Exclusive: गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- समय पर लॉकडाउन लगाकर बचाई करोड़ों लोगों की जान
गृहमंत्री अमित शाह का दावा है कि भारत सरकार ने समय रहते लॉकडाउन लगाकर और कोरोना से लड़ने के लिए हेल्थ सेक्टर को मजबूत करके यह कामयाबी हासिल की है.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब तक कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक लोगों को सुरक्षा के विशेष उपाय अपनाने होंगे. (Image-Zee News)
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब तक कोरोना की कोई वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक लोगों को सुरक्षा के विशेष उपाय अपनाने होंगे. (Image-Zee News)
कोरोना संक्रमण को कंट्रोल करने के मामले में हम लगातार कामयाबी हासिल कर रहे हैं. कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में भारत सबसे कम मृत्यु दर वाला देश है. गृहमंत्री अमित शाह का दावा है कि भारत सरकार ने समय रहते लॉकडाउन (Lockdown) लगाकर और कोरोना से लड़ने के लिए हेल्थ सेक्टर को मजबूत करके यह कामयाबी हासिल की है.
अमित शाह ने ZEE NEWS के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी के साथ खास बातचीत में बताया कि कोरोना पॉजिटिव होने के दौरान उन्होंने अपना किस तरह से ध्यान रखा. साथ ही उन्होंने कहा कि क्वारंटीन के दौरान उन्होंने अपना समय ऐसे काम में लगाया जिसे करने के लिए उन्हों लंबे अरसे से वक्त ही नहीं मिल पा रहा था.
एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान अमित शाह (Amit Shah) ने कोरोना संक्रमण से जुड़ी खास बातों को शेयर किया और आगे की प्लानिंग पर भी चर्चा की.
सवाल- पूरी दुनिया में अब कह रहे हैं कि कोरोना का सेकेंड वेव आ रहा है. बहुत सारी जगह लॉकडाउन का दूसरा चरण शुरू हो गया है. क्या भारत में भी दूसरे लॉकडाउन के लिए आप लोगों ने कुछ सोचकर रखा है?
जवाब- नहीं, अभी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमने एक बड़ा अभियान चलाया है गांव-गांव तक, स्कूल-स्कूल तक, पुलिस थाने तक, आंगनबाड़ी तक, हेल्थ वर्कर तक, हर घर तक पहुंचाने का प्रयास किया है कि जब तक टीका नहीं तैयार हो जाता और जब तक इसकी दवाई नहीं बन जाती मास्क लगाना, दो गज़ की दूरी रखना और हाथों को कई बार अच्छी तरह से साफ करना बहुत जरूरी है.
जहां तक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का सवाल है मैं मानता हूं कि लॉकडाउन के वक्त ही हमने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में ढंग से सुधार कर लिया. हम कह सकते हैं कि भारत में कोविड से लड़ने के लिए दुनिया में सबसे अच्छा हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर है. इसके प्रोटोकॉल भी बन गए हैं कि किस स्टेज पर कौन सी दवा देनी है, किस तरह से जांच होनी है और किस तरह से रिपोर्ट निकालनी है.
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— Zee News (@ZeeNews) October 19, 2020
अमित शाह ने कहा कि दिल्ली का अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) हर रोज 35-40 अस्पतालों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर रहा है. एम्स देश के अन्य डॉक्टरों को गाइड कर रहा है. गंभीर केसों को एम्स रेफर किया जा रहा है. इसके कारण मृत्युदर भी कम हो रही है और रिकवरी रेट बहुत तेजी से बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा, 'जब देश में लॉकडाउन लगा तब विपक्ष के कुछ नेता विशेषकर राहुल गांधी कहते थे कि पूरा देश बंद कर दिया, लॉकडाउन करने की जरूरत नहीं थी. आज उनको मालूम नहीं है कि अगर लॉकडाउन नहीं करते और उस वक्त कोरोना का पीक आता, बगैरह हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लाखों-करोड़ों लोग मर जाते.'
सवाल- आपको याद होगा जब ये कोविड-19 का सिलसिला शुरू हुआ था तो उस समय प्रवासी मजदूरों की बहुत बड़ी समस्या बन गई थी. उस समय ऐसा लगता था कि जैसे स्थिति कंट्रोल में नहीं है. आपको क्या लगता है कि उस स्थिति का, उन तस्वीरों का आपको लाभ होगा या नुकसान?
जवाब- इसमें कोई दो राय नहीं कि काफी लोग पैदल चले गए, व्यवस्थाएं हों इसके पहले वे लोग धैर्य खो बैठे. लेकिन वास्तविकता ये भी है कि बिहार में 1500 से ज्यादा ट्रेन गई हैं. अलग-अलग राज्यों से श्रमिकों को सही-सलामत उनके घर में पहुंचाया गया है.
वास्तकिकता ये भी है कि ढाई करोड़ प्रवासी मजदूर ट्रेनों, बसों और अन्य सलामत मार्गों से घर पर पहुंचाए गए हैं. मगर एकसाथ सबको ले जाने की व्यवस्था करना शायद संभव नहीं था और कुछ राज्यों में स्थिति भी ऐसी हुई, विशेषकर महाराष्ट्र में श्रमिकों को रेलवे स्टेशन पर पहुंचाने या उन तक संदेश पहुंचाने का कम्युनिकेशन गैप भी रहा. इसके कारण लोग अपने-अपने रास्ते से चल पड़े. सभी राज्य सरकारों ने बीच में से बसें भेजकर उन्हें बैठाकर नजदीक के रेलवे स्टेशन पहुंचाया, खानपान की भी व्यवस्था की, लेकिन ये बात सही है कि कुछ लोगों को तकलीफें झेलनी पड़ीं.
सवाल- आप बीमार रहे. कोविड-19 से आपने मुकाबला किया. व्यक्तिगत तौर पर और एक नेता के तौर पर नई स्थिति ने आपको कैसे बदला है?
जवाब- काफी लंबे वक्त से मुझे पढ़ाई-लिखाई का समय नहीं मिला था. डेढ़ महीने में मुझे पढ़ाई-लिखाई का समय मिल गया. दूसरी बात, कई सारी चीजों को पीछे मुड़कर देखने का, सोचने का समय भी मिला. कई गलतियां मुझसे कहां हुईं, क्या हुईं, इसके बारे में भी सोचा. वे गलतियों भविष्य में न हों, इसके लिए अपने आपको तैयार भी किया. विशेषकर पढ़ाई-लिखाई पर मेरा ज्यादा ध्यान रहा. ईश्वर की कृपा से मैं इतना बीमार नहीं रहा कि पढ़ने-लिखने में बाधा आए. संपर्कविहीन जरूर रहा लेकिन कमरे के अंदर स्थिति इतनी कभी बिगड़ी नहीं थी कि लिखने-पढ़ने में मुझे कोई तकलीफ हो, तो बहुत ज्यादा समय तो पढ़ाई-लिखाई में ही गया है.
10:08 PM IST