Ambedkar Jayanti 2021: प्रख्यात अर्थशास्त्री भी थे संविधान शिल्पी डॉ. आंबेडकर, कृषि सुधारों पर रहा खास जोर
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Wed, Apr 14, 2021 01:38 PM IST
Ambedkar Jayanti 2021:भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. भीमराव आंबेडकर की देश 14 अप्रैल को जयंती मना रहा है. हममे से अधिकांश लोग डॉ. आंबेडकर को संविधान के निर्माता, राजनेता, कानून के जानकार और दलितों के मसीहा के रूप में ही जानते हैं. आपको यह जानकार थोड़ा आश्चर्य भी हो कि डॉ. आंबेडकर एक प्रख्यात अर्थशास्त्री भी थे. इतना ही नहीं वे विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री लेने वाले पहले भारतीय भी थे.
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दो विदेशी विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट
डॉ. आंबेडकर अद्भुत प्रतिभाशाली थे. उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियां प्राप्त की. इसके अलावा उन्होंने कानून, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में भी रिसर्च किए थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में शुरू की. उन्होंने वकालत भी की. उसके बाद का जीवन उन्होंने राजनीति में बीताया. आंबेडकर का भारत की आजादी की लड़ाई में एक खास रोल रहा. उन्होंने दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की पुरजोर वकालत की. हिंदू धर्म की कुरुतियों और छुआछूत की प्रथा के वे प्रबल विरोधी थे. इसी कुरुतियों से तंग आकर साल 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था.
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कृषि में निवेश पर दिया जोर
भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास पर उनका अपना खास नजरिया था. डॉ. आंबेडकर विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री लेने वाले पहले भारतीय थे. उनका तर्क था कि औद्योगिकीकरण और कृषि विकास से भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो सकती है. उन्होंने भारत में प्राथमिक उद्योग के रूप में कृषि में निवेश पर बल दिया. रिसर्चगेट डॉट नेट वेबसाइट पर उपलब्ध डॉ. अन्ना के पाटील के एक पेपर में वे खिलते हैं, आंबेडकर भूमि सुधार और इसकी आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान के पैरोकार रहे. उनका मानना था कि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में असमानताएं हैं. लैंड होल्डिंग और लैंड रेवेन्यू सिस्टम पर उनके विचार मौजूदा समय में भी प्रासंगिक हैं. महाराष्ट्र की दिग्गज राजनेता शरद पवार भी कह चुके हैं कि आंबेडकर के दर्शन ने सरकार को अपने फूड सिक्युरिटी लक्ष्य हासिल करने में मदद की. आंबेडकर ने राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास की वकालत की. शिक्षा, सार्वजनिक स्वच्छता, समुदाय स्वास्थ्य, आवासीय सुविधाओं को बुनियादी सुविधाओं के रूप में जोर दिया.
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अर्थशास्त्र पर लिखी 3 अहम किताबें
डॉ. आंबेडकर ने ब्रिटिश शासन की वजह से हुए विकास के नुकसान का भी आकलन किया. वे एक अर्थशास्त्री के रूप में प्रशिक्षित हुए थे और 1921 तक वे एक पेशेवर अर्थशास्त्री बन चुके थे. उन्होंने अर्थशास्त्र पर तीन खास पुस्तकें लिखीं. इनमें एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस ऑफ दी ईस्ट इंडिया कंपनी, द इवॉल्यूशन ऑफ प्रोविंशियल फाइनेंस इन ब्रिटिश इंडिया और द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी: इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्यूशन शामिल है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), आंबेडकर के विचारों पर आधारित था, जो उन्होंने हिल्टन यंग कमिशन के सामने रखे थे. (Image: PTI)
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