन्हें इनकी मेहनत का उचित दाम मिल रहा है. अब स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के प्रोडक्ट की ऑनलाइन बिक्री शुरू हो गई है और राखियों की डिमांड भी आने लगी हैं. इससे समूह की महिलाएं स्वयं के हाथों से तैयार हो रहे उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त कर कर रही हैं.
12:44 PM IST