बजट में हुए अनाउंसमेंट पर आया वित्त मंत्रालय का बयान, कहा- किए गए उपायों से नौकरियां बढ़ेंगी और जीडीपी में आएगी तेजी
Measures taken in the budget 2023: मासिक समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 की तरह भारत आने वाले वित्त वर्ष का सामना पूरे भरोसे के साथ करने को तैयार है.
Measures taken in the budget 2023: वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी, हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा और वित्तीय बाजार को मजबूत बनाने के उपायों की घोषणा से नौकरियां (jobs) बढ़ने के साथ आर्थिक वृद्धि (economic growth) को गति मिलने की उम्मीद है. मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में जो महत्वपूर्ण आंकड़े हैं (निर्यात, जीएसटी संग्रह, पीएमआई आदि) वे आम तौर पर नरमी का संकेत देते हैं. इसका एक कारण मौद्रिक नीति को कड़ा किया जाना है जिससे वैश्विक मांग पर विपरीत असर दिखना शुरू हो गया है.
2023 में भी जारी रह सकती है ये स्थिति
खबर के मुताबिक, इसमें कहा गया है कि यह स्थिति 2023 में भी जारी रह सकती है क्योंकि विभिन्न एजेंसियों ने वैश्विक वृद्धि में गिरावट की आशंका जताई है. मौद्रिक नीति कड़ी किए जाने से उत्पन्न प्रभाव के अलावा दुनिया के कुछ देशों में महामारी का असर बने रहने और यूरोप में तनाव से वैश्विक वृद्धि पर विपरीत असर पड़ सकता है. वैश्विक उत्पादन में नरमी के अनुमान की आशंका के बाद भी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) और विश्व बैंक (World Bank) ने 2023 में भारत के तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाली अर्थव्यवस्था बने रहने की उम्मीद जताई है.
आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
मासिक समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 की तरह भारत आने वाले वित्त वर्ष का सामना पूरे भरोसे के साथ करने को तैयार है. इसका कारण कुल मिलाकर समग्र वृहत आर्थिक स्थिरता है. साथ ही वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और आर्थिक जोखिमों को लेकर देश पूरी तरह से सतर्क भी है. इसमें कहा गया है कि संसद में पेश वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है. इसमें इसके ऊपर जाने की तुलना में नीचे जाने का जोखिम अधिक है.
ऊंची महंगाई दर की स्थिति अब भी मौजूद
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मंत्रालय (Finance Ministry) की रिपोर्ट के मुताबिक,देश के लिये मुद्रास्फीति जोखिम 2023-24 में कम रहने की उम्मीद है लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर जारी तनाव और उसके कारण आपूर्ति बाधित होने जैसी वैश्विक स्थिति के कारण यह पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है. इससे 2022 में ऊंची महंगाई दर रही और यह स्थिति अब भी मौजूद है. प्रशांत क्षेत्र में अल नीनो की भविष्यवाणी की गई है. इससे भारत में मॉनसून कमजोर रह सकता है. इसके परिणामस्वरूप कम उत्पादन और उच्च कीमतें होंगी दूसरी तरफ, कीमतों के साथ चालू खाते के घाटे समेत बाह्य घाटों को लेकर स्थिति वित्त वर्ष 2023-24 में चालू वित्त वर्ष के मुकाबले कम चुनौतीपूर्ण हो सकती है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और पूंजी प्रवाह के रुझान पर ध्यान रखने की जरूरत है.
केंद्र का पूंजीगत व्यय 10 लाख करोड़ रुपये
वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में एक बार फिर पूंजीगत व्यय के जरिये वृद्धि को गति देने का प्रयास किया गया है. बजट में केंद्र का पूंजीगत व्यय 10 लाख करोड़ रुपये है जो चालू वित्त वर्ष के मुकाबले 33 प्रतिशत अधिक है. इसमें कहा गया है कि इसके जरिये सरकार विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बीच निवेश के माध्यम से वृद्धि को गति देने की दिशा में अपना प्रयास जारी रखे हुए है. वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि, बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर, हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और वित्तीय बाजारों को मजबूत करने की पहल जैसे उपायों से रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलने और आर्थिक वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है.
टैक्स स्लैब में राहत दी गई
बजट (Budget 2023) में खर्च और उपभोक्ता मांग बढ़ाने के उपायों की भी घोषणा की गई है. इनमें टैक्स स्लैब को युक्तिसंगत बनाना और नई व्यक्तिगत आयकर टैक्स व्यवस्था (एनपीआईटीआर) के तहत मूल आयकर छूट सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये करना शामिल है. एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र के लिए घोषित उपायों से कोष की लागत में कमी आएगी और छोटे उद्यमों को सहायता मिलेगी. नई व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब में संशोधन से खपत को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इससे आर्थिक वृद्धि को और अधिक गति मिलेगी.
रिपोर्ट के मुताबिक, आसान केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) मानदंड, डिजिलॉकर सेवाओं का विस्तार और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के उपायों से वित्तीय बाजारों को मजबूती मिलने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि सरकार ने पिछले कुछ साल में वृहत आर्थिक स्थिरता (Measures taken in the budget 2023) पर जोर दिया है. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था नए वित्त वर्ष में जोखिमों को लेकर सतर्क रुख अपनाते हुए भरोसे के साथ आगे बढ़ने को पूरी तरह तैयार है.
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06:14 PM IST