छत्तीसगढ़ में गौठान बना कमाई का जरिया, गाय के गोबर से बन रहे प्राकृतिक पेंट समेत कई प्रोडक्ट्स
राज्य में अब तक 10,743 गांवों में गौठानों के निर्माण की मंजूरी दी गई है, जिसमें से 9671 गौठान बनाए गए हैं और बाकी गौठान निमार्णाधीन है. गोधन न्याय योजना से 3,23, 983 ग्रामीण और पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं.
गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए 13 यूनिटें लगाई गई हैं. (File Photo)
गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए 13 यूनिटें लगाई गई हैं. (File Photo)
छत्तीसगढ़ में गौठान (Gauthan) आर्थिक गतिविधियों के केंद्र में बदल रहे हैं. यह ऐसे केंद्र हैं जहां गोबर (Cow Dung) और गौमूत्र (Gomutra) से कई तरह के प्रोडक्ट बनाने बनाए जा रहे हैं तो वहीं लोगों रोजगार भी मिल रहा है. राज्य में गोधन के संरक्षण और प्रोमोशन के लिए गांवों में गौठानों का निर्माण तेजी से हो रहा है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस की खबर के मुताबिक, गौठानों में पशुधन देख-रेख उपचार व चारे, पानी का नि:शुल्क प्रबंध है. राज्य में अब तक 10,743 गांवों में गौठानों के निर्माण की मंजूरी दी गई है, जिसमें से 9671 गौठान बनाए गए हैं और बाकी गौठान निमार्णाधीन है. गोधन न्याय योजना से 3,23, 983 ग्रामीण और पशुपालक किसान लाभान्वित हो रहे हैं.
गांव की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए स्थापित की गई गौठानों में गोबर से उत्पाद बनाने की गतिविधियां संचालित है, वहीं 2 रुपये किलो की दर से गोबर खरीदकर, जहां खाद, गौकाष्ट सहित अन्य सामग्री का निर्माण हो रहा है, वहीं सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी महिलाओं को रोजगार भी मिला है.
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गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट का उत्पादन
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अब तो गौठान तेजी से ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित होने लगे हैं. गौठानों में कई तरह के आय की गतिविधियों के संचालन के साथ-साथ इनोवेशन के रूप में गोबर से प्राकृतिक पेंट (Prakritik paint) का उत्पादन भी शुरू हो गया है. वर्तमान में गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए 13 यूनिटें स्थापित हुई हैं, जिनमें से 12 यूनिटें शुरू हो चुकी है. गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए रायपुर जिले में दो, कांकेर, दुर्ग, बालोद, कोरबा, बेमेतरा, सूरजपुर, बस्तर, कोरिया, कोंडागांव, दंतेवाड़ा एवं बीजापुर में एक-एक यूनिट स्थापित की जा चुकी है. कोरिया जिले में स्थापित यूनिट को छोड़कर बाकी यूनिटों में उत्पादन शुरू हो गया है. राज्य के 28 जिलों के 29 चिन्हित गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की यूनिट स्थापना अंतिम चरण में है. शीघ्र ही इनसे प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होने लगेगा.
पराली दान कर रहे किसान
गौठान के मवेशियों को चारे की कमी न हो इसके लिए राज्य के किसानों द्वारा अपने गांवों के गौठानों को पैरा दान किए जाने का सिलसिला अनवरत रूप से जारी है. राज्य के किसान पैरा को खेतों में जलाने के बजाय उसे गौमाता के चारे के प्रबंध के लिए गौठान समितियों को दे रहे हैं. ऐसे किसान जिनके पास पैरा परिवहन के लिए ट्रैक्टर या अन्य साधन उपलब्ध हैं, वह स्वयं धान कटाई के बाद पैरा गौठानों में पहुंचाकर इस पुनीत कार्य में सहभागिता निभा रहे हैं. गौठान समितियों द्वारा भी किसानों से दान में मिले पैरा का एकत्रीकरण कराकर गौठानों में लाया जा रहा है.
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गौमूत्र से बनाए जा रहे कीटनाशक
राज्य में गौमूत्र से जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और फसल एनहैंसर जीवामृत का उत्पादन और उपयोग खेती में होने लगा है. गौठानों में 4 रुपये लीटर की दर से अब तक 1,26,858 लीटर गौमूत्र क्रय किया जा चुका है, जिससे गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा 47 हजार 447 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र और 21 हजार लीटर एनहैंसर जीवामृत बनाया गया है. खेती में उपयोग के लिए किसानों द्वारा अब तक 59 हजार 557 लीटर ब्रम्हास्त्र और जीवामृत खरीदा गया है, जिससे गौठानों को 25,74,355 रुपये की आय हुई है.
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