इस बार सरसों कराएगी दमदार कमाई, किसान ऐसे करें फसल की बुआई
5 से 25 अक्टूबर तक खेत में सरसों की बुआई करें. एक एकड़ खेत में 1 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करें.
अगर किसान खेती में वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल करें तो निश्चित ही पैदावार तो ज्यादा होगी ही, साथ ही फसल को कीट औप बीमारियों से नुकसान कम होगा. इस तरह उन्हें फसल से ज्यादा फायदा होगा. (Image- Zeebiz)
अगर किसान खेती में वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल करें तो निश्चित ही पैदावार तो ज्यादा होगी ही, साथ ही फसल को कीट औप बीमारियों से नुकसान कम होगा. इस तरह उन्हें फसल से ज्यादा फायदा होगा. (Image- Zeebiz)
इस बार सरसों की फसल (Mustard Crop) किसानों के लिए बंपर कमाई (Farmers Income) वाली फसल साबित होगी. इसकी कई वजह हैं. एक तो सरकार ने इस बार सरसों की कीमतों में 225 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया है. इस इजाफे के बाद सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी (Mustrad MSP) 4650 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है.
इसके अलावा सरकार ने सरसों के तेल (Mustard Oil) में किसी भी प्रकार का अन्य खाद्य तेल मिलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. इससे तेल मिलों में सरसों की डिमांड और कीमत, दोनों में ही इजाफा होगा.
सरसों की बुआई का समय भी आ गया है. वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और खेकड़ा (बागपत) कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra, Baghpat) के सहायक निदेशक डॉक्टर संदीप चौधरी किसानों को सरसों की वैज्ञानिक तकनीक के बारे में बता रहे हैं.
डॉक्टर संदीप चौधरी कहना है कि अगर किसान खेती में वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल करें तो निश्चित ही पैदावार तो ज्यादा होगी ही, साथ ही फसल को कीट और बीमारियों से नुकसान कम होगा. इस तरह उन्हें फसल से ज्यादा फायदा होगा.
सरसों की खेती का वैज्ञानिक तरीका-
- 5 से 25 अक्टूबर तक खेत में सरसों की बुआई करें.
- एक एकड़ खेत में 1 किलोग्राम बीज का इस्तेमाल करें.
- बुआई के समय खेत में 100 किग्रा सिंगल सुपरफॉस्फेट, 35 किग्रा यूरिया और 25 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश (MoP) का इस्तेमाल करें.
- बुआई के बाद 1-3 दिन के भीतर खरपतवार की रोकथाम के लिए पैंडीमेथालीन (30 EC) केमिकल की एक लीटर मात्रा को 400 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
- बुआई के 20-25 दिन बाद खेत की निराई-गुड़ाई करें.
- खेत में पौधों के बीच लाइन से लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखें.
- फसल की पहली सिंचाई 35-40 दिन के बाद करें. जरूरत होने पर दूसरी सिंचाई फली में दाना बनते समय करें. फसल पर फूल आने के समय सिंचाई नहीं करनी चाहिए.
- पौधों की छंटाई और पहली सिंचाई के बाद 35 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.
- फसल पर माहूं या चेंपा कीट का हमला होने पर नीम तेल की 5 एमएल मात्रा एक लीटर पानी या फिर इमीडाक्लोप्रिड (17.8 एमएल) की 100 एमएल मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर शाम के समय फसल पर छिड़काव करें. जरूरत होने पर दूसरा छिड़काव 10-12 दिन बाद फिर करें.
- फसल में फलियां बनते समय सरसों के पौधों की 20-25 सेमी नीचे की पुरानी पत्तियों की तुड़ाई कर दें.
- बुआई के 65-70 दिन बाद कार्बेन्डाजिम (12 फीसदी) और मैन्कोजेब (63 फीसदी) की 250 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
- फूल और फली बनने के समय थायोयूरिया की 250 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करें. इससे फसल को पाले से भी बचाव होता है.
- सरसों की अच्छी पैदावार के लिए 75 फीसदी फलियां पीली हो जाएं तब ही फसल की कटाई करें.
सरसों की अच्छी पैदावार के लिए कृषि वैज्ञानिक इन किस्मों के इस्तेमाल की सलाह देते हैं-
प्रमुख किस्म पकने का समय औसत उपज (कु/हेक्टेयर)
पूसा अग्रणी 110 17.5
पूसा करिश्मा 148 22.0
पूसा महक 118 17.5
पीली सरसों
NRCYS-05-02 94-181 12- 17
YSH 401 110 12-16
पीताम्बरी 115 14-17
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सरसों की फसल के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर संदीप चौधरी से उनके फोन नंबर 94123-11502 पर संपर्क किया जा सकता है.
02:26 PM IST