Agri Business Idea: कम लागत में शुरू करें इस फल की खेती, बाजार में है भारी डिमांड, होगी बंपर कमाई
Agri Business Idea: बाजार में इसकी भारी डिमांड है और इसका बाजार भाव 100 रुपये किलो से ज्यादा है. ऐसे में किसानों को इसकी खेती फायदेमंद साबित हो सकती है. आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.
Agri Business Idea: केंद्र सरकार किसानों को बागवानी के लिए प्रोत्साहित कर रही है. किसान नकदी फसलों की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. गूजबेरी या रसभरी एक नकदी फसल है. इसकी खेती व्यावासियक खेती की जा सकती है. बाजार में इसकी भारी डिमांड है और इसका बाजार भाव 100 रुपये किलो से ज्यादा है. ऐसे में किसानों को इसकी खेती फायदेमंद साबित हो सकती है. आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ.
गूजबेरी या रसभरी सोलेनेसी कुल से संबंध रखने वाला झाड़ीनुमा पौधा है. इसके फल का वजन 4 से 10 ग्राम तक होता है. दिखने में यह छोटे टमाटर के रूप में लाल-पीले रंग का होता है. इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में पेक्टीन (0.9%) पाया जाता है.
ये भी पढ़ें- मशरूम की खेती पर पाएं ₹10 लाख की सब्सिडी, जानिए आवेदन का प्रोसेस
मिट्टी और तापमान
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
गूजबेरी की खेती अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में की जाती है. बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती लिए सबसे बेहतर मानी जाती है. इसकी खेती मैदानी और पठारी क्षेत्रों में की जाती है. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी.एच मान 5-6 बेहतर होता है. गूजबेरी (Gooseberry) उत्तर भारत में रबी के मौसम में उगायी जाने वाली फसल है. यह 5 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में बढ़ती है.
उन्नत प्रजातियां
आईसीएआर के मुताबिक, रसभरी (Rasbhari) की उन्नत खेती के लिए हेटमैन, इनकॉप्लम, लेडी मडोना आदि प्रमुख किस्में हैं. वार्षिक फसल लेने के लिए इसके बीजों द्वारा प्रसारण किया जाता है. बहुत छोटे बीज होने की वजह से इसकी सीधी बुआई करने में कठिनाई होती है. एक हेक्टेयर में खेती के लिए 4 से 6 किलो बीज काफी होते हैं.
ये भी पढ़ें- शहद उत्पादन से होगा मोटा मुनाफा, किसानों को 75 हजार मधुमक्खी बक्से देगी सरकार, यहां करें आवेदन
बीज बोने का समय
इसकी वार्षिक फसल के लिए अक्टूबर माह के द्वितीय पखवाड़े में बीजों की बुआई की जाती है. बुआई के 6-7 हफ्ते बाद जब पौधा 20-25 सेंटीमीटर की ऊंचाई का हो जाए, तब इसे खेत में रोप दे.
खाद और उर्वरक
रोपाई से पहले मिट्टी की जुताई करके भुरभुरा कर लें. 20 टन गोबर की खाद और 3.5 क्विंटल सिंगल सुपर फॉस्फेट, 1.2 क्विंटल म्यूरेट ऑफ पोटाश और 1 क्विंटल यूरिया प्रति हेक्टेयर देना चाहिए. फूल खिलने के 55 दिनों के बाद इसका फल पक जाता है. फल ज्यादा पकने से पहले ही तोड़ लेना चाहिए. फल का हल्के हरा-पीला रंग होने पर इसे तोड़कर सामान्य तापमान पर स्टोर कर लें. गूजबेरी या रसभरी की खेती इंटर-क्रॉप के रूप में की जाती है. इससे किसानों की अतिरिक्त कमाई हो जाती है. गूजबेरी का उत्पादन 4-6 टन प्रति हेक्टेयर हो जाता है.
ये भी पढ़ें- फल-फूल की खेती करने पर मिल रहे 30 हजार रुपये, यहां करें आवेदन
पोषण का खजाना
रसभरी (Rasbhari) विटानिम- A, B और C का अच्छा स्रोत है. इसमें थायमिन और नियासिन अन्य फसलों की तुलना में ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें प्रोटीन, फॉस्फेरस और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में होते हैं. इसको ताजे फल के रूप में सलाद और सुखाकर खाया जाता है. इसमें पैक्टिन अच्छी मात्रा में कारण वैल्यूएडेड प्रोडक्ट जैम बहुत ही बेहतर क्वालिटी का बनता है.
03:56 PM IST