RBI नहीं जारी करेगी लोन डिफॉल्टर्स के नाम, SEBI को किया इनकार
RBI ने सेबी से कहा है कि अगर डिफॉल्टरों की जानकारी साझा की गई तो कई कंपनियों के कारोबार पर बुरा असर पड़ सकता है और इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी झटका लग सकता है.
कुछ मामलों की जांच के लिए सेबी ने रिजर्व बैंक से डिफॉल्टरों और एनपीए के बारे में जानकारी मांगी थी.
कुछ मामलों की जांच के लिए सेबी ने रिजर्व बैंक से डिफॉल्टरों और एनपीए के बारे में जानकारी मांगी थी.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों का कर्ज डकार चुके लोन डिफॉल्टरों और नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स यानी एनपीए का खुलासा करने से इनकार कर दिया है. एनपीए और लोन डिफॉल्टर्स की लिस्ट के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आरबीआई से अनुरोध किया था. हालांकि सेबी इससे पहले भी आरबीआई से इस तरह का अनुरोध कर चुका है. सेबी ने कुछ मामलों की जांच के लिए लोन डिफॉल्टरों की सूची मांगी थी.
इस तरह के एक अन्य मामले में सीवीसी (सेंट्रल विजिलेंस कमिशन) आरबीआई को एक नोटिस भी जारी कर चुका है. आरबीआई ने एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी बड़े लोन डिफॉल्टर्स की लिस्ट जारी नहीं की थी.
सेबी ने मांगी थी जानकारी
आमतौर पर सेबी और आरबीआई के बीच बड़े पैमाने पर सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है. लेकिन इस बार रिजर्व बैंक ने डिफॉल्टरों की जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया है. दरअसल, कुछ मामलों की जांच के लिए सेबी ने रिजर्व बैंक से डिफॉल्टरों और एनपीए के बारे में जानकारी मांगी थी. यह जानकारी सेबी की जांच में एक अहम सबूत का काम कर सकती है. इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक, सेबी को जांच के दौरान एक कंपनी ने यह नहीं बताया था कि उसने अपने एक लोन का भुगतान नहीं किया है.
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RBI का तर्क
ईटी के मुताबिक, आरबीआई ने सेबी से कहा है कि अगर डिफॉल्टरों की जानकारी साझा की गई तो कई कंपनियों के कारोबार पर बुरा असर पड़ सकता है और इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी झटका लग सकता है.
सूचना आयोग ने की थी मांग
करीब 2 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में आरबीआई को शीर्ष 100 बैंक डिफॉल्टरों के नाम सार्वजनिक करने के आदेश दिए थे. सूचना का अधिकार के एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये आदेश दिए थे. दरअसल, एक आरटीआई कार्यकर्ता ने आरबीआई से यह लिस्ट मांगी थी, लेकिन आरबीआई ने गोपनीयता का हवाला देकर यह सूचना देने से मना कर दिया था. इसके खिलाफ अपील पर तत्कालीन केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने 15 नवंबर, 2011 को आदेश पारित करके मांगी गई सूचना को व्यापक जनहित का बताते हुए आरबीआई को सूचना उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे.
केंद्रीय सूचना आयोग के इस आदेश के खिलाफ आरबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट से स्टे आर्डर ले लिया और सूचना नहीं दी. फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले की सुनवाई करते हुए आरबीआई को डिफॉल्टरों की लिस्ट सार्वजिनक करने के आदेश दिए थे.
03:12 PM IST