चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन, MSP से नीचे चीनी बेचने को मजबूर शुगर मिल
चीनी मिलों की लगातार कमजोर स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने चीनी की एमएसपी 200 रुपये बढ़ाते हुए 2900 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर 3100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था.
इस साल चीनी में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. ज्यादा उत्पादन होने से चीनी मिलों के सामने ये दिक्कत आ गई है कि मिलें अपनी चीनी को एमएसपी पर नहीं बेच पा रही हैं.
इस साल चीनी में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. ज्यादा उत्पादन होने से चीनी मिलों के सामने ये दिक्कत आ गई है कि मिलें अपनी चीनी को एमएसपी पर नहीं बेच पा रही हैं.
इस साल चीनी में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है. ज्यादा उत्पादन होने से चीनी मिलों के सामने ये दिक्कत आ गई है कि मिलें अपनी चीनी को एमएसपी पर नहीं बेच पा रही हैं. सरकार द्वारा एमएसपी बढ़ाए जाने के बाद भी चीनी मिलों को घाटा उठाना पड़ रहा है. केंद्र सरकार ने चीनी मिलों की एमएसपी 31 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया था.
बता दें कि चीनी मिलों की लगातार कमजोर स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने चीनी की एमएसपी 200 रुपये बढ़ाते हुए 2900 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर 3100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था. अगर कोई चीनी मिल 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से नीचे चीनी बेचती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. देश में इस साल चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन 310 लाख टन हुआ है, जबकि करीब 120 लाख टन पुराना स्टॉक है.
श्रीरेणुका शुगर मिल के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने चीनी मिलों पर किसी भी संकट से इनकार किया है. ज़ी बिजनेस से खात बातचीत में उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले सरकार ने चीनी मिलों को खुले बाजार में चीनी बेचने का कोटा 24 लाख टन का तय किया था, उस समय कुछ मुश्किलें आई थीं. क्योंकि चीनी मिलों को ज्यादा चीनी बेचनी थी, जिससे उसकी कीमतों पर असर आ गया था. जबकि इस महीने का कोटा 21 लाख टन का है. इस महीने का स्टॉक कम होने से चीनी मिलों के सामने चीनी की बिक्री में कोई दिक्कत नहीं है. इसके अलावा गर्मियों में चीनी की खपत बढ़ जाती है, इसलिए मिलों के सामने चीनी की बिक्री का कोई संकट नहीं है.
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एमएसपी में 200 रुपये का इजाफा
सरकार ने 14 फरवरी को न्यूनतम समर्थन मूल्य में सात प्रतिशत की वृद्धि के साथ चीनी के का एमएसपी 29 रुपये से बढ़ा कर 31 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया था. जानकारों का कहना है कि चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ा कर 31 रुपये प्रति किलोग्राम किए जाने से चीनी मिलों के परिचालन लाभ में तीन-चार प्रतिशत बढ़ सकता है. इससे शुगर मिलों को घरेलू बाजार में बिक्री से 3,300 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्राप्त होंगे और निर्यात कारोबार से अतिरिक्त 200 करोड़ रुपये आएंगे.
क्या है एमएसपी
न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) वह दर होती है, जिस दर पर चीनी मिलें अपनी चीनी खुले बाजार में बेचती हैं. चीनी मिलें खुले बाजार में थोक विक्रेताओं, कोल्ड ड्रिंक्स बनाने वाली कंपनी तथा बिस्किट बनाने वाली कंपनियों को चीनी बेचती हैं.
इस्मा की मांग
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार इस साल देशभर में चालू 514 मिलों में यह उत्पादन हुआ है. इस्मा की मांग है कि केंद्र को मिलों के लिए चीनी का न्यूनतम भाव बढ़ाकर 35-36 रुपये किलो करना चाहिए ताकि चीनी मिलें अपनी लागत वसूल सकें और गन्ना किसानों के बकाये का भुगतान कर सकें.
चीनी कारोबार पर एक नजर-
चीनी के रिकॉर्ड उत्पादन से स्टोरेज लागत बढ़ गई है.
इस महीने खुले बाजार का कोटा 21 लाख टन का है.
गर्मियों के सीजन में चीनी की मांग में इजाफा होता है.
थर्ड पार्टी कोटा के जरिए भी होता है चीनी का एक्सपोर्ट
देश में इस समय चीनी की कुल स्टॉक 430 लाख टन है.
5 मिलियन टन चीनी के एक्सपोर्ट का कोटा रिलीज किया है.
कोटे के मुकाबले 3-3.5 मिलियन टन चीनी का एक्सपोर्ट हो पाएगा.
चीनी मिलों द्वारा एक्सपोर्ट नहीं किए जाने से बढ़ रहा है स्टॉक.
02:32 PM IST