2 महीने की ट्रेनिंग के बाद शुरू किया ये काम, अब हर साल कमा रहा ₹25 लाख का मुनाफा
Agripreneur: महाराष्ट्र के अमरावती जिले के रहने वाले रोहन शंकर अवाघाने भी ऐसे ही एक युवा किसान हैं, जिसने कृषि में डिग्री हासिल कर खेती को कमाई का जरिया बनाया. उनका यह फैसला सफल साबित हुआ. अब वो सालाना 25 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं.
Agripreneur: खेती-बाड़ी में युवाओं का रुझान तेजी से बढ़ा है. एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन कर युवा अब खेती-किसानी (Agriculture) में अपना करियर बना रहे हैं और अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं. महाराष्ट्र के अमरावती जिले के रहने वाले रोहन शंकर अवाघाने भी ऐसे ही एक युवा किसान हैं, जिसने कृषि में डिग्री हासिल कर खेती को कमाई का जरिया बनाया. उनका यह फैसला सफल साबित हुआ. अब वो सालाना 25 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं.
60 दिन की ट्रेनिंग ने बदली जिंदगी
रोहन ने एग्रीकल्चर में डिग्री करने के बाद अपना खुद का बिजनेस करने का प्लान बनाया. उसने पाया कि एग्रीकल्चर में पैकेजिंग प्रोडक्ट की डिमांड है. उन्हें इस इंडस्ट्री के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी. इसलिए उन्होंने एग्री-क्लिनिक एंड एग्री-बिजनेस सेंटर में दो महीने का आंत्रप्न्योर ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लिया. ट्रेनिंग प्रोग्राम कृषि विज्ञान केंद्र, अमरावती में आयोजित किया गया था. मैनेज के मुताबिक, उन्होंने ट्रेनिंग के दौरान पैकेजिंग इंडस्ट्री के बारे में जानकारी ली और ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर से पैकेजिंग इंडस्ट्री को विजिट करने की व्यवस्था पर जोर दिया. इससे उन्हें इस इंडस्ट्री के बारे में काफी कुछ सीखने को मिला.
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1.5 लाख रुपये उधार लेकर शुरू किया काम
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ट्रेनिंग पूरा होने के बाद रोहन ने पैकेजिंग बैग बनाने का बिजनेस शुरू किया. एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखने वाले रोहन ने अपने माता-पिता से 1.50 लाख रुपये उधार लेकर अपना बिजनेस शुरू किया. उन्होंने एक पुरानी सिलाई मशीन खरीदी, एक पार्ट-टाइम दर्जी को काम पर रखा और 'रीगल पैकेजिंग' नाम से अपना वेंचर शुरू किया.
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₹70 हजार का मिला पहला ऑर्डर
रोहन के मुताबिक, उन्हें पहला बड़ा ऑर्डर चाय के एक थोक विक्रेता से मिला, जो 70,000 रुपये का था. ग्राहक ने उन्हें 50% एडवांस दिया. उन्होंने दो और मशीनें खरीदी और दो दर्जी को सैलरी पर रखा. 'रीगल पैकेजिंग' बैग (कॉन बैग, बिना बुने हुए कार्ट्रिज, स्कर्टिंग बैग) बनाती में है. उन्होंने महाराष्ट्र राज्य में 50 से अधिक थोक विक्रेताओं और लगभग 80 खुदरा विक्रेताओं की चेन के साथ बिजनेस किया है. उनकी कंपनी का सालाना टर्नओर 25 लाख रुपये है. उन्होंने 23 गांवों से 150 से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षित किया है.
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