Budget 2023: आसान भाषा में समझ लें भारी-भरकम लगने वाले इन शब्दों के मायने, बजट समझने में नहीं होगी परेशानी
जब भी बजट पेश किया जाता है, उसमें कुछ ऐसे शब्द बोले जाते हैं जो तमाम लोगों की समझ से बाहर होते हैं. आइए आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ शब्दों के मायने ताकि आपको आने वाला बजट समझने में कोई परेशानी न हो.
Budget 2023: आसान भाषा में समझ लें भारी-भरकम लगने वाले इन शब्दों के मायने, बजट समझने में नहीं होगी परेशानी
Budget 2023: आसान भाषा में समझ लें भारी-भरकम लगने वाले इन शब्दों के मायने, बजट समझने में नहीं होगी परेशानी
Union Budget 2023-24: वित्त वर्ष 2023-24 का बजट 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) पेश करेंगी. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी पूर्ण बजट है, इस कारण इस बजट (Budget 2023) पर हर वर्ग के लोगों की निगाहें टिकी हैं. जब भी बजट पेश किया जाता है, उसमें कुछ ऐसे शब्द बोले जाते हैं जो तमाम लोगों की समझ से बाहर होते हैं. आइए आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ शब्दों के मायने ताकि आपको आने वाला बजट समझने में कोई परेशानी न हो.
Fiscal Policy
Fiscal Policy का मतलब है राजकोषीय नीति. जिस तरह मौद्रिक नीति को भारतीय रिजर्व बैंक बनाता है, ठीक वैसे ही राजकोषीय नीति सरकार बनाती है. बजट के दौरान इस शब्द का प्रयोग खूब किया जाता है. इसका मतलब वित्त प्रबंधन के लिए खास उपायों के अपनाने से है. मंहगाई को कंट्रोल करने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए सरकार अधिक खर्च को नियंत्रित या टैक्स में कटौती करती है. राजकोषीय नीति का मकसद उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक पैसे डालना है. जब उपभोक्ताओं के हाथ में ज्यादा पैसे आते हैं तो वे अधिक खर्च करते हैं. इससे आर्थिक विकास का पहिया तेजी से घूमता है.
Contingency Fund
Contingency Fund एक ऐसा फंड होता है जिसे आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया जाता है. अचानक कोई इमरजेंसी की स्थिति आने पर सरकार इस फंड को खर्च करती है. इससे पैसा निकालने के लिए उसे संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होती है.
Revenue Expenditure
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
देश को चलाने के लिए सरकार को जिस खर्च की जरूरत होती है, उसे रेवेन्यू एक्सपेंडिचर कहते हैं. कर्मचारियों की सैलरी, मंत्रालयों और विभागों का बिजली, पानी आदि का बिल, सब्सिडी, राज्य सरकारों को ग्रांट देने, स्टेशनरी, कम्प्यूटर पर किया जाने वाला खर्च आदि सारे खर्च इसी से किए जाते हैं.
Capital Expenditure
ऐसा खर्च जिससे सरकार को कमाई होती है, उसे कैपिटल एक्सपेंडिचर कहा जाता है. ये खर्च सरकार जमीन खरीदने, स्कूल-कॉलेज या कोई बिल्डिंग बनाने, सड़क, अस्पताल आदि बनाने आदि एसेट बनाने में करती है.
Securities Transaction Tax
जब आप किसी शेयर, डेरिवेटिव, म्यूचुअल फंड की यूनिट्स इत्यादि की खरीद-फरोख्त करते हैं तो इस पर वसूला जाने वाला टैक्स Securities Transaction Tax कहलाता है. सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) को पहली बार केंद्रीय बजट 2004 में लाया गया था.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
03:48 PM IST