Budget 2023: कल से बजट की तैयारी शुरू, सरकार के सामने हैं ये 5 बड़ी चुनौतियां
बजट 2023 की तैयारी कल से शुरू हो रही है. बजट की शुरुआत चालू वित्त वर्ष 2022-23 के व्यय के संशोधित अनुमानों और 2023-24 के लिए कोष की जरूरत पर विचार-विमर्श के साथ शुरू होगी. इकोनॉमी के सामने इस समय कई गंभीर चुनौतियां हैं.
Budget 2023: वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट बनाने की कवायद सोमवार से शुरू करने जा रही है. इंडियन इकोनॉमी के सामने इस समय कई चुनौतियां हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि बजट का फोकस ग्रोथ को बूस्ट देने वाला होगा. बजट प्रक्रिया की शुरुआत विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ चालू वित्त वर्ष 2022-23 के व्यय के संशोधित अनुमानों (Revised Estimates of Expenditure) और 2023-24 के लिए कोष की जरूरत पर विचार-विमर्श के साथ शुरू होगी. सोमवार को पहले दिन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, श्रम और रोजगार मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय और युवा मामले और खेल मंत्रालय के साथ संशोधित अनुमानों पर बैठकें होंगी. चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमानों और 2023-24 के लिए बजट अनुमानों पर ज्यादातर बैठकों की अध्यक्षता वित्त सचिव और व्यय सचिव करेंगे.
ग्रोथ रेट का अनुमान लगातार घटाया जा रहा है
यह विचार-विमर्श 10 नवंबर को समाप्त होगा. उसके बाद 2023-24 के लिए बजट अनुमानों को अस्थाई तौर पर अंतिम रूप दे दिया जाएगा. विचार विमर्श बैठक ऐसे वक्त में होने जा रहा है कि जब रिजर्व बैंक, IMF, वर्ल्ड बैंक समेत कई एजेंसियों ने भारत के ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी तक कर दिया है.
सीतारमण का पांचवां बजट होगा
यह नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पांचवां बजट होगा. अप्रैल-मई 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले यह आखिरी पूर्ण बजट होगा. चुनावी साल में सरकार सीमित अवधि के लिए लेखानुदान पेश करती है. उसके बाद बजट जुलाई में पेश किया जाता है. वित्त वर्ष 2023-24 का बजट एक फरवरी, 2023 को पेश किए जाने की उम्मीद है.
ग्रोथ का अनुमान लगातार घट रहा है
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भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियां हैं. ग्रोथ का अनुमान लगातार घटाया जा रहा है. वर्ल्ड बैंक ने ग्रोथ का अनुमान 7.5 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है. IMF ने ग्रोथ के अनुमान को 6.9 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है. रिजर्व बैंक ने इसे घटाकर 7 फीसदी कर दिया है.
रुपया लगातार कमजोर हो रहा है
इंडियन करेंसी लगातार कमजोर हो रही है. बीते सप्ताह भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड 82.32 पर बंद हुआ. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में रुपया 83 और 84 के स्तर तक फिसल सकता है. रुपए के कमजोर होने से इसकी खरीद क्षमता लगातार घट रही है.
कच्चे तेल में फिर से तेजी
कच्चे तेल में बीते सप्ताह 11 फीसदी से ज्यादा उछाल आया है. ओपेक प्लस देशों की तरफ से प्रोडक्शन में कटौती के बाद फिर से यह 100 डॉलर के पार पहुंचेगा. कच्चा तेल महंगा होने से इंपोर्ट बिल बढ़ेगा. निर्यात पहले से दबाव में है जिसके कारण व्यापार घाटा बढ़ेगा. व्यापार घाटा बढ़ने से करेंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ेगा और रुपए पर और दबाव बढ़ जाएगा.
इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी का नेगेटिव असर
ग्लोबल इकोनॉमी मंदी की तरफ आगे बढ़ रही है. महंगाई आसमान पर है. इसके बावजूद फेडरल रिजर्व, यूरोपियन सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैंड समेत दुनियाभर के बड़े बैंक इंट्रेस्ट रेट बढ़ा रहे हैं. वर्ल्ड बैंक ने अपील की है कि इंट्रेस्ट रेट में अग्रेसिव बढ़ोतरी से मंदी का खतरा बढ़ा रहा है. भारत जैसी इकोनॉमी पर इसका असर ज्यादा होगा.
निर्यात और डॉलर रिजर्व घट रहा है
ग्लोबल सुस्ती के कारण भारत का निर्यात प्रभावित हो रहा है. भारत में महंगाई भी उस हद तक नहीं है जिस हद तक अमेरिका और यूरोप इससे परेशान हैं. अगर सुस्ती बढ़ती है तो विदेशी निवेश में कमी आएगी जो इंडियन इकोनॉमी के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है. रुपए के गिरने और डॉलर के मजबूत होने से डॉलर रिजर्व लगातार घट रहा है. इससे सॉवरेन रेटिंग का खतरा बढ़ता है.
(भाषा इनपुट के साथ)
12:03 PM IST