प्राकृतिक खेती ने इस महिला किसान को दिलाई पहचान, अब ₹5 हजार खर्चे में कमा रही लाखों
Natural Farming: प्राकृतिक खेती वह खेती होती है, जिसमे फसलों पर किसी भी प्रकार का रासायनिक कीटनाशक और उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया जाता है.
Natural Farming: खेती-किसानी में अब महिलाएं भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और अपनी पहचान बना रही हैं. शादी के पहले पिता और शादी के बाद ससुराल में पति के नाम से पहचानी जाने वाली महिलाओं के लिए खेती के दम पर अपनी अलग पहचान बना पाना चुनौतिपूर्ण रहता है. लेकिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के जमानाबाद गांव के रिशू कुमारी के लिए यह चुनौती और बड़ी इसलिए थी क्योंकि उनके ससुर दशकों से खेती से ही घर का भरण-पोषण कर रहे थे. ऐसे में रिशू ने प्राकृतिक खेती (Prakritik Kheti) की ट्रेनिंग ली और अपनी पहचान बनाई.
रिशू के मुताबिक, उसने अपने परिवारवालों को प्राकृतिक खेती करने के लिए तैयार किया. परिवार के विरोध के बावजूद प्राकृतिक खेती के लिए जुनून से भी रिशू ने इस खेती विधि को पहले अपने छोटे से खेत में प्रयोग के तौर पर शुरू किया और अब अपनी पूरी 6 बीघा जमीन पर प्राकृतिक खेती कर रही हैं. रिशू बताती हैं कि उनके पति शिक्षक हैं और उन्होंने भी उनको खेती के लिए प्रेरित किया और आज वो अपने पूरे खेतों की देखरेख करती हैं.
ये भी पढ़ें- PM Kisan: 13वीं किस्त का इंतजार कर रहे किसानों के लिए जरूरी सूचना, ध्यान नहीं दिया तो हाथ मलते रह जाएंगे
प्राकृतिक खेती से बढ़ी कमाई
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
रिशू कुमारी ने बताया कि पहले जब उनका परिवार खेती करता था तो पनीरी बेचते थे, लेकिन अब वे पनीरी के साथ सब्जियों का काम कर रही हैं. कृषि विभाग, हिमाचल प्रदेश के मुताबिक, उन्होंने बताया कि पहले खर्चा बहुत अधिक आ रहा था लेकिन अब खर्च नाम मात्र का रह गया है. जिससे अब परिवार की कमाई बढ़ गई है और उनके परिवार वाले भी इस खेती विधि से बहुत खुश हैं. उन्होंने बताया कि वे अपनी सब्जियों को सड़क किनारे कैनोपी लगाकर बेच रही हैं.
मिली अपनी पहचान
रिशू कुमारी के मुताबिक, जब वे शादी के बाद यहां आई थी तो उन्हें केवल उनके पति के नाम से पहचाना जाता था, लेकिन प्राकृतिक खेती से जुड़ने के बाद उनकी न सिर्फ इलाके में बल्कि जिला के किसानों में विशेष पहचान बनी है. रिशू के खेती मॉडल को देखते हुए अब जिला के अन्य किसान भी उनके खेतों में मॉडल को देखने के लिए आते हैं. वे 500 से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती विधि के बारे में ट्रेनिंग दे चुकी हैं.
ये भी पढ़ें- आपके पास इस सरकारी बैंक का है डेबिट कार्ड तो जेब पर बढ़ेगा बोझ, 13 फरवरी से बढ़ जाएंगे ये चार्जेज, जानिए यहां
5 हजार खर्च में लाखों की कमाई
रिशू प्राकृतिक खेती से अब लाखों में कमाई कर रही हैं. वे प्याज, लहसुन, मटर, गेहूं, धान, मक्की, गोभी, मूली, शलगम, धनिया और पालक की फसल लगाती हैं. उनका कहना है कि रासायनिक खेती में खर्चा 20,500 रुपये आता था और कमाई 46,000 रुपये होती थी. लेकिन प्राकृतिक खेती में खर्च घटकर 5,000 रुपये हो गया और आय लाखों में होने लगी.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
03:54 PM IST