FASTag Scam: बच्चे ने घड़ी से किया फास्टैग स्कैन और अकाउंट हो गया खाली! क्या है इस वायरल वीडियो की सच्चाई
FASTag Scam: सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि स्मार्टवॉच जैसी किसी डिवाइस से आपका FASTag हैक किया जा सकता है. क्या है इस वायरल वीडियो की सच्चाई?
FASTag Scam: आज के समय में सोशल मीडिया आपके लिए एंटरटेनमेंट का प्रमुख जरिया होने के साथ काफी सारी जानकारियों का भी अड्डा है. लेकिन इंटरनेट की आसान पहुंच और रेगुलेशन की कमी के कारण यहां फर्जी जानकारियां और फेक न्यूज को भी बड़ी आसानी से फैलाया जाता है, जिसके झांसे में आकर कई बार लोगों को बड़ा चूना लगाया जाता है. सोशल मीडिया पर ऐसा ही एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें ये दावा किया जा रहा है कि घड़ी जैसी एक डिवाइस से आपके फास्टैग (FASTag) को हैक किया जा सकता है. आइए जानते हैं क्या इस वायरल वीडियो की सच्चाई.
वायरल वीडियो में दावा
सोशल मीडिया में डाले गए एक वीडियो में इस बात का दावा किया जा रहा है कि घड़ी जैसी दिखने वाली एक डिवाइस से आपका FASTag हैक हो सकता है. इसमें सड़क पर खड़ी एक गाड़ी को एक छोटा बच्चा साफ कर रहा होता है और इसी दौरान वह अपने हाथ में पहली स्मार्टवॉच जैसी किसी डिवाइस से फास्टैग को स्कैन कर लेता है.
Zee Business Hindi Live यहां देखें
TRENDING NOW
वीडियो में आगे इस बात का दावा किया जाता है कि इससे आपका फास्टैग हैक हो सकता है और अगर आपने अपने किसी ई-वॉलेट से फास्टैग को लिंक कर रखा है, तो बड़ी ही आसानी से आपका अकाउंट खाली किया जा सकता है.
कितना सच्चा है ये दावा
सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल होते ही नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने इस पर अपना स्पष्टीकरण दिया. एनपीसीआई ने कहा कि यह वीडियो पूरी तरह से फर्जी और बेसलेस है. उन्होंने कहा कि किसी भी ओपेन इंटरनेट के जरिए इस तरह का FASTag ट्रांजैक्शन नहीं किया जा सकता है.
Please note that there are baseless and false videos circulating on Social media. Do understand the below points:
— NPCI (@NPCI_NPCI) June 25, 2022
1. No transactions can be executed through open internet connectivity. pic.twitter.com/yTcNGt8R0c
हर टोल प्लाजा का होता है यूनिक कोड
NPCI ने आगे बताया कि घड़ी जैसी दिखने वाली ऐसी किसी डिवाइस से इस तरह का फर्जीवाड़ा मुमकिन नहीं है. फास्टैग के पेमेंट के लिए हर टोल प्लाजा का एक यूनिक कोड होता है, जिसकी मैपिंग किसी पर्टिकुलर बैंक और जियो कोड से की जाती है. ऐसे में इस तरह का फर्जी ट्रांजैक्शन संभव नहीं है.
10:06 AM IST