Right to Repair: अब RO वाला एक्जीक्यूटिव आपको ठग नहीं पाएगा, कैंडल की लाइफ बताना होगा अनिवार्य
Right to Repair: उपभोक्ता मामले विभाग (DoCA) ने सभी वॉटर प्यूरिफायर (RO) निर्माता कंपनियों को भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर कैंडल (Candel) की लाइफ बताने का निर्देश दिया है.
(Image- Freepik)
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Right to Repair: उपभोक्ता मामले विभाग (DoCA) ने सभी वॉटर प्यूरिफायर (RO) निर्माता कंपनियों को भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर कैंडल (Candel) की लाइफ बताने का निर्देश दिया है. उपभोक्ताओं के हित में इस बात पर जोर दिया गया कि जिन क्षेत्रों में स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता, वास्तविक मरम्मत, वारंटी की जरूरत से ज्यादा शर्तों को स्पष्ट रूप से संबोधित नहीं किया जाता है, यह उपभोक्ताओं के सूचित होने के अधिकार को भी प्रभावित करता है. नए निर्देश के बाद RO वाला एक्जीक्यूटिव आपको ठग नहीं पाएगा. अभी तक जो एक्जीक्यूटिव आता है उसके अनुसार उपभोक्ता को फैसला लेना पड़ता है. जानकारी स्पष्ट होने पर पैसे नहीं बर्बाद होंगे.
बता दें कि राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस 2022 के अवसर पर राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया (https://righttorepairindia.gov.in/) लॉन्च करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. यह पोर्टल उपभोक्ताओं को अपने उत्पादों की मरम्मत से संबंधित जानकारी प्राप्त करने और और ई-कचरे को कम करने में मदद करता है.
राइट टू रिपेयर पर फोकस
उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने और उपभोक्ताओं को उनके उत्पादों की मरम्मत के लिए प्रभावित करने वाली नई और उभरती चिंताओं का समाधान करने के लिए डीओसीए (DoCA) के सचिव रोहित कुमार सिंह की अध्यक्षता में विभाग ने चार क्षेत्रों के प्रमुख हितधारकों के साथ एक बैठक आयोजित की. ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि उपकरण क्षेत्रों को 'राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया' पर लाने के लिए यह बैठक की गई. बैठक के दौरान डीओसीए की ओएसडी श्रीमती निधि खरे और डीओसीए के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ प्रमुख हितधारकों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
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बैठक के दौरान इस बात पर प्रकाश डाला गया कि एक उत्पाद जिसकी मरम्मत नहीं की जा सकती या अप्रचलित हो गया है या जो आर्टिफिशियल लिमिटेड लाइफ के तहत आता है वो न सिर्फ ई-कचरा (e-waste) बन जाता है बल्कि उपभोक्ताओं को इसे पुन: उपयोग करने के लिए किसी भी मरम्मत के अभाव में नए उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करता है. इसलिए, प्रयास यह सुनिश्चित करने का है कि जब कोई उपभोक्ता कोई उत्पाद खरीदता है, तो उसके पास उत्पाद का पूर्ण स्वामित्व होता है और मरम्मत के मामले में, उपभोक्ताओं को प्रासंगिक जानकारी के अभाव में धोखा नहीं दिया जाता है.
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों के आधार पर हितधारकों को बुलाया गया था. समय के साथ यह देखा गया है कि मरम्मत गंभीर रूप से प्रतिबंधित होती जा रही है क्योंकि न केवल मरम्मत में काफी देरी होती है बल्कि कई बार उत्पादों की मरम्मत बहुत अधिक कीमत पर की जाती है और जो उपभोक्ता एक बार उत्पाद खरीद लेता है उसे शायद ही अपने उत्पादों की मरम्मत कराने का विकल्प दिया जाता है. अक्सर स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं होते हैं जिससे उपभोक्ताओं को आर्थिक बोझ के साथ-साथ काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया पर शामिल हो कंपनियां
इसलिए, हितधारकों से यूनिफाइड राइट टू रिपेयर पोर्टल इंडिया (Right to Repair Portal India) पर शामिल होने की अपील की गई, जो कंपनियों और उपभोक्ताओं के बीच मरम्मत से संबंधित प्रासंगिक जानकारी प्रदान करने के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करता है
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- उत्पाद मैनुअल/मरम्मत वीडियो तक पहुंच (कंपनियों की वेबसाइटों और यूट्यूब चैनलों को लिंक करके)
- स्पेयर पार्ट्स की कीमत और वारंटी पर चिंता का समाधान करें
- लायबिलिटी कवर्ड गारंटी, वारंटी और एक्सटेंडेट वारंटी में फर्क का स्पष्ट रूप में उल्लेख करें
- भारत भर में कंपनी सर्विस सेंटर का विवरण और कंपनियों द्वारा मान्यता प्राप्त थर्ड पार्टी मरम्मतकर्ता, यदि कोई हो
- मूल देश की जानकारी का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए
12:10 PM IST