पीएम मोदी ने दी ओडिशा को 13,000 करोड़ रुपये का तोहफा, देश में बनेगी कोयले से गैस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को तालचर उर्वरक संयंत्र के पुनरोद्धार के लिए 13,000 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना की आधारशिला रखी.
यह कारखाना 36 माह में उत्पादन शुरू कर देगा. (फोटो : ANI)
यह कारखाना 36 माह में उत्पादन शुरू कर देगा. (फोटो : ANI)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को तालचर उर्वरक संयंत्र के पुनरोद्धार के लिए 13,000 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना की आधारशिला रखी. प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि यह कारखाना 36 माह में उत्पादन शुरू कर देगा. इस संयंत्र में पहली बार कोयले को गैस में तब्दील कर कच्चेमाल के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा और उससे नीम-लेपित यूरिया का उत्पादन किया जाएगा. इससे प्राकृतिक गैस एवं यूरिया के आयात में कटौती और भारत को इस उर्वरक के मामले में आत्म-निर्भर बनाने में मदद मिलेगी.
इस मौके पर आयोजित एक समारोह में मोदी ने कहा, 'उन्होंने (संयंत्र के प्रबंधन) मुझे बताया कि 36 माह में उत्पादन शुरू हो जाएगा. मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैं 36 महीने बाद आपके (जनता) पास फिर वापस आऊंगा और इस का उद्घाटन करूंगा.' प्राकृतिक गैस और उर्वरक को लेकर देश की आयात पर निर्भरता को कम करने की बात पर जोर देते हुए मोदी ने कहा, 'हमारा मकसद भारत को वृद्धि की नई ऊंचाइयों तक ले जाना है.'
उन्होंने कहा कि उर्वरक संयंत्र जैसी परियोजनाओं की भारत की विकास गाथा में केंद्रीय भूमिका है. उन्होंने कहा, 'इस संयंत्र में नवीनतम प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल होगा.' मोदी ने कहा कि संयंत्र में काम की शुरुआत से उन सपनों को साकार किया जा सकेगा जिन्हें बहुत पहले ही पूरा किया जाना चाहिए था.
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इस परियोजना से 12.7 लाख टन नीम-लेपित यूरिया का उत्पादन हो सकेगा. इसमें ‘कोल-गैसीफिकेशन’ प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा, 'इस ‘काले हीरे’ कोयले को गैस में बदलने के लिए भारत में पहली बार कोल-गैसीफिकेशन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे प्राकृतिक गैस उर्वरक के आयात में कमी लाने में मदद मिलेगी.' उन्होंने कहा कि इस परियोजना से करीब 4,500 लोगों के लिए रोजगार पैदा होगा.
मोदी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के एक समूह द्वारा इस परियोजना को लागू किया जा रहा है. यह इस बात का बड़ा उदाहरण है कि देश के ‘रत्न’ कैसे एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं. भाजपा नीत राजग सरकार ने 2002 में भारतीय उर्वरक निगम की तालचर उर्वरक परियोजना को बंद कर दिया था. उस समय बिजली की कमी तथा बेमेल और पुरानी पड़ चुकी प्रौद्योगिकी के कारण इस संयंत्र को चलाना नुकसानदेह साबित हो रहा था.
अगस्त 2011 में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने इस संयंत्र में जान फूंकने का फैसला किया था. तालचर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड नाम की नई कंपनी का गठन किया गया, जिसमें गेल, कोल इंडिया लिमिटेड, राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स और एफसीआईएल नाम की चार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां साझेदार हैं. इस मौके पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह भारत का पहला कोल-गैसीफिकेशन प्रौद्योगिकी आधारित उर्वरक संयंत्र है. यहां प्रतिदिन 23.8 करोड़ घन मीटर गैस का उत्पादन किया जाएगा. इसके लिए घरेलू कोयेले का उपयोग किया जाएगा और पर्यावरण सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाएगा. इससे देश के प्राकृतिक गैस आयात बिल में सालाना 1,620 करोड़ रुपये की कटौती की जा सकेगी. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि इस संयंत्र के 50% उत्पाद का उपयोग राज्य में ही किया जाएगा.
इनपुट भाषा से
05:00 PM IST