छह कंपनियों में आखिर क्यों छिड़ी है जंग, क्यों सरकार जुटाना चाहती है 80,000 करोड़ रुपये
ये कंपनियां विनिवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के समक्ष 26 नवंबर को प्रस्तुतीकरण देंगी. वित्त मंत्रालय के विनिवेश विभाग को विलय एवं अधिग्रहण सौदो पर परामर्श देने की है दौड़.
वित्त वर्ष की समाप्ति में चार माह का समय बचा है.
वित्त वर्ष की समाप्ति में चार माह का समय बचा है.
वित्त मंत्रालय के विनिवेश विभाग को विलय एवं अधिग्रहण सौदो पर परामर्श देने की दौड़ में छह कंपनियां शामिल हैं. इन कंपनियों में अर्न्स्ट एंड यंग एलएलपी और डेलॉयट टच तोहमात्सु भी शामिल हैं. सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान 80,000 करोड़ रुपये की राशि विनिवेश से प्राप्त होने का लक्ष्य रखा है. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए विनिवेश विभाग ने ऊर्जा क्षेत्र में दो विलय एवं अधिग्रहण पर सलाह देने के वास्ते प्रस्ताव मंगाए थे.
ये कंपनियां हैं दौड़ में शामिल
विनिवेश विभाग को इस संबंध में ई एंड वाई और डेलॉयट के अलावा आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, आईडीबीआई कैपिटल मार्केट एंड सिक्योरिटीज, एसबीआई कैपिटल मार्केट्स और आरबीएसए कैपिटल एडवाइजर एलएलपी ने सलाह देने के लिये प्रस्ताव भेजा है. ये कंपनियां विनिवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के समक्ष 26 नवंबर को प्रस्तुतीकरण देंगी. दीपम की वेबसाइट पर एक नोटिस में यह जानकारी दी गई है.
सीपीएसई के नामों का चयन बाद में
चुने गए सलाहकार को सरकार को विनिवेश के तौर-तरीके और समय, कंपनियों के कारोबारी मूल्यांकन के अलावा महत्तम मूल्य हासिल करने के बारे में सुझाव देना होगा. विलय एवं अधिग्रहण के लिए सीपीएसई के नामों का चयन बाद में किया जाएगा. सार्वजनिक उपक्रमों को लेकर संबंधित मंत्रालय से जैसे ही प्रस्ताव मिलेगा उसे विनिवेश पर गठित सचिवों के प्रमुख समूह को भेजा जायेगा और उसके बाद प्रस्ताव मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा.
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अब तक केवल 15,200 करोड़ रुपये जुटाए
वित्त वर्ष की समाप्ति में चार माह का समय बचा है. ऐसे में सरकार का विनिवेश विभाग 80,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पाने के लिये प्रक्रिया में तेजी ला रहा है. अब तक सरकार इस मद में केवल 15,200 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है. अधिकारियों के मुताबिक सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) में अपनी 65.61 प्रतिशत हिस्सेदारी को ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) को बेचना चाहती है. इससे सरकारी खजाने को 13,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है.
(इनपुट एजेंसी से)
05:08 PM IST