Monkeypox Virus: क्या मिल गई वैक्सीन? क्या मरीजों पर काम कर रही है दवा? मंकीपॉक्स से किन लोगों को सबसे ज्यादा खतरा
Monkeypox Virus: मंकीपॉक्स पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका और यूरोप में कुछ वैक्सीन और दवाओं की सिफारिश की गई हैं. आइए जानते हैं कि Monkeypox पर कितनी कारगर हैं ये दवाएं?
(Source: Reuters)
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Monkeypox Virus: कोरोना महामारी के बाद अब एक और बीमारी ने पूरी दुनिया को परेशानी को बढ़ा दिया है. मंकीपॉक्स वायरस के चपेट में आकर अभी तक दुनिया के 75 देशों में 16,000 से अधिक लोग बीमार हो चुके हैं. इसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे हेल्थ इमरजेंसी घोषित (Monkeypox Health Emergency) कर दिया है. भारत में भी मंकीपॉक्स के कुछ मामले सामने आए हैं. अभी तक केरल में तीन और दिल्ली में मंकीपॉक्स के एक मामले की पुष्टि हो चुकी है. अमेरिका और यूरोप में इसे लेकर कुछ वैक्सीन और दवाओं की सिफारिश की गई है. आइए जानते हैं कि कितनी कारगर हैं ये दवाएं.
अमेरिका में दी जा रही ये दवा
आमतौर पर मंकीपॉक्स का मरीज 21 दिन में खुद से ठीक हो जाता है. हालांकि अमेरिका में इस पर लगाम लगाने के लिए एक दवा की सिफारिश की जा रही है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रौल (CDC) ने Tecovirimat दवा को आजमाने की सिफारिश की है, लेकिन ये दवा अभी भारत में उपलब्ध नहीं है.
अमेरिका में मंकीपॉक्स के मरीजों को स्मॉलपॉक्स के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन भी दी जा रही है. ये दवा शुरुआती लक्षणों में तो थोड़ा राहत दे सकती है, लेकिन 7 दिन बीतने के बाद इसका ज्यादा फायदा होता नहीं दिखाई देता है.
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यूरोप की मेडिसिन अथॉरिटी एजेंसी EMA ने Imvanex दवा को मंकीपॉक्स के इलाज के लिए इस्तेमाल करने की सिफारिश की है. इस दवा का इस्तेमाल स्मॉलपॉक्स के इलाज में किया जाता है.
क्या कहते हैं भारत के डॉक्टर
दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में भर्ती 31 साल के मरीज का इलाज कर रहे डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि मंकीपॉक्स के इलाज के लिए फिलहाल अलग से दवाओं की जरुरत नहीं है. इस बीमारी के कुछ मामले जरूर आएंगे लेकिन बडे़ स्तर पर यह नहीं फैलेगी. किसी को भी बुखार के साथ त्वचा पर लाल दाने या पानी वाले दाने हों तो सरकारी अस्पताल पहुंचे. भारत में फिलहाल टेस्ट करने का काम सरकार के जरिए ही रहेगा.
कैसे होती है टेस्टिंग
मंकीपॉक्स की टेस्टिंग PCR तकनीक से ही की जाती है. सैंपल लेने के लिए त्वचा पर निकले दानों से नमूना लिया जाता है. इसके अलावा मरीज का एक ब्लड सैंपल लिया जाता है. दोनों टेस्ट से मंकीपॉक्स कंफर्म होता है.
किन्हें है ज्यादा खतरा
बताया जा रहा है कि जिन लोगों को पहले से कभी स्मॉलपॉक्स या चेचक हो चुका है, उन्हें इस बीमारी से कम खतरा है. ऐसे में जिन लोगों को चिकनपॉक्स या स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लग चुकी है, उनपर इसका खतरा कम है. हालांकि भारत में 1975-80 के बाद से स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लगनी बंद हो गई थी. ऐसे में वो लोग जिनका जन्म 1980 के बाद हुआ है, उनपर इसका ज्यादा खतरा माना जा रहा है.
क्या हैं मंकीपॉक्स के लक्षण
आम तौर पर मंकीपॉक्स (Monkeypox) वायरस के लक्षण दो से चार हफ्ते तक चलते हैं. सामान्य जनसंख्या में Monkeypox की मुत्यु दर 0 से लेकर 11 फीसदी तक रही है. बच्चों में यह अधिक रहा है. हाल के दिनों में आए मंकीपॉक्स के मामले मृत्यु दर 3 से 6 फीसदी तक रहा है.
मंकीपॉक्स (Monkeypox) होने पर रोगी में आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, शरीर पर चकते का निशान, गले में खराश, खांसी, लिम्फ नोड्स में सूजन आदि देखने को मिलता है. इसके साथ ही रोगी के शरीर पर घाव के निशान देखे जा सकते हैं, जो कि बुखार की शुरुआत के 1 से तीन दिन के भीतर देखे जाते हैं और दो से चार सप्ताह तक चलते हैं. इनमें दर्द और खुजली भी होता है. यह हथेलियों और तलवों में ज्यादा देखा जा सकता है.
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स
एक मंकीपॉक्स (Monkeypox) से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने पर मंकीपॉक्स फैल सकता है. ऐसे व्यक्तियों को आइसोलेशन में रहना चाहिए और किसी स्वस्थ व्यक्ति के शारीरिक संपर्क में आने से बचना चाहिए. मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. मंकीपॉक्स का वायरस आंख, नाक या मुंह के माध्यम से फैलता है. वहीं संक्रमित जानवरों के काटने से या उनके निकट संपर्क में आने से भी फैल सकता है.
मंकीपॉक्स के मरीजों में आमतौर पर 6 से 13 दिन में लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं, लेकिन यह 5 से 21 दिन के बीच भी हो सकता है.
06:24 PM IST