Explainer: रुपये की गिरावट पर नहीं लग रहा ब्रेक, 78.98 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर; कहां-कहां लग सकता है झटका
Dollar vs Rupees: एक्सपर्ट का कहना है कि भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, महंगे क्रूड से बढ़ते व्यापार घाटे का सीधा असर रुपये में कमजोरी के रूप में दिखाई दे रहा है.
एक्सपर्ट मान रहे हैं कि रुपये में आगे और गिरावट आ सकती है. (Representational image)
एक्सपर्ट मान रहे हैं कि रुपये में आगे और गिरावट आ सकती है. (Representational image)
Dollar vs Rupees: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये (Indian Currency) की गिरावट पर ब्रेक लगता नहीं दिख रहा है. बुधवार को शुरुआती कारोबार में रुपया लुढ़ककर 78.98 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक जा पहुंचा. क्रूड की बढ़ती कीमतें और डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) में ओवरनाइट तेजी के बीच बीते एक महीने में रुपया करीब 1.6 फीसदी टूट चुका है. एक्सपर्ट का कहना है कि भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, महंगे क्रूड से बढ़ते व्यापार घाटे का सीधा असर रुपये में कमजोरी के रूप में दिखाई दे रहा है. रुपया मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 48 पैसे टूटकर 78.85 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था.
जुलाई अंत तक 79.5 का लेवल दिखाएगा रुपया
आनंद राठी शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स के रिसर्च एनॉलिस्ट (कमोडिटीज एंड करेंसीज फंडामेंटल) जिगर त्रिवेदी का कहना है कि डॉलर इंडेक्स की लगातार मजबूती और क्रूड की ऊंची कीमतों से व्यापार घाटा बढ़ रहा है. इससे घरेलू करेंसी कमजोर हो रही है. उन्होंने कहा कि जुलाई आखिर तक रुपया स्टॉप कमजोर होकर 79.5 का लेवल दिखा सकता है. मौजूदा समय में मैक्रो फंडामेंटल्स कमजोर हैं और दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जा रही है.
जिगर त्रिवेदी का कहना है, जुलाई की मीटिंग में यूएस फेड ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर सकता है. वहीं, अगस्त तक फिलहाल RBI की कोई एमपीसी मीटिंग नहीं है. इसका असर यह होगा कि भारत और अमेरिका के बीच यील्ड के अंतर को कम कर सकता है. इससे रुपया और कमजोर हो सकता है.ऐसे में रिजर्व बैंक करेंसी के नुकसान को रोकने के लिए फॉरेक्स मार्केट में दखल दे सकता है, लेकिन यह भी एक लिमिट तक ही होगा.
TRENDING NOW
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
रुपये की गिरावट: कहां-कहां हो सकता है असर
महंगा होगा तेल
डॉलर के मुकाबले रुपये के 79 के करीब पहुंचने का बड़ा असर क्रूड यानी कच्चे तेल के आयात पर हुआ है. भारत की अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है. ऐसे में अगर कच्चे तेल का आयात महंगा होगा, तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर अग्रेसिव रूख अपना सकती है. यानी, पेट्रोल-डीजल की महंगाई आने वाले दिनों में बढ़ सकती है.
खाने की थाली भी होगी महंगी
कमजोर रुपये से खाने-पीने के चीजों की कीमतें बढ़ सकती हैं. देश में करीब 90 फीसदी से इससे ज्यादा खाने-पीने की चीजों और दूसरे जरूरी सामानों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल का इस्तेमाल होता है. ऐसे में डीजल महंगा होता है, तो इसका असर इन सारी जरूरी चीजों पर भी देखने को मिल सकता है. दूसरी ओर, आयात होने वाले एडिबल ऑयल यानी खाद्य तेल भी महंगे हो सकते हैं.
कार, टीवी, फ्रिज के दाम पर भी असर
कमजोर रुपये से कार समेत टीवी, फ्रिज जैसे प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ सकते हैं. ऐसा इसलिए ये कंपनियां कई इलेक्ट्रॉनिक आइटम और कम्पोनेंट आयात करती हैं. रुपये की कमजोरी से आयात महंगा होगा. ऐसे में कंपनियां दाम बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं.
विदेश में पढ़ाई, घूमना होगा महंगा
रुपये में लगातार कमजोरी से अगर आप विदेश में पढ़ाई या टूर का प्लान कर रहे हैं, तो आपको ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ेंगे. डॉलर की मजबूती से पहले के मुकाबले विदेशी शिक्षा पर ज्यादा फीस, हॉस्टल बिल्स और करेंसी कन्वर्ट के भी ज्यादा पैसे चुकाने होंगे. वहीं, ज्यादातर देशों में डॉलर में भुगतान होता है. करेंसी कन्वर्ट कराने के लिए भी आपको डॉलर के मुकाबले ज्यादा भारतीय रुपये खर्च करने होंगे.
आयात बिल बढ़ेगा
रुपये में लगातार कमजोरी से भारत जहां भी डॉलर के मुकाबले पेमेंट करता है, वह महंगा हो जाएगा. सीधे तौर पर समझें को भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ जाएगा. क्योंकि अब उसे एक डॉलर के मुकाबले ज्यादा रुपये देने पड़ेंगे.
विदेशी कर्ज होगा महंगा
रुपये की कमजोरी से कॉरपोरेट हाउसेस के लिए भी विदेशी कर्ज लेना महंगा हो जाएगा. रिटेल से लेकर रीयल्टी सेक्टर काफी हद तक विदेशी कर्ज पर निर्भर है. इसे तकनीकी भाषा में वाणिज्यिक विदेशी कर्ज (ECB) कहते हैं. इसके अंतर्गत भारतीय कंपनियां, सीधे तौर पर कम ब्याज दरों में विदेशी कंपनियों से कर्ज ले सकती हैं. रुपये में गिरावट से कर्ज के बदले कंपनियों को ब्याज का भुगतान डॉलर में देना पड़ता है. जब एक डॉलर खरीदने के लिये कंपनियों को 78 रुपये या इससे ज्यादा देना होगा तो उनको पहले की तुलना में ज्यादा ब्याज चुकाना होगा. कर्ज महंगा होगा तो लागत बढ़ेगी और जब लागत बढ़ेगी तो वस्तुओं की कीमतों में इजाफा होगा.
01:28 PM IST