RBI और महंगा करेगा कर्ज! FY23 में अभी 0.75 फीसदी बढ़ सकता है रेपो रेट, रिटेल लोन पर कितना असर
RBI Repo Rate Hike: महंगाई को कंट्रोल करने की कवायद में अब ग्लोबल लेवल पर इंटरेस्ट रेट साइकिल में यू-टर्न दिखाई दे रहा है. रूस-यूक्रेन संकट के चलते महंगाई में तेजी से उछाल आया है.
(Image: Reuters)
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RBI Repo Rate Hike: बेकाबू महंगाई को काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अभी और 75 बेसिस प्वाइंट (0.75 फीसदी) का इजाफा रेपो रेट में कर सकता है. SBI रिसर्च में यह अनुमान जताया गया है. रिपोर्ट का कहना है कि ब्याज दरें बढ़ाना बैंकिंग सेक्टर के लिए अच्छा कदम साबित होगा. महंगाई को कंट्रोल करने की कवायद में अब रेट साइकिल में यू-टर्न दिखाई दे रहा है. रूस-यूक्रेन संकट के चलते महंगाई में तेजी से उछाल आया है. कोरोना महामारी के दौरान रिजर्व बैंक ने डिमांड और ग्रोथ को बनाए रखने के लिए ब्याज दरों में 115 बेसिस प्वाइंट (मार्च 2020 में 0.75 फीसदी और मई 2020 में 0.40 फीसदी) की बड़ी कटौती की थी.
दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज दरों में इजाफा किया जा रहा है. रिजर्व बैंक (RBI) ने 4 मई को 40 बेसिस प्वाइंट (0.40 फीसदी) रेपो रेट बढ़ा दिया. वहीं, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी ब्याज दरों में की है. इस साल अप्रैल और मई में RBI समेत 21 देशों के सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं. इनमें से 14 देशों में ब्याज दरें 50 बेसिस प्वाइंट या इससे ज्यादा बढ़ी हैं.
रिटेल लोन पर कितना होगा असर?
SBI रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप के मुताबिक, रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.40 फीसदी करने से साफ जाहिर होता है कि रेट साइकिल में यू-टर्न आ गया है. RBI ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रख सकता है और यह मार्च 2023 तक प्री-कोविड के लेवल 5.15 फीसदी तक पहुंच सकती है. इससे उलट 2022 में ब्याज दरों में तेज कटौती हुई थी. वहीं, CRR में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी से ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बनेगा, जबकि सिस्टम से 87,000 करोड़ की अतिरिक्त लिक्विडिटी कम होगी.
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रिटेल लोन्स की बात करें, ज्यादातर लोन एक्टर्नल रेट का बेंचमार्क (ज्यादातर आरबीआई के रेपो रेट से लिंक्ड) तिमाही रिसेट क्लॉज के साथ है. ऐसे में रेपो रेट से लिंक्ड लोन रेट में 30-40 बेसिस प्वाइंट का सीधा इजाफा हो सकता है. लेकिन, ज्यादातर बैंक मार्केट में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए रिटेल लोन की दरें में ज्यादा बढ़ोतरी करने से बचेंगे. दिसंबर 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 39.2 फीसदी लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक्ड हैं. ऐसे में रेपो रेट में बढ़ोतरी से ग्राहकों पर ब्याज की लागत भी बढ़ेगी और अगली तिमाही से इसका असर देखने को मिल सकता है.
दूसरी ओर, मॉर्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट्स (MCLR) लिंक्ड लोन की हिस्सेदारी इस दौरान कम हुई है. हालांकि, अभी भी 53 फीसदी लोन्स MCLR लिंक्ड हैं. ऐसे में CRR में बढ़ोतरी और बेंचमार्क रेट्स बढ़ने की संभावना के बीच MCLR में भी इजाफा होगा. इसके अलावा, अगर बैंक जमा पर ब्याज दरें यानी डिपॉजिट रेट्स बढ़ाते हैं, तो उनकी फंड की लागत (COF) बढ़ेगी और इसी के साथ MCLR भी बढ़ेगा.
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RBI की आपात बैठक का फैसला
रिजर्व बैंक ने 2 और 3 मई को MPC की आपात बैठक कर यह फैसला लिया है. RBI ने रेपो रेट (Repo Rate) को बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया है. महंगाई कंट्रोल करने की कवायद में सरप्लस लिक्विडिटी कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया है. इस बढ़ोतरी के साथ CRR बढ़कर 4.5 फीसदी हो गया है. इससे सिस्टम से करीब 87 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त लिक्विडिटी कम होगी.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फेंस में कहा कि रिजर्व बैंक ने फिलहाल अकोमोडेटिव रुख (Accommodative Stance) बरकरार रखा है. इसे आगे बदला जा सकता है. आरबीआई गवर्नर के मुताबिक, महंगाई (Inflation Rate) की बढ़ती दर चिंताजनक है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से महंगाई और ग्रोथ का अनुमान बदला है.
शक्तिकांत दास के मुताबिक, निजी खपत में बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि, खाद्य महंगाई (Food Inflation) दर आगे भी बरकरार रहेगी. खाने के तेल की कीमतों (Edible Oil Prices) में और बढ़ोतरी संभव है. इसी के साथ ग्लोबल सप्लाई चेन में दिक्कतों से बढ़ोतरी संभव है.
01:30 PM IST