Dragon Fruit: एक बार पैसा लगाएं, 25 साल तक मुनाफा कमाएं
लाल रंग का ये विदेशी फल ड्रैगन फ्रूट देखने में काफी सुंदर होता है और स्वाद में मीठा होता है. इसकी बाजार कीमत 600 से 700 रुपये प्रति किलोग्राम है.
भारत में ड्रैगन फ्रूट की मांग उठने लगी है. क्योंकि ड्रैगन फ्रूट सिर्फ एक फल नहीं है बल्कि कई बीमारियों की दवा भी है. इसके इस्तेमाल से शुगर, हार्ट की बीमारी, स्कीन की बीमारी से राहत मिलती है.
भारत में ड्रैगन फ्रूट की मांग उठने लगी है. क्योंकि ड्रैगन फ्रूट सिर्फ एक फल नहीं है बल्कि कई बीमारियों की दवा भी है. इसके इस्तेमाल से शुगर, हार्ट की बीमारी, स्कीन की बीमारी से राहत मिलती है.
अब तक सिर्फ किताबों और फिल्मों में ड्रैगन के अंडे या ड्रैगन के बारे में पढ़ा, सुना या देखा है लेकिन क्या आपने कभी ड्रैगन फ्रूट देखा है या इस बारे में जानते हैं! यदि नहीं तो, हम आपको बता रहे हैं कि ड्रैगन फ्रूट एक विदेशी फल है जो थाईलैंड में पाया जाता है. अब जानने लायक बात यह है कि यह ड्रैगन फ्रूड भारत में भी पैदा किया जाने लगा है और उससे भी बड़ी बात यह है कि ड्रैगन फ्रूड किसानों की आमदनी को बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो रहा है. छत्तीसगढ़ के पखांजूर में ड्रैगन फ्रूट की खेती हो रही है. ड्रैगन फ्रूट को सुपर फ्रूट, पिताया या स्ट्रॉबेरी पीयर भी कहते हैं.
पखांजूर के गांव कापसी में कई किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. एक किसान विद्युत मंडल के मुताबिक, भारत में ड्रैगन फ्रूट की मांग उठने लगी है. क्योंकि ड्रैगन फ्रूट सिर्फ एक फल नहीं है बल्कि कई बीमारियों की दवा भी है. इसके इस्तेमाल से शुगर, हार्ट की बीमारी, स्कीन की बीमारी से राहत मिलती है. फल और दवा, दोनों होने के कारण ड्रैगन फ्रूट की कीमत भी अन्य फलों से ज्यादा है.
किसान विद्युत मंडल ने बताया कि उनके एक एक बांग्लादेशी मित्र ने थाईलैंड से ड्रैगन फल का बीज लाकर दिया था. विद्युत मंडल ने दो साल पहले बीज रोपकर इसकी खेती शुरू की थी. आज ये बीज एक बड़े पौधे का रूप ले चुके हैं और इन पर फल भी आ रहे हैं. लाल रंग का ये विदेशी फल देखने में काफी सुंदर होता है और स्वाद में मीठा होता है. इसकी बाजार कीमत 600 से 700 रुपये प्रति किलोग्राम है.
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किसान विद्युत मंडल को इस फल की खेती से अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है. ड्रैगन फ्रूट से ज्यादा कमाई होने के कारण गांव के अन्य किसान भी विद्युत मंडल से इसकी खेती के बारे में सीख ले रहे हैं. विद्धुत का कहना है कि वह अब दो एकड़ में इसकी फसल करने का प्लान बना रहे हैं.
पखांजूर इलाके की किसान मक्का और धान की खेती करते हैं. लेकिन अब किसान ड्रैगन फ्रूट की तरफ बढ़ रहे हैं.
विद्युत मंडल के मुताबिक, ड्रैगन फ्रूट की खेती एक आधुनिक खेती है और इसमें खर्चा कम होता है. सिंचाई की कम जरूरत होती है. इसकी बेल रस्सी की तरह लंम्बी होती रहती है. बेल को फैलने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत होती है. इसलिए इसको एक लकड़ी के सहारे ऊपर चढ़ा देते हैं
ड्रैगन फल का फूल खुशबूदार होता है. फल लाल रंग का, गोल और कांटेदार होता है. फल पकने पर नरम हो जाता है. फल के अंदर का रंग गहरा लाल होता है. यह खाने में जायकेदार और मीठा होता है.
एग्रीकल्चर ऑफिसर रतिन बनर्जी ने बताया कि ड्रैगन फल एक औषाधिय फल होता है. औषाधि फल होने के कारण इसका बाजार मूल्य भी अधिक है.
(रिपोर्ट- शंकर सरकार/ पखांजूर)
01:50 PM IST