बिना टैक्स घटाए भी कम किए जा सकते हैं पेट्रोल-डीजल के रेट, जानिए कैसे
सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल 80.73 रुपए प्रति लीटर और डीजल 72.83 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गए, जो देश के सभी मेट्रो में सबसे कम है.
केंद्र सरकार का पेट्रो उत्पादों से टैक्स कलेक्शन 4 साल में दोगुना हो चुका है. (फाइल फोटो)
केंद्र सरकार का पेट्रो उत्पादों से टैक्स कलेक्शन 4 साल में दोगुना हो चुका है. (फाइल फोटो)
पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं. सोमवार को दिल्ली में पेट्रोल 80.73 रुपए प्रति लीटर और डीजल 72.83 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गए, जो देश के सभी मेट्रो में सबसे कम है. यहां तक राज्यों की राजधानी से भी कम. ऐसा राष्ट्रीय राजधानी में टैक्स की दरें कम होने के कारण है.
केंद्र सरकार का पेट्रो उत्पादों से टैक्स कलेक्शन 4 साल में दोगुना हो चुका है. यह 2014-15 के 99184 करोड़ रुपए के मुकाबले 2017-18 में 2,29,019 करोड़ रुपए पहुंच गया है. वहीं राज्यों का पेट्रो उत्पादों पर वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) से राजस्व 2017-18 के 1.37 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपए हो चुका है. हालांकि ऐसी कुछ नीतियां हैं सरकार जिन्हें लागू कर ऊंची कीमतों को नीचे ला सकती है.
ईंधन के लिए जीएसटी जैसी कर व्यवस्था
मौजूदा समय में पेट्रोल और डीजल की कीमत में 50% टैक्स शामिल है. वहीं जीएसटी की सबसे ऊंची दर 28 फीसदी है. अगर सरकार ईंधन के लिए कोई अन्य कर व्यवस्था लाती है मसलन 40% तक टैक्स वाली तो भी ईंधन कीमतें अपने आप कम होने लगेंगी.
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रिटेलरों को सस्ते में मिले क्रूड
देश की नवरतन कंपनी ऑयल एंड नेचुरल गैस (ONGC) क्रूड की 20% जरूरत पूरी करती है. विदेश में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से उसके राजस्व पर प्रभाव पड़ा है. अगर सरकार उससे रिटेलर को क्रूड कम कीमत में बेचने को कहे तो इससे भी ईंधन की बाजार कीमतों पर असर पड़ेगा. हां, सरकार को कंपनी से मिलने वाला डिविडेंड जरूर कम हो जाएगा.
फ्यूचर ट्रेडिंग यानी वायदा कारोबार
वायदा कारोबार में वस्तु की कीमत पहले ही तय हो जाती हैं. सेलर या बायर को फ्यूचर कांट्रेक्ट के अंतर्गत तय कीमत पर ही सौदा पूरा करना होता है. अगर पेट्रोल और डीजल में वायदा कारोबार शुरू हो जाता है तो ग्राहकों को भविष्य की जरूरत के हिसाब से तय कीमत पर ईंधन मिलेगा. उदाहरण के तौर पर अगर ग्राहक को एक माह बाद पेट्रोल या डीजल की जरूरत है तो वह उस तारीख के लिए ईंधन की कीमत तय कर सकता है चाहे उस दिन कीमतें कितनी भी ऊंची क्यों न हों. उन्हें जो कीमत एक माह पहले तय हो गई है उसी आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमत चुकानी होगी. बढ़ती कीमतों से उनका फ्यूचर कांट्रेक्ट प्रभावित नहीं होगा. तेल मंत्रालय ईंधन में वायदा कारोबार की इजाजत दे चुका है लेकिन बाजार नियामक सेबी ने अभी इसे मंजूरी नहीं दी है.
क्रूड पर डिस्काउंट
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक तेल आयातक देशों के संघ 'ओपेक' एशियाई देशों को ऊंची कीमतों पर तेल बेचता है जबकि पश्चिमी देशों को यह कम कीमत में मिलता है. उसने इसे 'एशियन प्रीमियम' नाम दिया है. मोदी सरकार इस मामले में ओपेक के समक्ष विरोध दर्ज कराने के लिए अन्य एशियाई देशों को अपने साथ लाने की कोशिश में जुटी है. अगर कई देश एकसाथ मांग करेंगे तो ओपेक को क्रूड पर डिस्काउंट देना ही पड़ेगा.
04:30 PM IST