देश की इकोनॉमी का हाल, रुपया 7% फिसला, 20 महीने बाद निर्यात में आई गिरावट, ट्रेड डेफिसिट में ढाई गुना उछाल
Indian economy: 20 महीने बाद पहली बार निर्यात में गिरावट आई है. महंगे तेल से आयात बिल बढ़ रहा है, जिसके कारण ट्रेड डेफिसिट भी बढ़ता जा रहा है. डॉलर के मुकाबले इस साल रुपया 7 फीसदी तक फिसल चुका है. अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएं पैदा होने लगी हैं.
India export and import: भारत से होने वाले निर्यात में अगस्त महीने में मामूली कमी आने के साथ आयात में लगातार वृद्धि होने से व्यापार घाटा बढ़ने के बाद व्यापक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएं पैदा होने लगी हैं. इस कैलेंडर वर्ष में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया पहले ही सात फीसदी तक गिर चुका है और आगे भी इसके दबाव में रहने के आसार हैं. ऐसी स्थिति में विशेषज्ञों और विश्लेषकों का मानना है कि इससे महंगाई और व्यापक आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी. शनिवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त महीने में देश का निर्यात 20 महीनों के बाद पहली बार 1.15 फीसदी घटकर 33 अरब डॉलर हो गया जबकि देश का आयात एक साल पहले की तुलना में 37 फीसदी बढ़कर 61.68 अरब डॉलर हो गया है. इससे व्यापार घाटा दोगुने से भी अधिक बढ़कर 28.68 अरब डॉलर पर पहुंच गया है.
पांच महीनों में व्यापार घाट 125 बिलियन डॉलर पर पहुंचा
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) में कुल निर्यात 192.6 अरब डॉलर और आयात 317.8 अरब डॉलर रहा है जिससे कुल व्यापार घाटा रिकॉर्ड 125.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में ढाई गुना अधिक है जब व्यापार घाटा 53.8 अरब डॉलर था. विश्लेषकों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में आगे भी मौजूदा चलन जारी रहने की स्थिति में भारत का व्यापार घाटा मार्च 2023 तक 250 अरब डॉलर के स्तर तक जा सकता है. 2021-22 में यह 192.4 अरब डॉलर रहा था.
240 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है ट्रेड डेफिसिट
भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (FIEO) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि इस वर्ष व्यापार घाटा बढ़कर 230-240 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. व्यापार घाटा बढ़ने का चालू खाता के घाटा (सीएडी) पर सीधा असर पड़ता है और यह भारतीय रुपए के जुझारुपन, निवेशकों की धारणाओं और व्यापक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करता है. चालू वित्त वर्ष में सीएडी के जीडीपी के तीन फीसदी या 105 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
तेल और कमोडिटी की कीमत में उछाल
TRENDING NOW
आयात-निर्यात संतुलन बिगड़ने के पीछे रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से तेल और जिसों के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ना, चीन में कोविड पाबंदियों की वजह से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होना और आयात की मांग बढ़ने जैसे कारण हैं. इसकी एक अन्य वजह डीजल और विमान ईधन के निर्यात पर एक जुलाई से लगाया गया अप्रत्याशित लाभ कर भी है.
क्रूड इंपोर्ट बिल लगातार बढ़ रहा है
देश के निर्यात में गिरावट ऐसे समय हुई है जब तेल आयात का बिल बढ़ता जा रहा है. भारत ने अप्रैल से अगस्त के बीच तेल आयात पर करीब 99 अरब डॉलर खर्च किए हैं जो पूरे 2020-21 की समान अवधि में किए गए 62 अरब डॉलर के व्यय से बहुत ज्यादा है. सरकार ने हाल के महीनों में आयात को हतोत्साहित करने के लिए सोने जैसी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने, कई वस्तुओं के आयात पर पाबंदी लगाने तथा घरेलू उपयोग में एथनॉल मिश्रित ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रयास करने जैसे कई कदम उठाए हैं. इन कदमों का कुछ लाभ हुआ है और आयात बिल में कुछ नरमी जरूर आई है लेकिन व्यापक रूझान में बड़े बदलाव की संभावना कम ही नजर आती है.
06:51 PM IST