Rabi Crop: चना (Gram) और मटर (Peas) रबी सीजन (Rabi Season) के फसल हैं. रबी की फसलों की बुवाई खत्म हो गई. चने का उत्पादन बड़े पैमाने पर उत्तर भारत में किया जाता है. मटर ठंड मौसम की फसल है. इसका उपयोग आहार में सब्जी के रूप में किया जाता है. मटर और चने की खेती करने वाले किसानों को ठंड के मौसम में अपनी फसलों को खास ध्यान रखना पड़ता है. इस मौसम में कीट और रोग का प्रकोप फसल को बर्बाद कर सकते हैं. इसलिए किसानों को जनवरी महीने में इसकी फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव करना जरूरी है.
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चने को बचाने का उपाय
चना को दलहनी फसलों का राजा माना जाता है. इसकी खेती सर्द मौसम में करना फायदेमंद होता है. चने की खेती हल्की से भारी मिट्टी में की जाती है. चने के पौधे में फलीधेदक कीड़े लग जाता हैं. चना के फलीछेदक के लिए 10 फेरोमौन ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाना चाहिए, जरूरी होने पर एन.पी.भी 250 एल.ई. या नोवाल्यूरॉन 10 ई.सी. का 1 ml प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
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मटर को बचाने का उपाय
मटर के चूर्णी फफूंद रोग की रोकथाम के लिए सल्फर 80% WP 2.5 Kg प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें और फली छेदक के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजाएट 5% SG का 0.5 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में छोलकर पौधों पर छिड़काव करें.
मटर कार्बो प्रोटीन के साथ-साथ फास्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन A, B और C जैसे खनिजों से भरपूर होते हैं. मटर की अगेती फसल महज 50 दिन में तैयार हो जाती है.
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कम वक्त में बढ़िया मुनाफा देती है चने की खेती
चने की खेती कम वक्त में बढ़िया मुनाफा देती है. इसकी खेती 5.5 से 7 पीएच वाली मिट्टी काफी अच्छी मानी जाती है. इसकी फल में 2 या 2 से ज्यादा दाने पाए जाते हैं. इसकी बुवाई दिसंबर के पहले हफ्ते तक की जा सकती है.
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