पराली के प्रदूषण से मिल सकता है छुटकारा, कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन ने दिया यह सुझाव
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन (MS Swaminathan) ने कहा कि दिल्ली में फैले वायु प्रदूषण (AIR POLLUTION) के लिए किसानों (Farmers) को दोष देना बंद किया जाना चाहिये.
दक्षिण भारत में फसलों के कचरे का इस्तेमाल पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है, वहां इसे नहीं जलाया जाता है.
दक्षिण भारत में फसलों के कचरे का इस्तेमाल पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है, वहां इसे नहीं जलाया जाता है.
दिल्ली (Delhi) समेत पूरा एनसीआर (Delhi-NCR) इस समय पराली के धुएं से हलकान है. आसमान में धुएं का गुबार छाया हुआ है. लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. धुएं को देखते हुए स्कूलों की छुट्टियां चल रही हैं. पंजाब (Punjab), हरियाणा (Haryana) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pardesh) में पराली जलाने (stubble burning) को लेकर सरकार तमाम उपाय कर रही है.
इस बीच वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन (MS Swaminathan) ने कहा कि दिल्ली में फैले वायु प्रदूषण (AIR POLLUTION) के लिए किसानों (Farmers) को दोष देना बंद किया जाना चाहिये. उन्होंने कहा कि इससे कोई हल नहीं निकलने वाला. उन्होंने सलाह दी है कि किसानों को दोष देने की जगह दिल्ली और पड़ोसी राज्यों की सरकारों को धान जैविक पार्क (Rice BioParks) बनाने चाहिये, जिससे किसानों को पराली खत्म (stubble burning) करने के हरित तरीके अपनाने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत में फसलों के अवशेषों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है, इसलिए वहां इसे नहीं जलाया जाता है.
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I suggest that the Delhi, Haryana and UP govts put up Rice BioParks where farmers can convert stubble into income and employment. We should stop blaming farmers since it will take us nowhere. Instead we should propose methods which are economically & ecologically desirable. 4/4
— M S Swaminathan (@msswaminathan) November 4, 2019
स्वामीनाथन (MS Swaminathan) ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए कहा, ‘‘हमें किसानों को दोषी ठहराना बंद करना चाहिए, क्योंकि इससे कुछ हासिल नहीं होगा. इसके बजाय हमें ऐसे तरीके अपनाने चाहिये जो आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से वांछनीय हों.’’
उन्होंने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण (AIR POLLUTION) राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की चिंता का विषय बन गया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित कई लोग किसानों पर फसल का कचरा जलाने और इससे प्रदूषण फैलने का आरोप लगा रहे हैं.
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बता दें कि हाल ही में म्यामां के ‘ने प्यी ताव’ में एम. एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन द्वारा एक धान बायो-पार्क की स्थापना की गई थी. इसे भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था. उन्होंने कहा कि धान के बायोपार्क से पता लगता है कि कागज, कार्डबोर्ड और पशु आहार सहित विभिन्न उत्पादों को बनाने के लिए किस तरह से फसल अवशेष का उपयोग किया जा सकता है.
06:23 PM IST