35 मिनट में तय होगी पुणे-मुंबई की दूरी, 1,000 किमी/घंटे की स्पीड दौड़ेगा हाइपरलूप
महाराष्ट्र सरकार ने दुनिया के पहले हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट सिस्टम शुरू करने का ऐलान किया है. इस सिस्टम से पुणे को मुंबई से जोड़ा जाएगा और दोनों शहरों के बीच दूरी महज 35 मिनटों में तय की जा सकेगी.
हाइपरलूप सिस्टम में व्हीकल की स्पीड ट्रेन की स्पीड से 10-15 गुना अधिक है और हाई-स्पीड रेल से दो से तीन गुना अधिक है.
हाइपरलूप सिस्टम में व्हीकल की स्पीड ट्रेन की स्पीड से 10-15 गुना अधिक है और हाई-स्पीड रेल से दो से तीन गुना अधिक है.
साल 2013 के गर्मियों में जब स्पेस एक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एलन मस्क ने हाइपरलूप आर्किटेक्चर के विचार की बात कही थी, तब से ट्रांसपोर्ट के इस साधन में लोगों की काफी रुचि देखने को मिल रही है, जो 1,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने का वादा करता है. यह स्पीड ट्रेन की स्पीड से 10-15 गुना अधिक है और हाई-स्पीड रेल से दो से तीन गुना अधिक है.
महाराष्ट्र सरकार ने दुनिया के पहले हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट सिस्टम शुरू करने का ऐलान किया है. इस सिस्टम से पुणे को मुंबई से जोड़ा जाएगा और दोनों शहरों के बीच दूरी महज 35 मिनटों में तय की जा सकेगी, जिसे सड़क के रास्ते से पूरा करने में फिलहाल 3.5 घंटों से अधिक लगते हैं. महाराष्ट्र ने मुंबई-पुणे हाइपरलूप परियोजना के वर्जिन हाइपरलूप वन-डीपी वर्ल्ड (वीएचओ-डीपीडब्ल्यू) कंसोर्टियम को ऑरिजिनल प्रोजेक्ट प्रोपोनेंट (ओपीपी) तैनात किया है.
लांस एजेलिस की कंपनी वर्जिन हाइपरलूप हब का कहना है कि ट्रांसपोर्ट के इस साधन में यात्री या माल को हाइपरलूप वाहन में चढ़ाया जाता है, जो कम प्रेशर वाले ट्यूब में इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन के द्वारा से हाई स्पीड से चलता है. हाइपरलूप वाहन लिनियर इलेक्ट्रिक मोटर से स्पीड हासिल करता है. एक इलेक्ट्रिक मोटर के दो प्रमुख हिस्से होते हैं, एक स्टेटर (यह हिस्सा स्थिर होता है) और एक रोटर (यह हिस्सा घूमता है).
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जब स्टेटर में बिजली आपूर्ति की जाती है तो यह रोटर को घुमाता है, इससे मोटर चलती है. लिनियर इलेक्ट्रिक मोटर में यही दोनों प्रमुख हिस्से होते हैं. लेकिन इसमें रोटर घूमता नहीं है, बल्कि यह सीधे आगे की तरफ बढ़ता है, जो स्टेटर की लंबाई के बराबर चलता है.
वर्जिन के हाइपरलूप वन सिस्टम में स्टेटर्स को ट्यूब में लगा दिया जाता है और रोटर को पॉड पर लगा दिया जाता है, और पॉड ट्यूब के अंदर गति कम करने के लिए स्टेटर से रोटर को दूर करता है.
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वर्जिन हाइपरलूप ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि यह वाहन ट्रैक के ऊपर मैगनेट के माध्यम से तैरता है और किसी हवाई जहाज जितनी गति हासिल कर लेता है, क्योंकि ट्यूब के अंदर एयरोडायनेमिक ड्रैग (हवा का अवरोध) काफी कम होता है. हाइपरलूप सिस्टम्स को खंभों पर या सुरंग बनाकर स्थापित किया जाएगा, ताकि ये सुरक्षित रहे और किसी जानवर आदि से किसी प्रकार के नुकसान की संभावना ना हो.
जब हमारी सड़कें और हवाई अड्डों पर तेजी से भीड़ बढ़ रही है तो ऐसे में हाइपरलूप परिवहन के एक तेज साधन की पेशकश के अलावा कई अन्य फायदे भी मुहैया कराएगा. इस सिस्टम का आबोहवा पर असर काफी कम होगा क्योंकि इससे कोई प्रत्यक्ष उत्सर्जन या शोर पैदा नहीं होगा.
वर्जिन हाइपरलूप वन ने पूर्ण पैमाने पर (फुल स्केल) हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक का निर्माण किया है, जिस पर अब तक सैकड़ों परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए गए हैं.
04:10 PM IST